नई दिल्ली : भारत और मलेशिया के बीच पहले से ही कड़वे हुए रिश्तों में और भी ज्यादा कड़वाहट आ रही है क्योंकि भारत के विदेश मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन कानून पर मलेशियाई पीएम महाथिर मोहम्मद की टिप्पणी को खारिज कर दिया है.
मलेशियाई प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान भारत के नए नागरिकता कानून की आलोचना करते हुए कहा, 'मुझे यह देखकर खेद है कि भारत, जो एक धर्मनिरपेक्ष राज्य होने का दावा करता है, अब कुछ मुस्लिमों को उनकी नागरिकता से ही वंचित कर रहा है.'
भारत के विदेश मंत्रालय ने इसे तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है और एक बयान जारी करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम में गैर-नागरिकों के लिए तीन देशों से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के लिए प्राकृतिककरण के माध्यम से नागरिकता का प्रावधान है.
अधिनियम भारत के किसी भी नागरिक की स्थिति पर किसी भी तरह से प्रभाव नहीं डालता है, या किसी भारतीय को उसके या उसकी नागरिकता से वंचित भी नहीं करता है.
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इस बात ने मलेशियाई प्रधानमंत्री को तथ्यों की समझ के बिना भारत के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी करने से भी रोका है.
गौरतलब है कि भारत और मलेशिया के संबंध काफी समय से खराब चल रहे हैं. खासतौर से जब से कश्मीर से धारा 370 को निरस्त किया गया है मलेशिया जो कि पाकिस्तान का करीबी सहयोगी रहा है, ने भारत के इस कदम की आलोचना भी की थी.
बता दें मलेशियाई प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने न्यूयॉर्क में 74 वें यूएनजीए सत्र में इस मुद्दे को उठाया.