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गोहाना की इस रसोई में हर रोज 4 हजार लोगों के लिए खाना होता है तैयार

गोहाना की जय मां बनभौरी सेवा मंडल में बनी रसोई में हर रोज 3500 से 4 हजार लोगों के लिए खाना तैयार होता है. यहां हर रोज 50 से 60 सदस्य अपनी सेवा देने आते हैं.

Food for 4 thousand people is prepared everyday in Gohana during lockdown
गोहाना की सांझी रसोई में हर रोज 4 हजार लोगों के लिए खाना होता है तैयार
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Published : Apr 10, 2020, 9:53 AM IST

सोनीपतः गोहाना की जय मां बनभौरी सेवा मंडल के सदस्य लॉकडाउन के पहले दिन से गरीब परिवारों और जरुरतमंद लोगों को खाना खिला रहे हैं. यहां हर रोज 50 से 60 सदस्य सुबह 7 बजे से दोपहर 2 बजे तक अग्रवाल सत्संग में सांझी रसोई में कार्य करते हैं. समिति के सदस्यों ने रसोई में बेहतर संचालन के लिए राशन और करीब 22 हजार रुपये का दान भी किया है.

50 से 60 सदस्य करते हैं सेवा

सदस्यों का मुख्य रूप से काम है जो खाना बन गया उसकी पैकिंग करना है जो करीब सुबह शुरू हो जाती है. दोपहर तक 2 बजे तक ये काम चलता है इसमें करीब प्रतिदिन 50 से 60 सेवादार आकर अपनी सेवा करते हैं जो सभी समिति के लोग हैं. समिति के प्रधान संजय जिंदल का कहना है कि रसोई में प्रतिदिन सुबह 3500 से 4 हजार लोगों के लिए खाना तैयार होता है.

गोहाना की सांझी रसोई में हर रोज 4 हजार लोगों के लिए खाना होता है तैयार

प्रशासन से भी मिली मदद

उन्होंने बताया कि समय पर लोगों को खाना पहुंच जाए इसके लिए संगठन ने एक सदस्य खाने की पैकिंग करने में लगे हुए हैं जो करीब सुबह से शुरू हो जाती है और दोपहर तक ये पैकिंग चलती है जिसमें प्रतिदिन यही काम होता है. खाना तैयार लोगों तक पहुंचाने के लिए व्यवस्था प्रशासनिक द्वारा की हुई है.

ये भी पढ़ेंः अब घर-घर जाकर कोरोना वायरस संक्रमितों को खोज रही हैं आशा वर्कर!

'सेवा ही सबसे बड़ा धर्म'

समाजसेवी नीरज गोयल ने बताया कि जय बनभौरी माता समिति के सदस्यों ने लॉकडाउन के बाद 29 मार्च से रसोई शुरू होते ही अपनी सेवा शुरू कर दी थी. अभी तक प्रतिदिन यहां पर आकर जो खाना बनता है उसकी पैकिंग सुबह से शुरू करते हैं और दोपहर तक पैकिंग करने के बाद सभी सदस्य अपने घर चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौरान सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है.

सोनीपतः गोहाना की जय मां बनभौरी सेवा मंडल के सदस्य लॉकडाउन के पहले दिन से गरीब परिवारों और जरुरतमंद लोगों को खाना खिला रहे हैं. यहां हर रोज 50 से 60 सदस्य सुबह 7 बजे से दोपहर 2 बजे तक अग्रवाल सत्संग में सांझी रसोई में कार्य करते हैं. समिति के सदस्यों ने रसोई में बेहतर संचालन के लिए राशन और करीब 22 हजार रुपये का दान भी किया है.

50 से 60 सदस्य करते हैं सेवा

सदस्यों का मुख्य रूप से काम है जो खाना बन गया उसकी पैकिंग करना है जो करीब सुबह शुरू हो जाती है. दोपहर तक 2 बजे तक ये काम चलता है इसमें करीब प्रतिदिन 50 से 60 सेवादार आकर अपनी सेवा करते हैं जो सभी समिति के लोग हैं. समिति के प्रधान संजय जिंदल का कहना है कि रसोई में प्रतिदिन सुबह 3500 से 4 हजार लोगों के लिए खाना तैयार होता है.

गोहाना की सांझी रसोई में हर रोज 4 हजार लोगों के लिए खाना होता है तैयार

प्रशासन से भी मिली मदद

उन्होंने बताया कि समय पर लोगों को खाना पहुंच जाए इसके लिए संगठन ने एक सदस्य खाने की पैकिंग करने में लगे हुए हैं जो करीब सुबह से शुरू हो जाती है और दोपहर तक ये पैकिंग चलती है जिसमें प्रतिदिन यही काम होता है. खाना तैयार लोगों तक पहुंचाने के लिए व्यवस्था प्रशासनिक द्वारा की हुई है.

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'सेवा ही सबसे बड़ा धर्म'

समाजसेवी नीरज गोयल ने बताया कि जय बनभौरी माता समिति के सदस्यों ने लॉकडाउन के बाद 29 मार्च से रसोई शुरू होते ही अपनी सेवा शुरू कर दी थी. अभी तक प्रतिदिन यहां पर आकर जो खाना बनता है उसकी पैकिंग सुबह से शुरू करते हैं और दोपहर तक पैकिंग करने के बाद सभी सदस्य अपने घर चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौरान सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है.

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