बिलासपुर: जोनल अस्पताल बिलासपुर में चार साल बाद शुरू हुई सीटी स्कैन मशीन की सुविधा एक बार फिर से ठप हो गई है. करोड़ों रुपये की लागत से स्थापित की गई मशीन एक दो माह के भीतर ही खराब हो गई. 10 फरवरी 2022 को सदर विधायक सुभाष ठाकुर द्वारा इसका बकायदा शुभारंभ किया गया था, लेकिन हैरान करने की बात है कि करोड़ों रुपये की मशीन दो माह के भीतर ही हांफ गई.
बता दें कि इससे पहले लगभग चार सालों से जिला अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा नहीं थी. ऐसे में अगर लोगों को सीटी करवाने के लिए निजी अस्पतालों या फिर जिले से बाहर स्थित अस्पतालों में जाकर यह टेस्ट करवाने पड़ते थे, लेकिन दो माह पहले यह सुविधा यहां पर शुरू की गई, लेकिन अब फिर से यह सुविधा बंद होने से मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
बिलासपुर जिले के विभिन्न स्थानों से अस्पताल में पहुंचे मरीजों का कहना है कि यहां से यह सुविधा न मिलने से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बताते चलें कि जिला अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा न मिलना एक राजनीति रूप भी धारण कर चुका था. इस मशीन को शुरू करने के लिए जिला कांग्रेस कमेटी, युवा कांग्रेस सहित जिले की कई विभिन्न संस्थाओं ने प्रदर्शन भी किया.
अंततः सरकार को दबाब में आकर यह सुविधा यहां पर शुरू करनी पड़ी, लेकिन हैरान करने की बात यह रही कि यह सुविधा तब से ठप पड़ी थी जब केंद्र में बिलासपुर के जेपी नड्डा स्वास्थ्य मंत्री हुआ करते थे. ऐसे में कई बार इस समस्या को लेकर नड्डा को भी स्थानीय जनता द्वारा अवगत करवाया गया था. वहीं, अब दो माह पहले ही दिल्ली की एक निजी कंपनी को बतौर पीपीई मोड पर इसको शुरू करने का टेंडर जारी हुआ, लेकिन दो माह के भीतर ही यह सुविधा फिर से बंद हो गई है.
क्या कहते हैं कि चिकित्सा अधीक्षक: बिलासपुर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजीव वर्मा से जब इस संदर्भ में बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह अभी अस्पताल में नहीं है. दो माह के भीतर ही मशीन खराब होना यह बात सही नहीं है. इसकी सारी जांच की जा रही है. संबंधित कंपनी के अधिकारियों को सख्त आदेश जारी किए गए हैं कि जल्द इस सुविधा को शुरू किया जाए.
रोजाना 15 से 20 से मरीजों के होते हैं सीटी स्कैन: जिला अस्पताल में मरीजों को सीटी स्कैन करवाने के लिए कहा जाता है. परिजन निजी लैब में हजारों रुपये देकर सीटी स्कैन करवा रहे हैं. अस्पताल में सीटी स्कैन 1090 रुपये में होता है. निजी लैब में चार से पांच हजार रुपये चुकाने पड़ रहे हैं.