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कोरोना कर्मवीरः रोडवेज ड्राइवर जान हथेली पर रखकर प्रवासी मजदूरों को पहुंचा रहे हैं घर

कोरोना वायरस के समय अपनी जान हथेली पर रखकर लोगों को घर तक पहुंचाने वाले असली हीरो में रोडवेज कर्मचारी भी शामिल हो गए हैं. रोडवेज बस के कंडक्टर और ड्राइवर प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक छोड़ कर आ रहे हैं. ऐसे में संक्रमण का खतरा इन योद्धाओं पर भी बना हुआ है.

rohtak roadways driver
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Published : May 10, 2020, 10:35 PM IST

रोहतक: प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. हरियाणा में अधिकतर प्रवासी मजदूर बिहार और उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. सरकार ने इन सभी प्रवासी मजदूरों को भेजने के लिए करीब 100 ट्रेन और 5 हजार बसों को तैनात किया है. ये सभी बसें और ट्रेनें प्रदेश से सभी मजदूरों को उनके घर पहुंचाएंगी.

हरियाणा की सड़कों पर सरपट दौड़ने वाली हरियाणा रोडवेज भी प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक छोड़ने का काम कर रही है.कोरोना योद्धाओं में रोडवेज कर्मचारियों की भी गिनती भी होने लगी है. कोरोना के असली हीरो रोडवेज के ड्राइवर और कंडक्टर भी हैं. उनको कोरोना योद्धा इसलिए भी कहा जा रहा है कि वो इस महामारी में जब लोग अपने घरों में कैद हैं ये लोग अपनी जान हथेली पर रखकर लोगों को उनके घर पहुंचा रहे हैं.

कोरोना कर्मवीरः रोडवेज ड्राइवर जान हथेली पर रखकर प्रवासी मजदूरों को पहुंचा रहे हैं घर

इन ड्राइवर्स और कंडक्टर्स का कहना है कि वे अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. जिस तरह से सीमा पर तैनात जवान अपने देश की रक्षा करता है. उसी तरह से हम भी अपनी जान की बाजी लगाकर, इन प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचा रहे हैं, ताकि ये भी अपनों के बीच पहुंच सके.

ये भी पढ़ें:- पड़ताल: लॉकडाउन में चारे की कमी ने तोड़ी डेयरी उद्योग की कमर, आधा दूध दे रहे पशु

इन ड्राइवर्स का कहना है कि कोरोना संक्रमण का रिस्क उनको भी है. ये लोग आम लोगों के सबसे करीब होते हैं. यही नहीं ड्राइवर्स का कहना है कि कंडक्टर को तो सैनिटाइजर और मास्क मिल जाते हैं, लेकिन ड्राइवरों को नहीं मिलते. फिर भी अपनी जान की बाजी लगाकर ड्यूटी पर आए हैं. काम करते रहेंगे, चाहे इसके लिए कोई भी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े

रोहतक: प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. हरियाणा में अधिकतर प्रवासी मजदूर बिहार और उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. सरकार ने इन सभी प्रवासी मजदूरों को भेजने के लिए करीब 100 ट्रेन और 5 हजार बसों को तैनात किया है. ये सभी बसें और ट्रेनें प्रदेश से सभी मजदूरों को उनके घर पहुंचाएंगी.

हरियाणा की सड़कों पर सरपट दौड़ने वाली हरियाणा रोडवेज भी प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक छोड़ने का काम कर रही है.कोरोना योद्धाओं में रोडवेज कर्मचारियों की भी गिनती भी होने लगी है. कोरोना के असली हीरो रोडवेज के ड्राइवर और कंडक्टर भी हैं. उनको कोरोना योद्धा इसलिए भी कहा जा रहा है कि वो इस महामारी में जब लोग अपने घरों में कैद हैं ये लोग अपनी जान हथेली पर रखकर लोगों को उनके घर पहुंचा रहे हैं.

कोरोना कर्मवीरः रोडवेज ड्राइवर जान हथेली पर रखकर प्रवासी मजदूरों को पहुंचा रहे हैं घर

इन ड्राइवर्स और कंडक्टर्स का कहना है कि वे अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. जिस तरह से सीमा पर तैनात जवान अपने देश की रक्षा करता है. उसी तरह से हम भी अपनी जान की बाजी लगाकर, इन प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचा रहे हैं, ताकि ये भी अपनों के बीच पहुंच सके.

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इन ड्राइवर्स का कहना है कि कोरोना संक्रमण का रिस्क उनको भी है. ये लोग आम लोगों के सबसे करीब होते हैं. यही नहीं ड्राइवर्स का कहना है कि कंडक्टर को तो सैनिटाइजर और मास्क मिल जाते हैं, लेकिन ड्राइवरों को नहीं मिलते. फिर भी अपनी जान की बाजी लगाकर ड्यूटी पर आए हैं. काम करते रहेंगे, चाहे इसके लिए कोई भी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े

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