सोनीपत: कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन (Farmers agitation) दिल्ली से लगती सीमाओं पर जारी है. इस आंदोलन को 7 महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है. ना तो सरकार इस मामले पर झुकने को तैयार है और ना ही किसान. इस आंदोलन को लेकर बीच का रास्ता तो निकलता दिखाई नहीं दे रहा, लेकिन आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति अब हरियाणा में तेज हो गई है.
कुछ दिन पहले मनोहल लाल मुख्यमंत्री हरियाणा (Manohar Lal Chief Minister Haryana) ने किसानों को चेतावनी देते हुए कहा था कि किसान हमारे संयम की परीक्षा ना लें. मुख्यमंत्री मनोहर लाल के इस बयान पर पलटवार करते हुए किसानों ने कहा कि सरकार हमारे संयम की परीक्षा ले रही है ना कि हम. किसानों ने कहा कि सीएम का काम जनता की सेवा करना होता है. लेकिन यहां सीएम अपने कर्तव्य से भटक चुके हैं. उन्होंने कहा कि सीएम को जो तोप चलानी है चला लें. हम तैयार हैं.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल (chief minister manohar lal) ने 30 जून बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किसानों पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि 'किसान शब्द शुद्ध है और हर कोई उन्हें बहुत सम्मान देता है. कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण ये शब्द कलंकित हो गया है. बहनों-बेटियों की इज्जत छीनी जाती है, हत्याएं हो रही हैं, सड़कें जाम की जा रही हैं. मैं अलोकतांत्रिक घटनाओं की निंदा करता हूं.' सीएम ने कहा कि किसान सरकार के संयम की परीक्षा ना लें.
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सीएम खट्टर के इसी बयान पर किसानों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. किसान नेता सत्यवान नरवाल, बिंदु, जयभगवान और बिजेंद्र ने सीएम मनोहर लाल खट्टर पर निशाना साधते हुए कहा कि सीएम मनोहर लाल खट्टर अपने बयानों को सोच समझ कर दें, ताकि किसानों को इससे ठेस ना पहुंचे, क्योंकि किसान यहां पर पिछले काफी लंबे समय से अपने आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से चला रहे हैं.