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सूखे से निपटने के लिए बागवानी विभाग की ओर से जागरूकता शिविरों का आयोजन

जिला कांगड़ा में बागवानी विभाग द्वारा जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है. बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी ने बताया कि किसानों व बागवानों की सुविधा के लिए प्लास्टिक जल भंडारण टैंक 300 लीटर व पाइप अनुदान राशि पर विभाग के विकास खण्ड स्तर पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए उप निदेशक, उद्यान या अपने नजदीकी उद्यान विभाग कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं.

awareness camp organised in una  by horticulture department
सेब के पौधे
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Published : Apr 16, 2021, 9:58 PM IST

धर्मशाला: बागवानी विभाग द्वारा जिला कांगड़ा में सूखे से निपटने के लिए अनेक प्रबन्ध किए जा रहे हैं. बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी ने बताया कि विभाग द्वारा जिला के विभिन्न विकास खंडों में पंचायत स्तर पर किसानों व बागवानों को सूखा प्रबंध हेतु जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है. जिसके तहत लगभग 150 शिविरों का आयोजन किया जा रहा है. इन शिविरों में बागवानों को सूखे से निपटने के लिए विभिन्न उपायों, तकनीकों व सरकार द्वारा जल प्रबंधन हेतु चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी प्रदान की जा रही है.

तीन-चार महीनों से पर्याप्त वर्षा नहीं होने पर सूखे जैसी स्थिति

डॉ. कमलशील नेगी ने बताया कि बागवान पौधों के तोलियां (बेसिन) में नमी बनाए रखने के लिए सूखे घास या भूसे की 15 सेंटीमीटर मोटी परत या पॉलिथीन/प्लास्टिक मल्च बिछाएं. यह भूमि से नमी के वाष्पीकरण को रोकेगी तथा भूमि में खरपतवार को भी नहीं उगने देगी. फलदार पौधों की जड़े अनाज वाली फसलों तथा सब्जियों की अपेक्षा गहरी होती है, इसलिए कुछ हद तक सूखे की स्थिति को झेल सकती है, लेकिन जिले में पिछले लगभग तीन-चार महीनों से पर्याप्त वर्षा नहीं होने पर सूखे जैसी स्थिति पैदा हो गई है. जिसका विपरीत प्रभाव फल-पौधों पर भी पड़ सकता है.

नजदीकी उद्यान विभाग कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं

उन्होंने बताया कि आजकल जिला में आम, लीची व नींबू इत्यादि फल-पौधों में फलन हो रहा है. इसलिए मिट्टी में पर्याप्त नमी होना अत्यंत आवश्यक है, ताकि बागवान गुणवत्तायुक्त अच्छी उपज ले सकें. सूक्ष्म सिंचाई (टपक/फब्बारा) पानी तथा खाद पौधें की जड़ों में पहुंचाने का उत्तम तरीका है. जिला में जिन किसानों के पास पानी का उचित स्त्रोत उपलब्ध हैं. वह बगीचे में टपक/फब्बारों, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली स्थापित करने हेतु 80 प्रतिशत अनुदान राशि पर प्रधानमंत्री कृषि सिुचाई योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकते हैं. टपक सिंचाई से जहां पानी की 50-60 प्रतिशत बचत होती है, वहां पानी सीधा पौधों की जड़ों को प्राप्त होता है.

किसानों व बागवानों की सुविधा के लिए प्लास्टिक जल भंडारण टैंक 300 लीटर व पाइप अनुदान राशि पर विभाग के विकास खण्ड स्तर पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए उप निदेशक, उद्यान या अपने नजदीकी उद्यान विभाग कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: ऊना: डीसी ने जिला में अवैध रूप से चल रहे नशा निवारण केंद्रों की सूची तैयार करने के दिए निर्देश

धर्मशाला: बागवानी विभाग द्वारा जिला कांगड़ा में सूखे से निपटने के लिए अनेक प्रबन्ध किए जा रहे हैं. बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी ने बताया कि विभाग द्वारा जिला के विभिन्न विकास खंडों में पंचायत स्तर पर किसानों व बागवानों को सूखा प्रबंध हेतु जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है. जिसके तहत लगभग 150 शिविरों का आयोजन किया जा रहा है. इन शिविरों में बागवानों को सूखे से निपटने के लिए विभिन्न उपायों, तकनीकों व सरकार द्वारा जल प्रबंधन हेतु चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी प्रदान की जा रही है.

तीन-चार महीनों से पर्याप्त वर्षा नहीं होने पर सूखे जैसी स्थिति

डॉ. कमलशील नेगी ने बताया कि बागवान पौधों के तोलियां (बेसिन) में नमी बनाए रखने के लिए सूखे घास या भूसे की 15 सेंटीमीटर मोटी परत या पॉलिथीन/प्लास्टिक मल्च बिछाएं. यह भूमि से नमी के वाष्पीकरण को रोकेगी तथा भूमि में खरपतवार को भी नहीं उगने देगी. फलदार पौधों की जड़े अनाज वाली फसलों तथा सब्जियों की अपेक्षा गहरी होती है, इसलिए कुछ हद तक सूखे की स्थिति को झेल सकती है, लेकिन जिले में पिछले लगभग तीन-चार महीनों से पर्याप्त वर्षा नहीं होने पर सूखे जैसी स्थिति पैदा हो गई है. जिसका विपरीत प्रभाव फल-पौधों पर भी पड़ सकता है.

नजदीकी उद्यान विभाग कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं

उन्होंने बताया कि आजकल जिला में आम, लीची व नींबू इत्यादि फल-पौधों में फलन हो रहा है. इसलिए मिट्टी में पर्याप्त नमी होना अत्यंत आवश्यक है, ताकि बागवान गुणवत्तायुक्त अच्छी उपज ले सकें. सूक्ष्म सिंचाई (टपक/फब्बारा) पानी तथा खाद पौधें की जड़ों में पहुंचाने का उत्तम तरीका है. जिला में जिन किसानों के पास पानी का उचित स्त्रोत उपलब्ध हैं. वह बगीचे में टपक/फब्बारों, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली स्थापित करने हेतु 80 प्रतिशत अनुदान राशि पर प्रधानमंत्री कृषि सिुचाई योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकते हैं. टपक सिंचाई से जहां पानी की 50-60 प्रतिशत बचत होती है, वहां पानी सीधा पौधों की जड़ों को प्राप्त होता है.

किसानों व बागवानों की सुविधा के लिए प्लास्टिक जल भंडारण टैंक 300 लीटर व पाइप अनुदान राशि पर विभाग के विकास खण्ड स्तर पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए उप निदेशक, उद्यान या अपने नजदीकी उद्यान विभाग कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं.

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