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गंदगी के अंबार, साहब का गला खराब...
बस्ती के बीचों बीच बना गंदे पानी का जोहड़
लोगों में महामारी का खतरा बढ़ा
लोग ही नहीं, जनप्रतिनिधि भी अधिकारियों को कोस रहे हैं
हाजिरी लगाने तक सीमित रह गए सफाई कर्मचारी
अधिकारी कैमरे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं
रेवाड़ी 11 मार्च।
एंकर: जरा रुकिए, जरा सुनिए, जरा देखिए तो सही। यह तस्वीर स्वच्छता अभियान की है, जहां लगे दिखाई दे रहे ये गंदगी के ढेर और बस्ती के बीचो-बीच गंदे पानी से लबालब यह जोहड़ प्रशासन के स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखा रहा है और हो भी क्यों नहीं, साहब का गला जो खराब है।
जी हां, सही सुना आपने। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश को स्वस्थ बनाने के लिए देशभर में स्वच्छता अभियान चलाया गया, लेकिन रेवाड़ी में आकर सरकार का यह अभियान मानो दम तोड़ गया हो।
मौसम में बदलाव के साथ गर्मी की शुरुआत हो चली है। मक्खी मच्छरों का प्रकोप दिनों दिन बढ़ने लगा है। लोगों में तरह-तरह की संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा भी पैदा हो गया है और ऊपर से अगर आपके आसपास गंदगी के ढेर लगे हो तो आपको अस्पताल जाने से कोई रोक नहीं सकता।
दरअसल यह तस्वीर रेवाड़ी शहर की स्लम बस्ती शास्त्री नगर की है, जहां बस्ती के बीचो-बीच बना यह जोहड़ जो गंदे पानी के तालाब का रूप ले चुका है और उसके ऊपर कचरे के अंबार लगे हैं।
वीओ 1:
स्थानीय लोगों की माने तो वे सालों से यहां रह रहे हैं, लेकिन इस तालाब की कभी सफाई हुई ही नहीं। जहां तक स्वच्छता अभियान का सवाल है तो यह अभियान भी इन कॉलोनी वासियों के लिए एक ढिंढोरा मात्र बनकर रह गया है। इस गंदे पानी में हर वक्त मक्खी मच्छरों का भारी प्रकोप रहता है। वहीं गंदगी इतनी कि उनका सांस लेना तक दुश्वार हो चला है। सफाई कर्मचारी यहां आते जरूर है, लेकिन नालियों और गलियों की सफाई करके चले जाते हैं। जोहड़ की सफाई की तरफ आज तक किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। हालांकि इसे लेकर स्थानीय लोग प्रशासनिक अधिकारियों को कई बार अवगत भी करवा चुके हैं, लेकिन आज तक किसी के कानों पर कोई जू तक नहीं रेंगी। ऐसे में उनके सामने सिवाय प्रशासन को कोसने के और कोई चारा नहीं बचा है।
बाइट: बिरजू, स्थानीय निवासी
बाइट: बिलेश, स्थानीय निवासी
बाइट: हरिसिंह, स्थानीय निवासी
वीओ 2:
इतना ही नहीं, पूर्व में जनप्रतिनिधि रह चुके निवर्तमान पार्षद भी यह कहने से अपने आपको नहीं रोक रहे कि शहर की चरमराई सफाई व्यवस्था के लिए नगर परिषद के अधिकारी जिम्मेदार हैं, जोकि सिर्फ सर्कुलर रोड मात्र की सफाई कराने तक सीमित रह गए हैं। शहर के भीतरी हिस्सों में सफाई पर उनका जरा भी ध्यान नहीं है। सफाई कर्मचारी भी सिर्फ हाजिरी लगाने तक हैं।
बाइट: अमृतकला टिकनिया, निवर्तमान पार्षद
बाइट: प्रदीप भार्गव, पूर्व पार्षद
बाइट: शैलेन्द्र सतीजा, समाजसेवी
वीओ फाइनल:
यहां हैरान करने वाली बात तो यह है कि जब इसे लेकर हमारे संवाददाता ने नगर परिषद के अधिकारियों का पक्ष जानना चाहा तो साहब यह कहकर पतली गली से निकल गए कि उनका गला खराब है। इस पर वे कुछ बोल नहीं सकते, लेकिन साहब को यह कौन बताए कि साहब गला तो उन लोगों को खराब है, जो गंदगी के बीच जीवन यापन करने को विवश है। क्या कभी इन बस्तियों में जाकर आपने इन लोगों से पूछने की भी जहमत उठाई, लेकिन इस सवाल का जवाब शायद किसी के पास नहीं है।
ऐसे में यहां यह कहने से गुरेज नहीं किया जा सकता कि प्रशासनिक अधिकारियों को लोगों की बड़ी समस्या से कोई सरोकार नहीं रह गया है। लोगों के सामने एक ही सवाल है कि आखिर में जाएं तो कहां जाएं। किस के सामने अपना दुखड़ा रोए।
अब देखना होगा कि प्रशासन कब तक इन लोगों को इस समस्या से निजात दिला पाता है या फिर इन लोगों को इसी तरह नारकीय जीवन जीने को विवश होना पड़ेगा।