कांगड़ा: शाहपुर के भडियाड़ा वार्ड से जिला परिषद सदस्य जितेंद्र पंकू की अगुवाई में सोमवार को धर्मशाला में तिरंगा यात्रा निकाली गई. शहीद स्मार्क से होते हुये जिलाधीश कार्यालय तक निकाली गई इस तिरंगा यात्रा में कांगड़ा के उन नौजवानों ने भी हिस्सा लिया जिनकी साल 2018 में आर्मी में भर्ती हुई थी. बावजूद इसके उनकी आज दिन तक लिखित परीक्षा नहीं हो पाई है, इस बात को लेकर 50 मीटर लंबा तिरंगा लेकर सड़कों पर निकले इन (Youth took out Tiranga yatra in Dharamshala) युवाओं ने सरकार के प्रति अपना रोष व्यक्त किया. युवाओं ने मांग करते हुए कहा कि अग्निपथ योजना को लागू करने से पहले सरकार पहले ली गई भर्ती प्रक्रिया को पूरी करे.
जितेंद्र पंकू ने कहा कि अग्निपथ योजना को केंद्र सरकार शौक से लागू करे, मगर वो पहले पुरानी भर्ती को पूरा करे. उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि आज वो कांगड़ा के सांसद और जिलाधीश को ज्ञापन सौंपने आए हैं कि हिमाचल में जिन युवाओं के खिलाफ मुकद्दमें दर्ज किये गए हैं उन्हें तुरंत वापस लिया जाये. हिमाचल में किसी भी युवा ने कोई तोड़फोड़ नहीं की है और न ही किसी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि यूं भी सरकारी संपत्ति सरकार की ही नहीं हमारी ही संपत्ति होती है. उसे नुकसान पहुंचाना भी नहीं चाहिए, उसकी वो भी निंदा करते हैं. मगर यहां ऐसा कुछ भी न होने के बावजूद युवाओं के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं जो कि सरासर गलत है.
उन्होंने जिलाधीश को ज्ञापन सौंपकर सरकार से मांग की है कि युवाओं के भविष्य के साथ खिलावाड़ न किया जाए. वहीं, उन्होंने सांसद किशन कपूर को भी ज्ञापन सौंपने की बात कही, ताकि वो भी केंद्र में यहां के युवाओं का दर्द बयान कर सकें. उन्होंने सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि पहले से ही कई विभागों में रिक्तियां चली हुई हैं वहां अब तक पद नहीं भरे गए तो सीएम जयराम किस संदर्भ में कह रहे हैं कि अग्निवीरों (Agnipath Recruitment Scheme) को हिमाचल में नौकरियां मिलेंगी. वहीं, युवाओं ने भी अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि वो पहले ही भर्ती दे चुके हैं मगर उनकी अब तक लिखित परीक्षा नहीं ली गई है. सरकार पहले उस लिखित परीक्षा को मुकम्मल करे उसके बाद ही आगे की कार्रवाई अम्ल में लाएं क्योंकि अगर वो भर्ती नहीं होती है तो बहुत से युवा ओवरेज हो जाएंगे. उसके बाद उनके लिये आर्मी में जाने का कोई औचित्य ही नहीं रहेगा.
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