यमुनानगर: आरसी फर्जीवाड़े (RC Scam in Yamunanagar) में पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहनों को छुड़ाने के लिए वाहन चालक कई महीनों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. बुधवार को वाहन मालिकों ने इकट्ठा होकर डीएसपी रादौर रजत गुलिया से मुलाकात (Motorists met Radaur DSP) की. वाहन मालिकों ने रादौर के डीएसपी से उनके वाहनों को वापस दिलाने की गुहार लगाई.
करनाल, कैथल और अंबाला से पंहुचे इन वाहन मालिकों ने बताया कि आरसी फर्जीवाड़ा में उनकी गाड़ियों को पुलिस ने जब्त किया था, जिन्हें आज तक छोड़ा नहीं जा रहा है, जिसके लिए वो कई महीनों से अधिकारियों के चक्कर लगाने पर मजबूर हैं, लेकिन उन्हें कोई आश्वाशन नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आरसी फर्जीवाड़ा कर संबंधित अधिकारियों ने तो अपनी जेब गर्म कर ली, लेकिन अधिकारियों के इस भ्रष्टाचार को भुगतना उन्हें पड़ रहा है.
उन्होंने प्रशासन से मांग करते हुए कहा की उन्हें जल्द उनकी गाड़ियां दी जाए, ताकि उनकी परेशानी दूर हो. इस बारे डीएसपी रादौर रजत गुलिया ने बताया कि आरसी फर्जीवाड़ा में करीब 105 गाड़ियों को कब्जे में लिया हुआ है. उसी संबंध में आज कब्जे में ली गई गाड़ियों के मालिक उनसे मिले थे कि उन्हें उनकी गाड़ी कैसे मिलेगी. इसके लिए वे जगाधरी एसडीएम को इस संबंध में आरसी कैंसल करने के लिए पत्र भेजेंगे. उसके बाद एसडीएम जगाधरी की और से जैसे निर्देश प्राप्त होंगे कार्रवाई की जाएगी.
हरियाणा में आरसी फर्जीवाड़े (RC Scam in Haryana) का खुलासा सिरसा से हुआ और इसकी जांच की आंच यमुनानगर के जगाधरी और बिलासपुर एसडीएम ऑफिस तक पहुंची. दोनों जगह मामला दर्ज हुआ. जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया. जहां बिलासपुर में अमित के खिलाफ और जगाधरी में अमित समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. तो वहीं एसआईटी ने जांच करते हुए बिलासपुर और जगाधरी के एमआरसी को गिरफ्तार कर लिया. दूसरी तरफ अमित को सिरसा से ट्रांजिट रिमांड पर लाया गया.
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जांच के दौरान पाया गया कि ऑक्शन के वाहनों को एजेंट्स खरीद लेते थे. इसका फर्जी बिल बनाकर उनका रजिस्ट्रेशन करवाते थे. साथ ही रजिस्ट्रेशन के सॉफ्टवेयर में मिलिट्री का ऑप्शन है जिसमें एनओसी की जरूरत नहीं पड़ती इसी का फायदा उठाते हुए इन शातिर लोगों ने इस काम को अंजाम दिया. वहीं उन्होंने बताया कि इन लोगों ने वाहनों के चेसिस नंबर को भी सॉफ्टवेयर में बदल दिया था. और इन लोगों ने गाड़ियों के दाम को भी सॉफ्टवेयर में कम दिखाया जिससे रजिस्ट्रेशन की दरें कम हो गई और सरकार को राजस्व में घाटा हुआ.