सोनीपत: जिले में जहरीली शराब का मामला काफी सुर्खियों में रहा था. जहरीली शराब से जिले में 35 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी, जिसके बाद प्रशासन और सरकार दोनों ही सकते में आ गए थे. जो बचे उनकी जिंदगी में भी अंधेरा छा गया था. सोनीपत के गांव गुमड़ में जहरीली शराब का सबसे ज्यादा प्रकोप देखने को मिला.
गुमड़ गांव के ही जितेंद्र उनमें से एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने अपनी आंखों की रौशनी हमेशा-हमेशा के लिए खो दी. जितेंद्र ने बताया कि जहरीली शराब पीने के बाद वो अचानक बेहोश हो गया. इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां बाद में उसकी आंखों की रोशनी भी चली गई. परिवार में रोजी-रोटी कमाने के लिए सिर्फ जितेंद्र का ही सहारा था. जहरीली शराब पीने से जितेंद्र की जान तो बच गई, लेकिन अब जिंदगी भर के लिए उसके आगे अंधेरा छा गया है. परिजनों ने अब सरकार से आर्थिक सहायता की मांग की है.
30 रुपये के लालच में गंवाई रोशनी!
जहरीली शराब ने सबसे ज्यादा गांव गुमड़ को ही प्रभावित किया है क्योंकि यहां ज्यादातर लोग खेती का काम करते थे या फिर मेहनत मजदूरी का काम ही करते थे. शराब पीने वाले ग्रामीणों का कहना है कि महज 30 रुपये के लालच में वो शराब खरीदते थे. जितेंद्र ने बताया कि उसने शराब पी थी और उसकी तबीयत खेत में बिगड़ गई थी. इसके बाद उसे हॉस्पिटल में दाखिल करवाया गया था. जहां अब उसे दिखाई नहीं दे रहा है.
रिकॉर्ड में 14 लोगों की मौत
सोनीपत डीसी श्याम लाल पूनिया ने बताया कि शराब पीने से अभी तक रिकॉर्ड में कई लोगों की जान जा चुकी है. वहीं 10 से 12 लोगों अस्पताल मेंं दाखिल करवाया गया था. इनमें से कुछ लोग अंधे हुए हैं. पूरे मामले में अवैध शराब बेची जा रही थी, जो एसआईटी ने अभी तक बताया है. पूरा नेटवर्क पकड़ा जा चुका है. वही राज्य सरकार द्वारा बनाए गए एसआईटी भी जांच कर रही है.
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डीसी ने बताया कि अब अगर किसी गांव में अवैध शराब बेची जाती है तो उस गांव के सरपंच, पटवारी, नंबरदार और ग्राम सचिव पर भी कार्रवाई होगी. क्योंकि नैना ततारपुर में जो फैक्ट्री पकड़ी गई वो चौपाल के बिल्कुल पीछे थी जिसके बारे में भी गहनता से जांच हो रही है. अब सरकार और प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती ये है कि जो अंधे हुए हैं. उनकी आर्थिक सहायता कैसे की जाए