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HAMIRPUR: गोबर की खाद के 8 टोकरे, 18 हजार का बीज, साढ़े 5 महीने की मेहनत और 3.30 लाख कमाई

बिना किसी रसायनिक स्प्रे और केमिकल के हमीरपुर जिले के बड़सर गांव बडितर में प्रगतिशील किसान सुभाष कुमार ने अमेरिकन केसर को उगाने में सफलता हासिल की है. कोरोना काल में पिछले साल सुभाष साढ़े तीन लाख रुपये का केसर बेच चुके हैं. कम लागत में केसर की यह खेती फायदे (Benefits of saffron cultivation) का सौदा है. एक दोस्त से राय लेने के बाद सुभाष ने यह कमाल कर दिखाया है. ठंडे इलाके में पैदा किए जाने वाले केसर को गर्म इलाके में उगाने में सुभाष ने कामयाबी हासिल कर खेती से कमाई की चाह रखने वाले लोगों के लिए मिसाल कायम की है.

saffron cultivation in himachal
हिमाचल में केसर की खेती
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Published : Feb 23, 2022, 10:04 PM IST

हमीरपुर: गोबर की खाद के 8 टोकरे, 300 ग्राम बीज, साढ़े 5 महीने के अथक प्रयास और नतीजा 3 लाख 30 हजार का मुनाफा. यह कहानी है केसर की खेती करने वाले हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के प्रगतिशील किसान सुभाष कुमार की. सुभाष कुमार पुरोहित का काम करते थे और कोरोना काल में जब लॉकडाउन लगा तो मजबूरन घर लौट आए.

उत्तराखंड के ऋषिकेश में मंदिर में पुरोहित का काम किया करते थे. जब घर लौटे तो बेरोजगार हो गए. फिर एक दोस्त के सलाह से पारंपरिक खेती को छोड़कर केसर की खेती का रुख किया. बिना किसी रसायनिक स्प्रे और केमिकल के हमीरपुर जिले के बड़सर गांव बडितर में प्रगतिशील किसान सुभाष कुमार ने अमेरिकन केसर को उगाने में सफलता हासिल की है.

कोरोना काल में पिछले साल सुभाष साढ़े तीन लाख रुपये का केसर बेच चुके हैं. कम लागत में केसर की यह खेती फायदे (Benefits of saffron cultivation) का सौदा है. एक दोस्त से राय लेने के बाद सुभाष ने यह कमाल कर दिखाया है. ठंडे इलाके में पैदा किए जाने वाले केसर को गर्म इलाके में उगाने में सुभाष ने कामयाबी हासिल कर खेती से कमाई की चाह रखने वाले लोगों के लिए मिसाल कायम की है.

साढ़े 5 महीने में 3 लाख 30 हजार का मुनाफा: सुभाष की सफलता पर यह कहना गलत नहीं होगा पारंपरिक फसलों की खेती के साथ-साथ अगर किसान नकदी फसलें भी उगाएं तो वे उनकी आय में अच्छी-खासी वृद्धि हो सकती है. कम जमीन से भी अच्छी आय अर्जित करके वे घर में ही अच्छी आजीविका पा सकते हैं.

वीडियो.

हमीरपुर जिले के बड़सर उपमंडल के गांव बडितर के सुभाष कुमार (saffron cultivation in Hamirpur) ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है. लगभग एक कनाल भूमि पर अमेरिकन केसर की खेती से महज साढ़े 5 महीने में 3 लाख 30 हजार का मुनाफा कमाया है. पिछले वर्ष कोरोना संकट के दौरान उन्हें उत्तराखंड के एक मित्र से अमेरिकन केसर की खेती के बारे में जानकारी मिली. उन्होंने लगभग एक कनाल जमीन पर इसकी बिजाई की.

फसल तैयार होने पर उन्होंने आयुर्वेदिक कंपनी को लगभग पांच किलोग्राम केसर साढ़े तीन लाख रुपये में बेचा. सुभाष पुरोहित का काम कर महीने में औसतन 8 से 10 हजार की कमाई करते थे. वहीं, केसर की खेती से कमाई की बात करें तो साढ़े 5 महीने के हिसाब से प्रतिमाह यह कमाई 60 हजार बन रही है.

यूट्यूब की मदद से सीखी केसर की खेती की बारीकियां: केसर उगाने की सफलता तक पहुंचना सुभाष के लिए आसान नहीं था. दोस्त के सलाह से शुरुआत तो कर दी और बीज भी मिल गया, लेकिन बाद में जब समस्या आई तो यूट्यूब गुरु बनाया. यहां पर खेती की बारीकियां सीखीं और इसके बाद कोई समस्या आने पर किसान कॉल सेंटर पर भी लगातार कॉल करते रहे.

पहले सुभाष ने 200 ग्राम बीज को लेकर खेती शुरू की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए. पहली कोशिश में 70 से 80% पौधे नष्ट हो गए. इस कोशिश के बाद उन्होंने और बेहतर बीज दोस्त की मदद से खेतों में लगाए. इस प्रयास में सुभाष को सफलता मिली और वह लाखों रुपए का मुनाफा कमाने में भी कामयाब हुए.

केसर की खेती का उपयुक्त समय: गर्म आबोहवा में अक्टूबर महीने में ही केसर की खेती का उपयुक्त समय है और साढ़े 5 महीने में यह फसल तैयार हो जाती है. सुभाष अक्टूबर महीने में पिछले 2 साल से केसर के बीज को बो रहे हैं. साढ़े 5 महीने में फसल लेने के बाद फिर सुभाष अरबी की फसल पैदा करते हैं. पिछले साल भी वह 8 क्विंटल अरबी की फसल ले चुके हैं. ऐसे में किसानों के पास यह विकल्प भी है कि वह केसर की खेती के साथ ही साढ़े 5 महीने के बाद और फसल भी ले सकते हैं.

किसान सुभाष ने बताया कि उन्होंने पिछले साल केसर का 300 ग्राम बीज करीब 18 हजार रुपये में खरीदा था. जब इससे फसल तैयार हुई तो उन्होंने इससे करीब साढ़े तीन लाख रुपये कमाए हैं. अब उन्होंने दो कनाल भूमि में इसकी पैदावार की है. यह खेती सर्दियों के मौसम में होती है. उन्होंने कहा कि जैविक तरीके से उन्होंने यह केसर तैयार किया है और गोबर की खाद और गोमूत्र का इस्तेमाल किसके लिए किया है. उन्होंने सभी किसानों से खेती को अपनाने की अपील की है, ताकि उनकी आर्थिकी सुदृढ़ हो सके.

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सुभाष की मेहनत रंग लाई है यह देखकर उन्हें बेहद खुशी हो रही है. आज उनकी जमीन से सोना उठ रहा है तो यह सब किसानों के लिए मिसाल है. उन्होंने लगातार मेहनत कर यह कर दिखाया है.

केसर के फायदे: त्वचा की खूबसूरती से लेकर शरीर की कई तरह की परेशानी को दूर करने में केसर (benefits of saffron in hp) लाभकारी माना जाता है. केसर की तासीर गर्म होती है. कई एक्सपर्ट सर्दियों में केसर का सेवन करने की सलाह देते हैं. केसर में कई तरह के पोषक तत्व आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, थायमिन, फोलेट इत्यादि प्रमुख हैं.

केसर के इस्तेमाल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव किया जा सकता है. दरअसल, इसमें क्रोसिन नामक कैरोटीन पाया जाता है. जो पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर से बचाव करने में लाभकारी है, साथ ही केसर कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने के रोकने में लाभकारी माना जाता है.

केसर के सेवन से सांस से जुड़ी परेशानी जैसे-अस्थमा, एलर्जी, फेफड़ों में सूजन को कम किया जा सकता है. अगर आपको किसी कारण से सांस लेने में परेशानी हो रही है, तो आप दूध के साथ केसर का सेवन कर सकते हैं. इससे आपको काफी लाभ मिलेगा.

ये भी पढ़ें- Hydroponic Farming: न मिट्टी न जमीन की जरूरत, अब किसान हवा और पानी से ही कर सकेंगे खेती

हमीरपुर: गोबर की खाद के 8 टोकरे, 300 ग्राम बीज, साढ़े 5 महीने के अथक प्रयास और नतीजा 3 लाख 30 हजार का मुनाफा. यह कहानी है केसर की खेती करने वाले हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के प्रगतिशील किसान सुभाष कुमार की. सुभाष कुमार पुरोहित का काम करते थे और कोरोना काल में जब लॉकडाउन लगा तो मजबूरन घर लौट आए.

उत्तराखंड के ऋषिकेश में मंदिर में पुरोहित का काम किया करते थे. जब घर लौटे तो बेरोजगार हो गए. फिर एक दोस्त के सलाह से पारंपरिक खेती को छोड़कर केसर की खेती का रुख किया. बिना किसी रसायनिक स्प्रे और केमिकल के हमीरपुर जिले के बड़सर गांव बडितर में प्रगतिशील किसान सुभाष कुमार ने अमेरिकन केसर को उगाने में सफलता हासिल की है.

कोरोना काल में पिछले साल सुभाष साढ़े तीन लाख रुपये का केसर बेच चुके हैं. कम लागत में केसर की यह खेती फायदे (Benefits of saffron cultivation) का सौदा है. एक दोस्त से राय लेने के बाद सुभाष ने यह कमाल कर दिखाया है. ठंडे इलाके में पैदा किए जाने वाले केसर को गर्म इलाके में उगाने में सुभाष ने कामयाबी हासिल कर खेती से कमाई की चाह रखने वाले लोगों के लिए मिसाल कायम की है.

साढ़े 5 महीने में 3 लाख 30 हजार का मुनाफा: सुभाष की सफलता पर यह कहना गलत नहीं होगा पारंपरिक फसलों की खेती के साथ-साथ अगर किसान नकदी फसलें भी उगाएं तो वे उनकी आय में अच्छी-खासी वृद्धि हो सकती है. कम जमीन से भी अच्छी आय अर्जित करके वे घर में ही अच्छी आजीविका पा सकते हैं.

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हमीरपुर जिले के बड़सर उपमंडल के गांव बडितर के सुभाष कुमार (saffron cultivation in Hamirpur) ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है. लगभग एक कनाल भूमि पर अमेरिकन केसर की खेती से महज साढ़े 5 महीने में 3 लाख 30 हजार का मुनाफा कमाया है. पिछले वर्ष कोरोना संकट के दौरान उन्हें उत्तराखंड के एक मित्र से अमेरिकन केसर की खेती के बारे में जानकारी मिली. उन्होंने लगभग एक कनाल जमीन पर इसकी बिजाई की.

फसल तैयार होने पर उन्होंने आयुर्वेदिक कंपनी को लगभग पांच किलोग्राम केसर साढ़े तीन लाख रुपये में बेचा. सुभाष पुरोहित का काम कर महीने में औसतन 8 से 10 हजार की कमाई करते थे. वहीं, केसर की खेती से कमाई की बात करें तो साढ़े 5 महीने के हिसाब से प्रतिमाह यह कमाई 60 हजार बन रही है.

यूट्यूब की मदद से सीखी केसर की खेती की बारीकियां: केसर उगाने की सफलता तक पहुंचना सुभाष के लिए आसान नहीं था. दोस्त के सलाह से शुरुआत तो कर दी और बीज भी मिल गया, लेकिन बाद में जब समस्या आई तो यूट्यूब गुरु बनाया. यहां पर खेती की बारीकियां सीखीं और इसके बाद कोई समस्या आने पर किसान कॉल सेंटर पर भी लगातार कॉल करते रहे.

पहले सुभाष ने 200 ग्राम बीज को लेकर खेती शुरू की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए. पहली कोशिश में 70 से 80% पौधे नष्ट हो गए. इस कोशिश के बाद उन्होंने और बेहतर बीज दोस्त की मदद से खेतों में लगाए. इस प्रयास में सुभाष को सफलता मिली और वह लाखों रुपए का मुनाफा कमाने में भी कामयाब हुए.

केसर की खेती का उपयुक्त समय: गर्म आबोहवा में अक्टूबर महीने में ही केसर की खेती का उपयुक्त समय है और साढ़े 5 महीने में यह फसल तैयार हो जाती है. सुभाष अक्टूबर महीने में पिछले 2 साल से केसर के बीज को बो रहे हैं. साढ़े 5 महीने में फसल लेने के बाद फिर सुभाष अरबी की फसल पैदा करते हैं. पिछले साल भी वह 8 क्विंटल अरबी की फसल ले चुके हैं. ऐसे में किसानों के पास यह विकल्प भी है कि वह केसर की खेती के साथ ही साढ़े 5 महीने के बाद और फसल भी ले सकते हैं.

किसान सुभाष ने बताया कि उन्होंने पिछले साल केसर का 300 ग्राम बीज करीब 18 हजार रुपये में खरीदा था. जब इससे फसल तैयार हुई तो उन्होंने इससे करीब साढ़े तीन लाख रुपये कमाए हैं. अब उन्होंने दो कनाल भूमि में इसकी पैदावार की है. यह खेती सर्दियों के मौसम में होती है. उन्होंने कहा कि जैविक तरीके से उन्होंने यह केसर तैयार किया है और गोबर की खाद और गोमूत्र का इस्तेमाल किसके लिए किया है. उन्होंने सभी किसानों से खेती को अपनाने की अपील की है, ताकि उनकी आर्थिकी सुदृढ़ हो सके.

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सुभाष की मेहनत रंग लाई है यह देखकर उन्हें बेहद खुशी हो रही है. आज उनकी जमीन से सोना उठ रहा है तो यह सब किसानों के लिए मिसाल है. उन्होंने लगातार मेहनत कर यह कर दिखाया है.

केसर के फायदे: त्वचा की खूबसूरती से लेकर शरीर की कई तरह की परेशानी को दूर करने में केसर (benefits of saffron in hp) लाभकारी माना जाता है. केसर की तासीर गर्म होती है. कई एक्सपर्ट सर्दियों में केसर का सेवन करने की सलाह देते हैं. केसर में कई तरह के पोषक तत्व आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, थायमिन, फोलेट इत्यादि प्रमुख हैं.

केसर के इस्तेमाल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव किया जा सकता है. दरअसल, इसमें क्रोसिन नामक कैरोटीन पाया जाता है. जो पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर से बचाव करने में लाभकारी है, साथ ही केसर कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने के रोकने में लाभकारी माना जाता है.

केसर के सेवन से सांस से जुड़ी परेशानी जैसे-अस्थमा, एलर्जी, फेफड़ों में सूजन को कम किया जा सकता है. अगर आपको किसी कारण से सांस लेने में परेशानी हो रही है, तो आप दूध के साथ केसर का सेवन कर सकते हैं. इससे आपको काफी लाभ मिलेगा.

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