सोनीपत: नाहरी गांव के किसान परिवार में जन्मे पहलवान रवि दहिया (Wrestler Ravi Dahiya) ने टोक्यो ओलिंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में दमदार प्रदर्शन किया है. रवि दहिया ने फ्रीस्टाइल 57 किग्रा वर्ग में कजाकिस्तान के सनायव नूरिस्लाम (Nurislam Sanayev) को हराकर फाइनल में जगह बना ली है. अब फाइनल गुरुवार को होगा, जहां रवि गोल्ड या सिल्वर के लिए दांव लगाएंगे. रवि के परिवार और गांव के लोगों को उम्मीद है कि उनका बेटा मेडल लाकर देश में उनका नाम रोशन करेगा.
रवि का रुझान स्कूल में ही कुश्ती की तरफ हो गया था. 8 साल की उम्र में ही रवि ने कुश्ती के अखाड़े में अपने प्रतिद्वंदियों को पटखनी देना शुरू कर दिया था. घरवालों ने भी रवि का भरपूर साथ दिया. परिजनों का साथ और रवि की कड़ी मेहनत का नतीजा हैं कि वो आज टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) में देश को सोना दिलाने के लिए तैयार है. एक वक्त वो भी था जब रवि साल 2015 में जूनियर एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में चोटिल होकर अखाड़े से दूर हो गए थे.
चोट की वजह से उन्हें 3 साल अखाड़े से दूर रहना पड़ा. साल 2018 में चोट से उबरने के बाद एक बार फिर रवि अखाड़े में वापस लौटे और देश के लिए नेशनल चैंपियनशिप में कई मेडल जीते. रवि के पिता राकेश ने कहा कि बाकी बच्चों को देखते हुए वो बचपन से ही कुश्ती की प्रेक्टिस करने लगा था. गांव के अखाड़े से ही रवि ने कुश्ती की शुरुआत की. इसके बाद रवि छत्रसाल स्टेडियम में चले गए और वहीं उन्होंने अपने कैरियर को नई दिशा दी.
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राकेश ने बताया कि रवि में बचपन से जुनून था कि वो देश का नाम रोशन करें. उसने देश के नामी पहलवानों से कुश्ती सीखी है और उन्हें देखकर ही वो आगे बढ़ा है. रवि के पिता राकेश को रवि की प्रतिभा पर पूरा भरोसा है कि वो देश के लिए गोल्ड मेडल लेकर आएंगे. रवि के छोटे भाई पंकज ने बताया कि वो 2005 से ही कुश्ती के अखाड़े में अपने दांवपेंच दिखाने लग गया था और उसके बाद मैंने भी उसको देखकर कुश्ती की शुरुआत की. पंकज ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि रवि ओलंपिक में पदक लेकर आएगा.