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NMC बिल के विरोध में डॉक्टर्स ने लगाए काले बैज, बोले- फैसले से छिन जाएगा सस्ती एजुकेशन का हक

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में एनएमसी बिल के विरोध में डॉक्टरों ने काले बैज लगाकर सेवाएं दी. डॉक्टर्स का कहना है कि इस फैसले के बाद गरीब छात्रों का नुकसान होगा.

काले बैज लगा कर बिल का विरोध जताते हुए डॉक्टर
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Published : Aug 2, 2019, 4:11 AM IST

Updated : Aug 2, 2019, 4:32 AM IST

हमीरपुरः एनएमसी बिल 2019 के विरोध का ज्यादा असर जिला हमीरपुर में भी देखने को मिला. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में एनएमसी बिल के विरोध में डॉक्टरों ने काले बैज लगाकर दिनभर सेवाएं दी. साथ ही उन्होंने नेशनल मेडिकल कमिशन बिल के खिलाफ नाराजगी जाहिर दी.

इस बारे में हमीरपुर के डॉक्टर्स यूनियन ने कहा कि निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस पर नियंत्रण समाप्त करने का फैसला लिया है. बिल में कहा है कि वे फीस को नियंत्रित करने के लिए निजी मेडिकल कॉलेजों को निर्देश जारी करेंगे. अब केवल 50 प्रतिशत सीटों पर ही फीस कम की जाएगी, जबकि ये इससे पहले 85 प्रतिशत सीटों पर लागू होती थी. बिल के कारण कॉलेजों में मेडिकल एजुकेशन महंगी हो जाएगी.

वीडियो रिपोर्ट

यूनियन सदस्यों ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस विधेयक में निरीक्षण या शिकायत निवारण का भी कोई प्रावधान नहीं है. निजी कॉलेज खुले तौर पर दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हैं और करोड़ों रुपये कमायेंगे.

ये भी पढ़ेः HPU कुलपति ने विभिन्न कॉलेजों के प्रचार्यों के साथ की बैठक, समस्याओं को दूर करने का दिया आश्वासन

डॉक्टर्स का कहना है कि इस फैसले के बाद गरीब छात्र मेडिकल की शिक्षा पाने में असमर्थ हो जाएंगे. उन्हें मिलने वाली गुणवत्ता पूर्ण सस्ती मेडिकल शिक्षा का अधिकार उनसे छीन लिया जाएगा.

बता दें, सरकार ने बिल को देश को मेडिकल एजुकेशन की दिशा में सबसे बड़ा सुधार बताया है. विधेयक के तहत इंडियन मेडिकल कांउसिल ऐक्ट 1956 को हटा दिया जाएगा. दूसरी ओर इस विधेयक में संशोधन की मांग करते हुए देश भर में डॉक्टर्स हड़ताल पर है.

ये भी पढ़ेः कनिष्ठ तकनीकी सहायक भर्ती परीक्षा का फाइनल रिजल्ट घोषित, ये रहे सफल

हमीरपुरः एनएमसी बिल 2019 के विरोध का ज्यादा असर जिला हमीरपुर में भी देखने को मिला. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में एनएमसी बिल के विरोध में डॉक्टरों ने काले बैज लगाकर दिनभर सेवाएं दी. साथ ही उन्होंने नेशनल मेडिकल कमिशन बिल के खिलाफ नाराजगी जाहिर दी.

इस बारे में हमीरपुर के डॉक्टर्स यूनियन ने कहा कि निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस पर नियंत्रण समाप्त करने का फैसला लिया है. बिल में कहा है कि वे फीस को नियंत्रित करने के लिए निजी मेडिकल कॉलेजों को निर्देश जारी करेंगे. अब केवल 50 प्रतिशत सीटों पर ही फीस कम की जाएगी, जबकि ये इससे पहले 85 प्रतिशत सीटों पर लागू होती थी. बिल के कारण कॉलेजों में मेडिकल एजुकेशन महंगी हो जाएगी.

वीडियो रिपोर्ट

यूनियन सदस्यों ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस विधेयक में निरीक्षण या शिकायत निवारण का भी कोई प्रावधान नहीं है. निजी कॉलेज खुले तौर पर दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हैं और करोड़ों रुपये कमायेंगे.

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डॉक्टर्स का कहना है कि इस फैसले के बाद गरीब छात्र मेडिकल की शिक्षा पाने में असमर्थ हो जाएंगे. उन्हें मिलने वाली गुणवत्ता पूर्ण सस्ती मेडिकल शिक्षा का अधिकार उनसे छीन लिया जाएगा.

बता दें, सरकार ने बिल को देश को मेडिकल एजुकेशन की दिशा में सबसे बड़ा सुधार बताया है. विधेयक के तहत इंडियन मेडिकल कांउसिल ऐक्ट 1956 को हटा दिया जाएगा. दूसरी ओर इस विधेयक में संशोधन की मांग करते हुए देश भर में डॉक्टर्स हड़ताल पर है.

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Intro:मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में एनएमसी बिल के विरोध में डॉक्टरों ने काले बिल्ले लगाकर दी सेवाएं
हमीरपुर.
एनएमसी बिल के विरोध का का व्यापक असर हमीरपुर जिला में भी देखने को मिला. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में एनएमसी बिल के विरोध में डॉक्टरों ने काले बिल्ले लगाकर दिनभर सेवाएं दी. चिकित्सकों ने काले बिल्ले लगाकर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2019 के खिलाफ विरोध को समर्थन दिया है. बता दें कि केंद्र सरकार ने निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस पर नियंत्रण समाप्त करने का फैसला किया है और बिल में कहा है कि वे फेस को नियंत्रित करने के लिए निजी मेडिकल कॉलेजों को निर्देश जारी करेंगे अब केवल 50 प्रतिशत सीटों पर ही फीस कम की जाएगी जबकि यह पूर्व में 85 प्रतिशत सीटों पर लागू होती थी डॉक्टर यूनियन का दावा है कि इस विधेयक में निरीक्षण अथवा शिकायत निर्मा डॉक्टर यूनियन का दावा है कि इस विधेयक में निरीक्षण अथवा शिकायतें निवारण का भी कोई प्रावधान नहीं है इसलिए यह कॉलेज खुले तौर पर दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं और करोड़ों रुपए कमाते हैं.
चिकित्सकों का कहना है कि इस फैसले के बाद गरीब छात्र कहां जाएंगे उन्हें मिलने वाली गुणवत्ता पूर्ण सस्ती चिकित्सा शिक्षा का अधिकार उनसे छीन दिया जाएगा.

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डॉक्टर यूनियन हमीरपुर के प्रतिनिधि डॉक्टर अभिषेक ने कहा कि इस विधेयक के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता को एमबीबीएस डॉक्टरों की जगह रखा जाएगा यह सीएचडब्ल्यू 6 महीने के प्रशिक्षित नीम हकीम की तरह होते हैं जो गरीब लोगों का इलाज करेंगे इससे केवल स्वास्थ्य सुविधाओं की खानापूर्ति ही होगी और यह लोगों की सेहत पर भी भारी पड़ेगा.


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Conclusion:
Last Updated : Aug 2, 2019, 4:32 AM IST
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