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29 नवंबर को किसान ट्रैक्टर पर करेंगे संसद कूच, 26 से दिल्ली की सीमाओं पर जुटने लगेगी भीड़ - संयुक्त किसान मोर्चा बैठक सोनीपत

सोनीपत में सिंघु बॉर्डर (singhu border) पर चल रही संयुक्त किसान मोर्चा (samyukt kisan morcha meeting) की बैठक खत्म हो गई है. बैठक में फैसला लिया गया कि 29 नवंबर से शीतकालीन सत्र शुरू होने पर हर दिन 500 किसान ट्रैक्टर लेकर संसद (farmer parliament march 29 november) कूच करेंगे.

samyukt kisan morcha meeting
farmer parliament march 29 november
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Published : Nov 9, 2021, 7:52 PM IST

सोनीपत: 26 नवंबर को किसान आंदोलन को 1 साल पूरा होने जा रहा है, लेकिन सरकार और किसान नेताओं के बीच में बातचीत पर डेड लॉक लगा हुआ है. ऐसे में आज संयुक्त मोर्चा (samyukt kisan morcha meeting) के किसान नेताओं ने आंदोलन के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के लिए सिंघु बॉर्डर पर बैठक की. इस बैठक में किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी समेत देश के सभी बड़े किसान नेता पहुंचे. इस बैठक में किसान आंदोलन को तेज करने को लेकर संसद कूच करने सहित कई बड़े फैसले लिए गए.

बैठक में 25 एजेंडे किसान आंदोलन को तेज करने के लिए रखे गए, लेकिन दो ही एजेंडों पर बात हुई. 26 नवंबर को आंदोलन का एक साल पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी सभाएं करेगा. वहीं 29 नवंबर से संसद शीतकालीन सत्र शुरू होने पर हर दिन 500 किसान ट्रैक्टर लेकर संसद जाएंगे. बैठक में हरियाणा के संगठनों की ओर से गुरनाम सिंह चढूनी ने 26 नवंबर को दिल्ली कूच का प्रस्ताव रखा, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हुआ. जिसके बाद बैठक स्थल के बाहर चढूनी समर्थकों की ओर से अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी भी की गई.

29 नवंबर को किसान ट्रैक्टर पर करेंगे संसद कूच, 26 से दिल्ली की सीमाओं पर जुटने लगेगी भीड़

ये भी पढ़ें- हरियाणा में किसान बदलेंगे बीजेपी नेताओं का विरोध करने की रणनीति! राकेश टिकैत ने दिए संकेत

वहीं गुरनाम सिंह चढूनी भी बैठक से नाराज होकर निकल गए. मीटिंग के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत एक निजी चैनल को इंटरव्यू देने बाहर आए तो हरियाणा के संगठनों ने इसका पुरजोर विरोध किया और दिल्ली कूच के नारे लगाए. जिसके बाद राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढूनी ने बाहर नारेबाजी कर रहे किसानों को समझाया.

गुरनाम सिंह चढूनी के दिल्ली कूच और पंजाब के किसान नेताओं के केएमपी जाम के प्रस्ताव को भी फिलहाल होल्ड पर रखा गया है. बैठक में संसद कूच के अलावा और भी कई फैसले लिए गए. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बताया कि बैठक में फैसला लिया गया कि किसान नेता 26 नवंबर को किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे मोर्चों पर भारी भीड़ जुटाकर ताकत दिखाएगा. 26 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली के सभी मोर्चों पर भारी भीड़ जुटाई जाएगी और बड़ी सभाएं की जाएंगी.

ये भी पढ़ें- दिल्ली कूच को लेकर किसान संगठनों में फूट, राकेश टिकैत के सामने चढूनी गुट ने की हूटिंग

संयुक्त किसान मोर्चा ने निर्णय लिया कि 29 नवंबर से संसद के सत्र के अंत तक 500 चयनित किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों में हर दिन शांतिपूर्ण और पूरे अनुशासन के साथ संसद जाएंगे. बैठक में बताया गया कि 28 नवंबर को, मुंबई के आजाद मैदान में एक किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. ये आयोजन संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर तले 100 से अधिक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से होगा. 28 नवंबर, महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है.

गौरतलब है कि 26 नवंबर 2020 को हरियाणा और पंजाब के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे और उनको दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के विरोध में विरोध करने जाना था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सोनीपत में कुंडली सिंघु बॉर्डर, झज्जर जिले के टिकरी बॉर्डर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोक दिया. इसके बाद किसान संगठनों ने फैसला लिया कि दिल्ली की सीमाओं पर ही किसान अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे, तब से आज तक किसान संगठन मोर्चे पर डटे हुए हैं.

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सोनीपत: 26 नवंबर को किसान आंदोलन को 1 साल पूरा होने जा रहा है, लेकिन सरकार और किसान नेताओं के बीच में बातचीत पर डेड लॉक लगा हुआ है. ऐसे में आज संयुक्त मोर्चा (samyukt kisan morcha meeting) के किसान नेताओं ने आंदोलन के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के लिए सिंघु बॉर्डर पर बैठक की. इस बैठक में किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी समेत देश के सभी बड़े किसान नेता पहुंचे. इस बैठक में किसान आंदोलन को तेज करने को लेकर संसद कूच करने सहित कई बड़े फैसले लिए गए.

बैठक में 25 एजेंडे किसान आंदोलन को तेज करने के लिए रखे गए, लेकिन दो ही एजेंडों पर बात हुई. 26 नवंबर को आंदोलन का एक साल पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी सभाएं करेगा. वहीं 29 नवंबर से संसद शीतकालीन सत्र शुरू होने पर हर दिन 500 किसान ट्रैक्टर लेकर संसद जाएंगे. बैठक में हरियाणा के संगठनों की ओर से गुरनाम सिंह चढूनी ने 26 नवंबर को दिल्ली कूच का प्रस्ताव रखा, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हुआ. जिसके बाद बैठक स्थल के बाहर चढूनी समर्थकों की ओर से अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी भी की गई.

29 नवंबर को किसान ट्रैक्टर पर करेंगे संसद कूच, 26 से दिल्ली की सीमाओं पर जुटने लगेगी भीड़

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वहीं गुरनाम सिंह चढूनी भी बैठक से नाराज होकर निकल गए. मीटिंग के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत एक निजी चैनल को इंटरव्यू देने बाहर आए तो हरियाणा के संगठनों ने इसका पुरजोर विरोध किया और दिल्ली कूच के नारे लगाए. जिसके बाद राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढूनी ने बाहर नारेबाजी कर रहे किसानों को समझाया.

गुरनाम सिंह चढूनी के दिल्ली कूच और पंजाब के किसान नेताओं के केएमपी जाम के प्रस्ताव को भी फिलहाल होल्ड पर रखा गया है. बैठक में संसद कूच के अलावा और भी कई फैसले लिए गए. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बताया कि बैठक में फैसला लिया गया कि किसान नेता 26 नवंबर को किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे मोर्चों पर भारी भीड़ जुटाकर ताकत दिखाएगा. 26 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली के सभी मोर्चों पर भारी भीड़ जुटाई जाएगी और बड़ी सभाएं की जाएंगी.

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संयुक्त किसान मोर्चा ने निर्णय लिया कि 29 नवंबर से संसद के सत्र के अंत तक 500 चयनित किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों में हर दिन शांतिपूर्ण और पूरे अनुशासन के साथ संसद जाएंगे. बैठक में बताया गया कि 28 नवंबर को, मुंबई के आजाद मैदान में एक किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. ये आयोजन संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर तले 100 से अधिक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से होगा. 28 नवंबर, महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है.

गौरतलब है कि 26 नवंबर 2020 को हरियाणा और पंजाब के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे और उनको दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के विरोध में विरोध करने जाना था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सोनीपत में कुंडली सिंघु बॉर्डर, झज्जर जिले के टिकरी बॉर्डर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोक दिया. इसके बाद किसान संगठनों ने फैसला लिया कि दिल्ली की सीमाओं पर ही किसान अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे, तब से आज तक किसान संगठन मोर्चे पर डटे हुए हैं.

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