हमीरपुर: 70 बरस की उम्र में 15 घंटे तक काम करने के बारे में सोचना ही बेहद मुश्किल है. इस उम्र में हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में सेना से सेवानिवृत्त कैप्टन बागवानी और खेती के अनूठे तरीके के लिए अब मिसाल बने हैं. 25 कनाल भूमि में सेवानिवृत्त कैप्टन प्रकाश चंद बागवानी (Hamirpur horticulturist Prakash Chand) और खेती दोनों एक साथ कर रहे हैं. मौसमी, अनार, सेब, कीवी, नाशपाती की पैदावार के साथ ही प्रगतिशील किसान प्रकाश चंद सब्जियां और अनाज भी एक ही खेत में उगा रहे हैं.
जमीन के एक ही टुकड़े पर सब्जियां भी और गेहूं और मक्की भी: पारंपरिक खेती के साथ ही नगदी फसलों तथा फलों की पैदावार (fruit production in Hamirpur) से वह खूब मुनाफा भी कमा रहे हैं. पारंपरिक अनाज की पैदावार से जहां उन्हें नाम मात्र मुनाफा होता था तो वहीं, अब उनका मुनाफा 7 से 8 गुना बढ़ गया है. एक सीजन में ही वह 40 क्विंटल मौसमी बेच चुके हैं. बता दें कि निर्धारित दूरी के तहत अनार और मौसमी के पौधे 25 कनाल भूमि में प्रकाश चंद ने लगाए हैं और वह निर्धारित दूरी के बीच सब्जियों और गेहूं और मक्की को भी उगाते हैं.
एक ही खेत में वह दोहरी पैदावार लेकर अपना मुनाफा बढ़ा रहे हैं. खेती की उनकी इस तरकीब को देख कर अब आस पड़ोस के ग्रामीण भी खेती के इस तरीके को अपनाने लगे हैं. इतना ही नहीं कृषि और बागवानी विभाग के अधिकारी किसानों को यहां पर विजिट के लिए लाते हैं, ताकि सभी उनसे प्रेरणा ले सकें.
34 बरस तक सेना में दी हैं सेवाएं: प्रगतिशील किसान सेवानिवृत्त कैप्टन प्रकाश चंद 34 वर्ष तक भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं. सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने पारंपरिक खेती के तरीके को बदला और बागवानी के आधुनिक तरीके को अपनाया. 70 बरस की उम्र में भी प्रकाश चंद सुबह 6 बजे ही उठ जाते हैं और खेतों में काम करने के उनके दिनचर्या शुरू हो जाती है. दिन में 15 घंटे वह अपना समय खेतों में ही गुजारते हैं. प्रगतिशील किसान प्रकाश चंद की पत्नी कश्मीरा देवी कहते हैं कि पति सुबह उठ जाते हैं. कभी-कभी तो वहां खाना भी खेतों में ही खाते हैं दिन भर खेतों में ही काम में लगे रहते हैं.
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25 कनाल भूमि में 1000 पौधे, कमाई 7 से 8 गुना बढ़ी: किसान प्रकाश चंद ने अपनी 25 कनाल भूमि में 1000 पौधे लगा चुके हैं. 650 मौसमी और 350 अनार के पौधे इसमें शामिल है. अनार और मौसमी के साथ ही वह प्याज, लहुसन, अदरक, अरबी, धनिया, मेथी, चने, मटर, गोभी, आलू और मौसम के अनुसार हर सब्जी की पैदावार वह लेते हैं. पिछले 15 वर्षों से उन्होंने दुकान से सब्जियां नहीं खरीदी हैं. कमाई के अगर बात करें तो प्रकाश चंद पिछले सीजन में 50,000 से अधिक के अनार और मौसमी बेच चुके हैं.
ऑर्गेनिक है यह खेती, बिजली का भी कोई बिल नहीं: पूर्व सैनिक का प्रकाश चंद (horticulture and farming in Himachal) की यह खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक (Organic Farming Hamirpur) है. वह इस खेती के दौरान गोबर की खाद का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि बागवानी में जब मौसमी और अनार के पौधों पर फ्लावरिंग (Flowering on Pomegranate Plants) होती है तो हल्की फुल्की स्प्रे करनी पड़ती है.
प्रकाश चंद कहते हैं कि उनकी कोशिश रहती है कि यह स्प्रे कम से कम हो, लेकिन फ्लावरिंग के वक्त फसलों को नुकसान (damage to crops) का डर होता है. ऐसे में थोड़ी बहुत स्प्रे करनी पड़ती है. इतना ही नहीं सरकारी योजनाओं का भी उन्हें पूरा ज्ञान है जिस वजह से सोलर प्लांट के जरिए वह बिजली का उत्पादन (electricity production in HP) भी अपने घर की छत पर कर रहे हैं.
कृषि प्रसार अधिकारी हमीरपुर अशोक कुमार कहते हैं कि प्रगतिशील किसान प्रकाश चंद अन्य किसानों के लिए प्रेरणा है वह विभागीय कार्यक्रमों में अक्सर उनकी मिसाल देते हैं. किसानों को यहां पर लाया जाता है, ताकि वह खेती के इस अनूठे तरीके को देखकर प्रेरित हो सकें. पहले उन्हें एक्सपोजर विजिट के लिए किसानों को बाहरी राज्यों में ले जाना पड़ता था, लेकिन अब वह उन्हें प्रगतिशील किसान प्रकाश चंद के खेतों में लाते हैं.
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