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आरसी फर्जीवाड़ा: सॉफ्टवेयर में मिलिट्री का ऑप्शन भरकर किया जाता था रजिस्ट्रेशन - yamunanagar RC fraud case

हरियाणा में हुए आरसी फर्जीवाड़े के केस में एक और खुलासा हुआ है. पुलिस अधीक्षक के मुताबिक आरोपी सॉफ्टवेयर में मिलिट्री का ऑप्शन भरकर ये फर्जीवाड़ा करते थे.

आरसी फर्जीवाड़ा यमुनानगर
यमुनानगर पुलिस अधीक्षक
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Published : Feb 23, 2021, 3:49 PM IST

Updated : Mar 2, 2021, 1:57 PM IST

यमुनानगर: हरियाणा का आरसी फर्जीवाड़ा लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. एक तरफ सिरसा एसआईटी जांच कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ यमुनानगर की एसआईटी भी मामले की जांच कर रही है. इस मामले को लेकर सोमवार को जिला पुलिस अधीक्षक कमलदीप गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की.

आरसी फर्जीवाड़ा: सॉफ्टवेयर में मिलिट्री का ऑप्शन भरकर होता था फर्जीवाड़ा

हरियाणा का आरसी फर्जीवाड़ा जिसका सिरसा से खुलासा हुआ और इसकी जांच की आंच यमुनानगर के जगाधरी और बिलासपुर एसडीएम ऑफिस तक पहुंची. दोनों जगह मामला दर्ज हुआ. जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया. जहां बिलासपुर में अमित के खिलाफ और जगाधरी में अमित समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. तो वहीं एसआईटी ने जांच करते हुए बिलासपुर और जगाधरी के एमआरसी को गिरफ्तार कर लिया. दूसरी तरफ अमित को सिरसा से ट्रांजिट रिमांड पर लाया गया.

ये भी पढ़ें- CM सहित कई लोगों को HC के वकील का नोटिस, जेपी दलाल के किसानों पर दिए बयान पर मांगा जवाब

सोमवार को इस मामले में बड़ा खुलासा करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि ऑक्शन के वाहनों को एजेंट्स खरीद लेते थे. इसका फर्जी बिल बनाकर उनका रजिस्ट्रेशन करवाते थे. साथ ही रजिस्ट्रेशन के सॉफ्टवेयर में मिलिट्री का ऑप्शन है जिसमें एनओसी की जरूरत नहीं पड़ती इसी का फायदा उठाते हुए इन शातिर लोगों ने इस काम को अंजाम दिया. वहीं उन्होंने बताया कि इन लोगों ने वाहनों के चेसिस नंबर को भी सॉफ्टवेयर में बदल दिया था. और इन लोगों ने गाड़ियों के दाम को भी सॉफ्टवेयर में कम दिखाया जिससे रजिस्ट्रेशन की दरें कम हो गई और सरकार को राजस्व में घाटा हुआ.

वहीं बिलासपुर थाने में दर्ज हुए मामले के बारे में जब जिला पुलिस अधीक्षक से पूछा गया कि आखिर किसके राजनीतिक दबाव में यह फर्जीवाड़ा हुआ. उन्होंने बताया कि फिलहाल जांच के दौरान ऐसा कोई खुलासा नहीं हुआ है. हालांकि उन्होंने यह साफ किया कि यदि इस मामले में कोई उच्च अधिकारी या फिर नेता शामिल होगा तो उसे भी कतई बख्शा नहीं जाएगा.

ये भी पढ़ें- नए डीजीपी के लिए गृह मंत्री अनिल विज ने मुख्य सचिव को भेजे 7 नाम, दो मार्च को हो सकती है नियुक्ति

यमुनानगर: हरियाणा का आरसी फर्जीवाड़ा लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. एक तरफ सिरसा एसआईटी जांच कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ यमुनानगर की एसआईटी भी मामले की जांच कर रही है. इस मामले को लेकर सोमवार को जिला पुलिस अधीक्षक कमलदीप गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की.

आरसी फर्जीवाड़ा: सॉफ्टवेयर में मिलिट्री का ऑप्शन भरकर होता था फर्जीवाड़ा

हरियाणा का आरसी फर्जीवाड़ा जिसका सिरसा से खुलासा हुआ और इसकी जांच की आंच यमुनानगर के जगाधरी और बिलासपुर एसडीएम ऑफिस तक पहुंची. दोनों जगह मामला दर्ज हुआ. जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया. जहां बिलासपुर में अमित के खिलाफ और जगाधरी में अमित समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. तो वहीं एसआईटी ने जांच करते हुए बिलासपुर और जगाधरी के एमआरसी को गिरफ्तार कर लिया. दूसरी तरफ अमित को सिरसा से ट्रांजिट रिमांड पर लाया गया.

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सोमवार को इस मामले में बड़ा खुलासा करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि ऑक्शन के वाहनों को एजेंट्स खरीद लेते थे. इसका फर्जी बिल बनाकर उनका रजिस्ट्रेशन करवाते थे. साथ ही रजिस्ट्रेशन के सॉफ्टवेयर में मिलिट्री का ऑप्शन है जिसमें एनओसी की जरूरत नहीं पड़ती इसी का फायदा उठाते हुए इन शातिर लोगों ने इस काम को अंजाम दिया. वहीं उन्होंने बताया कि इन लोगों ने वाहनों के चेसिस नंबर को भी सॉफ्टवेयर में बदल दिया था. और इन लोगों ने गाड़ियों के दाम को भी सॉफ्टवेयर में कम दिखाया जिससे रजिस्ट्रेशन की दरें कम हो गई और सरकार को राजस्व में घाटा हुआ.

वहीं बिलासपुर थाने में दर्ज हुए मामले के बारे में जब जिला पुलिस अधीक्षक से पूछा गया कि आखिर किसके राजनीतिक दबाव में यह फर्जीवाड़ा हुआ. उन्होंने बताया कि फिलहाल जांच के दौरान ऐसा कोई खुलासा नहीं हुआ है. हालांकि उन्होंने यह साफ किया कि यदि इस मामले में कोई उच्च अधिकारी या फिर नेता शामिल होगा तो उसे भी कतई बख्शा नहीं जाएगा.

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Last Updated : Mar 2, 2021, 1:57 PM IST
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