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डबवाली में मास्टर जी की रिक्शा लाइब्रेरी का हर किसी को रहता है इंतजार

सिरसा जिले के डबवाली में एक टीचर द्वारा पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहल चर्चा की विषय बनी हुई है. डबवाली के रहने वाले मास्टर कृष्ण कायत ने एक रिक्शा लाइब्रेरी बनाई है.

rikshaw library dabwali
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Published : Jan 7, 2020, 4:31 PM IST

सिरसा: छुट्टी वाले दिन मास्टर जी लाइब्रेरी को स्लम एरिया में ले जाते हैं और बच्चों को किताबें वितरित करते हैं. मास्टर कृष्ण कायत के दिमाग में एक ख्याल आया था कि आजकल बच्चे किताबों से दूर होकर मोबाइल की तरफ आकर्षित होते जा रहे हैं.

दिनभर मोबाइल के साथ चिपके रहते हैं. इसीलिए क्यों न कुछ नया किया जाये. फिर मास्टर जी ने एक कबाड़ की दुकान से रिक्शा ली और उसपर कुछ किताबें रख कर गली गली भेजनी शुरू कर दी. जैसे ही आमजन ने इस रिक्शा को देखा तो क्या बच्चे और क्या बड़े, इसकी तरफ हर कोई आकर्षित होते चला गया.

डबवाली में मास्टर जी की रिक्शा लाइब्रेरी का हर किसी को रहता है इंतजार.

इस रिक्शा लाइब्रेरी को बनाने में करीब 50 हजार रुपये का खर्च आया है. जिसे मास्टर जी ने खुद अपनी जेब से लगाया है. इस रिक्शा लाइब्रेरी को अलग-अलग मोहल्ले में खड़ा कर दिया जाता है जिसके बाद लोग इसमें से किताबें पढ़ते हैं.

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बता दें कि मास्टर कृष्ण कायत अबूबशहर गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं. मास्टर जी डॉ. बीआर आंबेडकर जन जागृति मंच के बैनर तले पिछले चार सालों से वंचित समाज के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करवा रहे हैं. डबवाली के लोग इस मास्टर जी की इस रिक्शा लाइब्रेरी की बहुत सराहना कर रहे हैं. उनका कहना है कि जो बच्चे किताबों से दूर होते जा रहे थे अब मास्टर जी के प्रयासों से किताबों की तरफ आकर्षित होने लगे हैं.

ये रिक्शा लाइब्रेरी आजकल डबवाली में चर्चा का विषय बनी हुई है. हर कोई इसके इंतजार में रहता है. जो महिलाएं अपने घर से पढ़ाई के लिए नहीं निकल सकती हैं. उन महिलाओं के लिए ये लाइब्रेरी उनके घर पर ही पुस्तकें पहुंचाती हैं. मास्टर जी की ये पहल बेहद सराहनीय है क्योंकि इसके बाद डबवाली के लोगों में किताबों और शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ी है.

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सिरसा: छुट्टी वाले दिन मास्टर जी लाइब्रेरी को स्लम एरिया में ले जाते हैं और बच्चों को किताबें वितरित करते हैं. मास्टर कृष्ण कायत के दिमाग में एक ख्याल आया था कि आजकल बच्चे किताबों से दूर होकर मोबाइल की तरफ आकर्षित होते जा रहे हैं.

दिनभर मोबाइल के साथ चिपके रहते हैं. इसीलिए क्यों न कुछ नया किया जाये. फिर मास्टर जी ने एक कबाड़ की दुकान से रिक्शा ली और उसपर कुछ किताबें रख कर गली गली भेजनी शुरू कर दी. जैसे ही आमजन ने इस रिक्शा को देखा तो क्या बच्चे और क्या बड़े, इसकी तरफ हर कोई आकर्षित होते चला गया.

डबवाली में मास्टर जी की रिक्शा लाइब्रेरी का हर किसी को रहता है इंतजार.

इस रिक्शा लाइब्रेरी को बनाने में करीब 50 हजार रुपये का खर्च आया है. जिसे मास्टर जी ने खुद अपनी जेब से लगाया है. इस रिक्शा लाइब्रेरी को अलग-अलग मोहल्ले में खड़ा कर दिया जाता है जिसके बाद लोग इसमें से किताबें पढ़ते हैं.

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बता दें कि मास्टर कृष्ण कायत अबूबशहर गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं. मास्टर जी डॉ. बीआर आंबेडकर जन जागृति मंच के बैनर तले पिछले चार सालों से वंचित समाज के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करवा रहे हैं. डबवाली के लोग इस मास्टर जी की इस रिक्शा लाइब्रेरी की बहुत सराहना कर रहे हैं. उनका कहना है कि जो बच्चे किताबों से दूर होते जा रहे थे अब मास्टर जी के प्रयासों से किताबों की तरफ आकर्षित होने लगे हैं.

ये रिक्शा लाइब्रेरी आजकल डबवाली में चर्चा का विषय बनी हुई है. हर कोई इसके इंतजार में रहता है. जो महिलाएं अपने घर से पढ़ाई के लिए नहीं निकल सकती हैं. उन महिलाओं के लिए ये लाइब्रेरी उनके घर पर ही पुस्तकें पहुंचाती हैं. मास्टर जी की ये पहल बेहद सराहनीय है क्योंकि इसके बाद डबवाली के लोगों में किताबों और शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ी है.

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Intro:एंकर - पंजाब में सरकार आपके द्वार चलती है तो हरियाणा के डबवाली में है मास्टर जी की लाइब्रेरी आपके द्वार...। जी हाँ डबवाली के रहने वाले एक मास्टर ने रिक्शा लाइब्रेरी बनाई है, इस रिक्शा लाइब्रेरी को बनाने में करीब 50 हजार रुपये का खर्च आया है। जिसे मास्टर जी ने खुद अपनी जेब से वहन किया है। इस लाइब्रेरी में बच्चों को किताबों की ओर खींचने के लिए मनोरंजक बुक्स रखी गई हैं। छुट्टी वाले दिन मास्टर जी लाइब्रेरी को सलम एरिया में ले जाते हैं। बच्चों को बुक्स वितरित करते हैं। ये लाइब्रेरी डबवाली में चर्चा का विषय बनी हुई है. आप भी देखे मास्टर जी की रिक्शा लाइब्रेरी

Body:
वीओ - दरअसल मास्टर कृष्ण कायत के दिमाग में एक ख्याल आया की आजकल बच्चे किताबों से दूर होकर मोबाइल की तरफ आकर्षित होते जा रहे है,दिनभर मोबाइल के साथ चिपके रहते है.इसी लिए क्यों न कुछ नया किया जाये मास्टर जी ने एक कबाड़ की दुकान से रिक्शा ली और उसपर कुछ किताबें रख कर गली गली भेजनी शुरू कर दी जैसे ही आमजन ने इस रिक्शा को देखा तो क्या बड़े क्या बुजुर्ग इसकी तरफ आकर्षित हुए,इस रिक्शा लाइब्रेरी को अलग अलग मोहल्ले में खड़ा कर दिया जाता है जिसके बाद लोग इसमें से किताबें पढ़ते है.आपको बता दे की मास्टर कृष्ण कायत अबूबशहर गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं। मास्टर जी डॉ. बीआर आंबेडकर जन जागृति मंच के बैनर तले पिछले चार सालों से वंचित समाज के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवा रहे हैं। अब इस  लाइब्रेरी का संचालन भी मास्टर जी खुद करते है.

बाइट - कृष्ण कायत अध्यापक

वीओ - डबवाली के लोग इस मास्टर जी की इस रिक्शा लाइब्रेरी बहुत सराहना कर रहे हैं। उनका कहना है कि जो बच्चे किताबों दूर होते जा रहे थे अब मास्टर जी के प्रयासों से किताबों की तरफ आकर्षित होने लगे हैं। जो महिलाएं अपने घर से पढ़ाई के लिए नही निकल सकती है । उन महिलाओं के लिए यह लाइब्रेरी से उनके घर पर ही पुस्तकें पहुँचाई जाती हैं। इस लाइब्रेरी के आने से डबवाली के लोगों में किताबों और शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ी है।

बाइट - पूजा , सविता चंदीवाल , रमेश सिंह
Conclusion:
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