नई दिल्ली : खाद्य तेल उद्योग के संगठनों COITO और POPPA ने पाम तेल की खेती (palm oil farming) को बढ़ावा देने के लिए 11,040 करोड़ रुपये की नई योजना का स्वागत करते हुए कहा कि इससे किसानों और अन्य अंशधारकों को दी जाने वाली सहायता के कारण खेती के रकबे को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्यतेल मिशन-तेल पाम (National Edible Oil Mission - Oil Palm) को मंजूरी दे दी, जिसका उद्देश्य वर्ष 2025-26 तक 6.5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में पाम तेल की खेती को बढ़ाना है. मौजूदा समय में, देश में केवल 3.70 लाख हेक्टेयर रकबे में पाम तेल की खेती होती है. केंद्रीय तेल उद्योग और व्यापार संगठन (Central Oil Industry and Trade Organization-COITO) के अध्यक्ष बाबूलाल दाता ने एक बयान में कहा कि यह नया मिशन सही दिशा में एक कदम है.
उन्होंने कहा कि कीमतों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आने पर किसानों को मुआवजा देने का निर्णय और लागत सब्सिडी को 12,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 29,000 रुपये प्रति हेक्टेयर करने से किसानों को पाम तेल की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह भी महत्वपूर्ण है कि पाम तेल बागान को उद्योग का दर्जा दिया जाए और एफडीआई की भी अनुमति दी जाए.
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पाम तेल उत्पादक एवं प्रसंस्करण संघ (Palm Oil Producers and Processing Association-POPPA) के अध्यक्ष संजय गोयनका ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक सुधार है और किसानों, उद्योग और अर्थव्यवस्था के लाभ के लिए इन मांगों को पूरा करने के वर्षों के प्रयास सफल हुए हैं.
उन्होंने कहा कि POPPA नोडल एजेंसी के रूप में किसान और उद्योग के लिए एक स्थायी वातावरण बनाने और इस क्षेत्र में सुधार लाने के लिए सरकार के साथ मिलकर निरंतर प्रयास करती रही है, चाहे वह मूल्य निर्धारण तंत्र हो या फसल की खेती बढ़ाने के लिए अन्य सब्सिडी उपाय करने का संदर्भ हो. उन्होंने कहा कि नई योजना से पाम तेल की खेती को व्यापक बनाने में सबसे महत्वपूर्ण अंशधारक यानी किसान को लाभ होगा और जिनके कल्याण के लिए संघ संघर्ष करता आ रहा है.
उन्होंने कहा कि मिशन के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी से इस क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
(पीटीआई-भाषा)