रोहतक: रविवार को रोहतक में भगवान परशुराम की जयंती मनाई गई. इस मौके पर बीजेपी सांसद अरविंद शर्मा मौजूद रहे. गौड़ ब्राह्मण शिक्षण संस्था की जमीन को लेकर अरविंद शर्मा ने बागी तेवर दिखाए. उन्होंने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया. इस दौरान अरविंद शर्मा ने बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष ग्रोवर (arvind sharma on manish grover) पर भी निशाना साधा. अरविंद शर्मा ने कहा था कि ब्राह्मणों को जमीन देने के मामले में मुख्यमंत्री की नीयत ठीक है, लेकिन वो मनीष ग्रोवर के कहने में आ गए हैं.
यही नहीं बीजेपी सांसद ने मंच से मनीष ग्रोवर को मूर्ख और निकम्मा तक कह दिया. अरविंद शर्मा ने कहा कि उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल, जिसे वो शायद सुधार भी ना पाएं. वो ये थी कि उन्होंने इस मूर्ख (मनीष ग्रोवर) के लिए स्टेटमेंट दी थी. दरअसल किसान आंदोलन के दौरान पिछले साल 4 नवंबर को किलोई के प्राचीन शिव मंदिर में पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर समेत कई भाजपा नेता जुटे थे. जिसके बाद ग्रामीणों ने उन्हें मंदिर में ही बंधक बना लिया था. बाद में माफीनामा के बाद इन नेताओं को वहां से जाने दिया गया था.
अगले दिन भाजपा ने इस घटना के विरोध में रोहतक में प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में भाजपा सांसद अरविंद शर्मा भी शामिल हुए थे और खुलकर मनीष ग्रोवर का समर्थन किया था. तब उन्होंने बयान (arvind sharma controversial statement) दिया था कि मनीष ग्रोवर की ओर जो आंख उठाएगा, उसकी आंख निकाल लेंगे, जो हाथ उठाएगा वो हाथ नहीं रहने देंगे. अरविंद शर्मा रविवार को जब पहरावर गांव पहुंचे तो उन्होंने अपने इसी बयान को सबसे बड़ी भूल बताया और मनीष ग्रोवर को मूर्ख करार दिया.
अरविंद शर्मा के इसी बयान पर अब मनीष ग्रोवर (manish grover on arvind sharma) ने प्रतिक्रिया दी है. मनीष ग्रवोर ने कहा कि वो साल 1971 से राजनीति कर रहे हैं. तब से वो अब तक सिर्फ कमल के फूल के लिए काम रहे हैं और करते रहेंगे. उन्होंने अरविंद शर्मा का नाम लिए बगैर कहा कि जिस व्यक्ति को बात करनी है तो वो खुद बताए कि कहां से दुखी है. मुझे उनकी बातों से कोई दुख नहीं है. उन्होंने कहा कि पहरावर गांव की जमीन गौड़ शिक्षण संस्था को देने में कोई दिक्कत नहीं है.
मनीष ग्रोवर ने कहा कि मुख्यमंत्री पहरावर की जमीन को गौड़ संस्था (gaur brahmin educational institution land case) को देने के लिए तैयार हैं. वो इसकी पैरवी कर रहे हैं. मुख्यमंत्री अगर मना करते तो पहले ही कर देते. पहरावर की जमीन का मामला साल 2009 का है. इस 13 साल के बीच किसी ने भी कोई डिमांड नहीं की. इसके बावजूद सरकार सारी कमी पूरा करेगी.
क्या है पूरा मामला? पहरावर गांव में जमीन का मुद्दा पिछले महीने से गरमा गया है. 23 अप्रैल को इस जमीन पर हवन यज्ञ किया गया था. तब आप के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद ने यहां लगा नगर निगम का बोर्ड भी उखाड़ दिया था. दरअसल पहरावर की ग्राम पंचायत ने ये जमीन गौड़ शिक्षण संस्था को लीज पर दी थी. बाद में पहरावर गांव नगर निगम के अंतर्गत आ गया. संस्था ने कुछ समय तक लीज मनी जमा भी कराई, लेकिन जब लीज मनी जमा नहीं हुई तो ये जमीन नगर निगम के पास चली गई. अब इसी जमीन को वापस लेने की मांग तेज हो रही है. धीरे-धीरे ये मामला राजनीतिक रूप लेता जा रहा है.
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