हमीरपुरः हिमाचल में लोकसभा चुनाव 2019 में कई रिकॉर्ड ध्वस्त हुए हैं. जहां मतदाताओं ने आजादी के बाद अब तक का सर्वाधिक 72% मतदान किया तो वहीं, लोकसभा की चार सीटों पर चारों प्रत्याशियों ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज कर नया इतिहास लिखा.
देश में एनडीए ने एक बार फिर 300 के जादुई आंकड़े को पार कर अप्रत्याशित जीत हासिल की है. वहीं, मोदी की इस सुनामी के बीच हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं ने जहां रिकॉर्ड मतदान किया वहीं, उन्होंने नोटा दबाने में भी कोई झिझक नहीं दिखाई.
प्रदेश में 33,008 मतदाताओं ने नोटा बटन दबाया. इन मतदाताओं को चुनावी समर में कूदे विभिन्न दलों और निर्दलीय 45 प्रत्याशियों में से कोई भी पसंद नहीं आया. बात करें अगर लोकसभा सीट की तो कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से सबसे अधिक नोटा दबाया गया है. यहां पर कुल 11 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन 11,327 मतदाताओं को इन 11 मतदाताओं में कोई भी पसंद नहीं आया.
वहीं, नोटा दबाने में दूसरे नंबर पर शिमला संसदीय क्षेत्र रहा. यहां पर 8,357 मतदाताओं ने नोटा दबाया. शिमला सीट पर कुल 6 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. वहीं, तीसरे नंबर पर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र रहा है यहां पर 8,026 मतदाताओं ने नोटा दबाकर प्रत्याशियों को नकारा है.
चार संसदीय क्षेत्रों में सबसे कम नोटा मंडी संसदीय सीट में दबा है. यहां पर 5,298 मतदाताओं ने चुनावी समर में उतरे प्रत्याशियों को नकारा है. बता दें कि मंडी संसदीय सीट पर सबसे ज्यादा 17 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे.
पिछले लोकसभा चुनावों में नोटा को मिले कुल मतों की तुलना की जाए तो इस बार 3,721 अधिक मतदाताओं ने नोटा को चुना है. पिछले लोकसभा चुनावों में भी कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में ही सबसे अधिक नोटा दबाया गया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में 8,704 मतदाताओं ने चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों को नकार दिया था.
इसी तरह से शिमला संसदीय क्षेत्र मैं भी 2014 के लोकसभा चुनाव में 7,787 मतदाताओं ने नोटा दबाया था. इसके अलावा हमीरपुर संसदीय सीट पर 6,473 और मंडी सीट में 6,191 मतदाताओं ने सबको नकारते हुए नोटा को अपना समर्थन दिया था. बहरहाल 2019 में मोदी लहर होने के बावजूद ओवरऑल हिमाचल प्रदेश में 33,000 से अधिक लोगों ने नोटा को चुना है.
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