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हिमाचल में 'मोदी सुनामी' के बीच 33,008 ने दबाया नोटा, यह संसदीय क्षेत्र रहा सबसे आगे

देश में एनडीए ने एक बार फिर 300 के जादुई आंकड़े को पार कर अप्रत्याशित जीत हासिल की है. वहीं, मोदी की इस सुनामी के बीच हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं ने जहां रिकॉर्ड मतदान किया वहीं, उन्होंने नोटा दबाने में भी कोई झिझक नहीं दिखाई.

नोटा
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Published : May 24, 2019, 10:13 AM IST

हमीरपुरः हिमाचल में लोकसभा चुनाव 2019 में कई रिकॉर्ड ध्वस्त हुए हैं. जहां मतदाताओं ने आजादी के बाद अब तक का सर्वाधिक 72% मतदान किया तो वहीं, लोकसभा की चार सीटों पर चारों प्रत्याशियों ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज कर नया इतिहास लिखा.

देश में एनडीए ने एक बार फिर 300 के जादुई आंकड़े को पार कर अप्रत्याशित जीत हासिल की है. वहीं, मोदी की इस सुनामी के बीच हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं ने जहां रिकॉर्ड मतदान किया वहीं, उन्होंने नोटा दबाने में भी कोई झिझक नहीं दिखाई.

प्रदेश में 33,008 मतदाताओं ने नोटा बटन दबाया. इन मतदाताओं को चुनावी समर में कूदे विभिन्न दलों और निर्दलीय 45 प्रत्याशियों में से कोई भी पसंद नहीं आया. बात करें अगर लोकसभा सीट की तो कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से सबसे अधिक नोटा दबाया गया है. यहां पर कुल 11 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन 11,327 मतदाताओं को इन 11 मतदाताओं में कोई भी पसंद नहीं आया.

वहीं, नोटा दबाने में दूसरे नंबर पर शिमला संसदीय क्षेत्र रहा. यहां पर 8,357 मतदाताओं ने नोटा दबाया. शिमला सीट पर कुल 6 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. वहीं, तीसरे नंबर पर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र रहा है यहां पर 8,026 मतदाताओं ने नोटा दबाकर प्रत्याशियों को नकारा है.

चार संसदीय क्षेत्रों में सबसे कम नोटा मंडी संसदीय सीट में दबा है. यहां पर 5,298 मतदाताओं ने चुनावी समर में उतरे प्रत्याशियों को नकारा है. बता दें कि मंडी संसदीय सीट पर सबसे ज्यादा 17 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे.

पिछले लोकसभा चुनावों में नोटा को मिले कुल मतों की तुलना की जाए तो इस बार 3,721 अधिक मतदाताओं ने नोटा को चुना है. पिछले लोकसभा चुनावों में भी कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में ही सबसे अधिक नोटा दबाया गया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में 8,704 मतदाताओं ने चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों को नकार दिया था.

इसी तरह से शिमला संसदीय क्षेत्र मैं भी 2014 के लोकसभा चुनाव में 7,787 मतदाताओं ने नोटा दबाया था. इसके अलावा हमीरपुर संसदीय सीट पर 6,473 और मंडी सीट में 6,191 मतदाताओं ने सबको नकारते हुए नोटा को अपना समर्थन दिया था. बहरहाल 2019 में मोदी लहर होने के बावजूद ओवरऑल हिमाचल प्रदेश में 33,000 से अधिक लोगों ने नोटा को चुना है.

ये भी पढ़ेंः हमीरपुर सीट से अनुराग लगभग 4 लाख वोटों से जीते, टूटे पुराने सभी रिकॉर्ड

हमीरपुरः हिमाचल में लोकसभा चुनाव 2019 में कई रिकॉर्ड ध्वस्त हुए हैं. जहां मतदाताओं ने आजादी के बाद अब तक का सर्वाधिक 72% मतदान किया तो वहीं, लोकसभा की चार सीटों पर चारों प्रत्याशियों ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज कर नया इतिहास लिखा.

देश में एनडीए ने एक बार फिर 300 के जादुई आंकड़े को पार कर अप्रत्याशित जीत हासिल की है. वहीं, मोदी की इस सुनामी के बीच हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं ने जहां रिकॉर्ड मतदान किया वहीं, उन्होंने नोटा दबाने में भी कोई झिझक नहीं दिखाई.

प्रदेश में 33,008 मतदाताओं ने नोटा बटन दबाया. इन मतदाताओं को चुनावी समर में कूदे विभिन्न दलों और निर्दलीय 45 प्रत्याशियों में से कोई भी पसंद नहीं आया. बात करें अगर लोकसभा सीट की तो कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से सबसे अधिक नोटा दबाया गया है. यहां पर कुल 11 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन 11,327 मतदाताओं को इन 11 मतदाताओं में कोई भी पसंद नहीं आया.

वहीं, नोटा दबाने में दूसरे नंबर पर शिमला संसदीय क्षेत्र रहा. यहां पर 8,357 मतदाताओं ने नोटा दबाया. शिमला सीट पर कुल 6 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. वहीं, तीसरे नंबर पर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र रहा है यहां पर 8,026 मतदाताओं ने नोटा दबाकर प्रत्याशियों को नकारा है.

चार संसदीय क्षेत्रों में सबसे कम नोटा मंडी संसदीय सीट में दबा है. यहां पर 5,298 मतदाताओं ने चुनावी समर में उतरे प्रत्याशियों को नकारा है. बता दें कि मंडी संसदीय सीट पर सबसे ज्यादा 17 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे.

पिछले लोकसभा चुनावों में नोटा को मिले कुल मतों की तुलना की जाए तो इस बार 3,721 अधिक मतदाताओं ने नोटा को चुना है. पिछले लोकसभा चुनावों में भी कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में ही सबसे अधिक नोटा दबाया गया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में 8,704 मतदाताओं ने चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों को नकार दिया था.

इसी तरह से शिमला संसदीय क्षेत्र मैं भी 2014 के लोकसभा चुनाव में 7,787 मतदाताओं ने नोटा दबाया था. इसके अलावा हमीरपुर संसदीय सीट पर 6,473 और मंडी सीट में 6,191 मतदाताओं ने सबको नकारते हुए नोटा को अपना समर्थन दिया था. बहरहाल 2019 में मोदी लहर होने के बावजूद ओवरऑल हिमाचल प्रदेश में 33,000 से अधिक लोगों ने नोटा को चुना है.

ये भी पढ़ेंः हमीरपुर सीट से अनुराग लगभग 4 लाख वोटों से जीते, टूटे पुराने सभी रिकॉर्ड

Intro:हिमाचल में भाजपा की सुनामी के बीच 32 876 मतदाताओं ने दबाया नोटा, यह संसदीय क्षेत्र रहा सबसे आगे
हमीरपुर.
मोदी की सुनामी के बीच हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं ने नोटा भी जमकर दबाया है. 32876 मतदाताओं ने नोटा को अपना रुझान दिया है और इन मतदाताओं को चुनावी समर में कूदे विभिन्न दलों और निर्दलीय 45 प्रत्याशियों में से कोई भी पसंद नहीं आया है. कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से सबसे अधिक नोटा दबाया गया है यहां पर कुल 11 प्रत्याशी मैदान में थे लेकिन 11195 मतदाताओं को इन 11 मतदाताओं में कोई भी पसंद नहीं आया.


Body:वही नोटा दबाने में दूसरे नंबर पर शिमला संसदीय क्षेत्र रहा है यहां पर 8357 मतदाताओं ने नोटा दबाया है वहीं तीसरे नंबर पर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र रहा है यहां पर 8026 मतदाताओं ने नोटा दबाकर प्रत्याशियों को नकारा है. 4 संसदीय क्षेत्रों में सबसे कम नोटा मंडी संसदीय सीट में दबा है यहां पर 5298 मतदाताओं ने चुनावी समर में उतरे प्रत्याशियों को नकारा है. पिछले लोकसभा चुनावों से नोटा के रुझानों के तुलना की जाए तो इस बार 3721 अधिक मतदाताओं ने नोटा को चुना है. पिछले लोकसभा चुनावों में भी कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में ही सबसे अधिक नोटा दबाया गया था उस दौरान 8704 मतदाताओं ने चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों को नकार दिया था. इसी तरह से शिमला संसदीय क्षेत्र मैं भी बरस 2014 के लोकसभा चुनावों में 7 787 मतदाताओं ने नेता को दबाया था. इसके अलावा हमीरपुर संसदीय सीट 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में 6473 और मंडी संसदीय सीट में 6191 मतदाताओं ने चुनावी समर में कूदे प्रत्याशियों को नकारते हुए नोटा को अपना समर्थन दिया था. बरहाल इस बार ओवरऑल हिमाचल प्रदेश में प्रचंड मोदी लहर जिसे भाजपा सुनामी करार दे रही है के बावजूद भी 32000 से अधिक लोगों ने नोटा को चुना है.


Conclusion:
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