हमीरपुर: सोमवार को हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड इंप्लाइज यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा की अगुवाई में आईपीएच आउटसोर्स कर्मचारियों का प्रतिनिधिमंडल (Hamirpur IPH Outsource Employees) उपायुक्त हमीरपुर देव श्वेता बनिक से (IPH outsourced employees met DC Hamirpur) मिला. उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर समस्या के स्थाई समाधान की मांग की गई है. बता दें कि जल शक्ति विभाग की पेयजल योजनाओं को संचालित कर रहे ठेकेदार के माध्यम से रखे गए आउटसोर्स कर्मचारियों को सात से आठ महीनों के वेतन की अदायगी नहीं की गई है. मात्र पांच से छह हजार मासिक वेतन पर रखे गए इन कर्मचारियों के लिए अपने परिवार का भरण पोषण करना सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है.
अपनी मांगों को लेकर पहले भी जल शक्ति विभाग नादौन और धनेटा के तहत आउटसोर्स कर्मचारी उपायुक्त हमीरपुर देवश्वेता बनिक (DC Hamirpur Dev Shweta Banik) को ज्ञापन सौंप चुके हैं. उस दौरान भी समय पर वेतन ना मिलने की मांग रखी गई थी. उपायुक्त से मिलने के बाद इन्हें कुछ महीने के वेतन की अदायगी की गई, लेकिन अभी भी कई महीनों के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. मामला प्रशासन के ध्यान में लाने के बाद ठेकेदारों द्वारा इन्हें नौकरी से निकालने तक की धमकी भी दी जा रही है. यह भी कहा जा रहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए गठित कमेटी को भेजे जाने वाली सूची में आपका नाम नहीं डाला जाएगा.
हिमाचल विद्युत बोर्ड इंप्लाइज यूनियन (Himachal Electricity Board Employees Union) के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने बताया कि इन कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है. विभाग द्वारा ठेकेदार को प्रति कर्मचारी 12 से 14 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है, लेकिन कर्मियों को सिर्फ पांच से छह हजार मासिक वेतन दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्किल्ड वर्कर्स को 5500 जबकि अनस्किल्ड वर्कर को ₹5000 वेतन ठेकेदार के माध्यम से मिल रहा है. उन्होंने बताया कि जब इस बारे में अधीक्षण अभियंता से भी बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि अनस्किल्ड वर्कर्स की एवज में प्रति कर्मी 12,000 से अधिक का वेतन ठेकेदार को दिया जाता है. वहीं, स्किल्ड वर्कर्स की एवज में प्रति कर्मी 14 हजार से अधिक रुपए ठेकेदार को दिए जा रहे हैं.
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकार को आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति (Demand to policy for outsourced employees) बनानी चाहिए. वेतन विसंगति को दूर करने का भी प्रावधान हो ताकि इन्हें अपने परिवार का भरण पोषण करने में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. साथ ही ठेकेदार के माध्यम से दिया जाने वाला वेतन इनके अकाउंट में नहीं डाला जाता बल्कि कैश दिया जाता है. वेतन की अदायगी सीधे अकाउंट में होनी चाहिए ताकि इससे जहां वेतन प्राप्त करने वालों के पास वेतन अदायगी का प्रूफ होगा वहीं, ठेकेदार के पास भी अदायगी का रिकॉर्ड रहेगा.
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