अपनी काव्य शैली के चलते सूर्य कवि कहलाए बाजे भगत, आज भी उनकी रागनियों के मुरीद हैं लोग
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बाजे भगत का जन्म सोनीपत के खरखौदा कस्बे के गांव सिसाना में हुआ था. बाजे रागनियां गाया करते थे और स्वांग भी किया करते थे. राजा महाराजा भी उनकी रागनियों के मुरीद हुआ करते थे. उनके लोक गीतों की वजह से उनका नाम बाजे राम से बाजे भगत पड़ा. उनसे जुड़े कई किस्से और कहानियां आज भी लोग सुनाते हैं.