रेवाड़ी/नई दिल्ली: कारोबार में घाटा होने पर एक दंपति ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से करोड़ों रुपए की क्रेडिट फैसिलिटी ली और रुपए इस्तेमाल करने के बाद फरार हो गए. बैंक ने जब छानबीन की तो पता चला कि उनके द्वारा गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी के दस्तावेज फर्जी हैं. लगभग छह साल से फरार चल रहे आरोपी सुरेंद्र यादव को पुलिस टीम ने रेवाड़ी से गिरफ्तार कर लिया है. अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर रखा था. वहीं दिल्ली पुलिस की तरफ से उस पर 25000 रुपये का इनाम घोषित था. इस मामले में उसकी पत्नी भी फरार है जिसकी तलाश पुलिस कर रही है.
डीजीपी राजेश देव के अनुसार 2010 में अनीता यादव और सुरेंद्र यादव ने एसबीआई की चांदनी चौक शाखा से संपर्क किया. उन्होंने अपना कारोबार चलाने के लिए कैश क्रेडिट की मांग की. उन्होंने खुद को प्रगति एसोसिएट कंपनी का मालिक बताया. उन्हें 24 करोड़ की क्रेडिट सुविधा बैंक द्वारा दी गई. उन्होंने आवश्यकता के अनुसार इन रुपयों का इस्तेमाल किया लेकिन इन्हें वापस नहीं चुकाया. बैंक द्वारा जब दंपति की गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी के बारे में छानबीन की गई तो पता चला कि यह प्रॉपर्टी पहले ही सिंडिकेट बैंक एवं जम्मू और कश्मीर बैंक के पास गिरवी रखी गई है. इस पर पहले से विवाद चल रहा है. इसकी वजह से आर्थिक अपराध शाखा में वर्ष 2016 में मामला दर्ज किया गया था.
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छानबीन के दौरान आरोपियों ने जांच में सहयोग नहीं किया और फरार हो गए. 28 फरवरी 2020 को अदालत ने दोनों को भगोड़ा घोषित कर दिया था. दोनों की गिरफ्तारी पर 25-25 हजार रुपये का इनाम दिल्ली पुलिस की तरफ से घोषित किया गया था. हाल ही में क्राइम ब्रांच के एसीपी संतोष कुमार को सूचना मिली कि सुरेंद्र यादव लगातार अपने ठिकाने बदल रहा है. बेंगलुरू, उत्तराखंड, सहारनपुर, यूपी एवं हरियाणा में वह छिपकर रह रहा है. इस दौरान एसआई सम्राट को पता चला कि वह हरियाणा के रेवाड़ी में मौजूद हैं. इस जानकारी पर पुलिस ने छापा मारकर 28 फरवरी को उसे गिरफ्तार कर लिया.
पूछताछ के दौरान आरोपी सुरेंद्र यादव ने पुलिस को बताया कि वह मैकेनिकल इंजीनियर है. उसने फाइनेंस में एमबीए भी किया हुआ है. वह एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था. लेकिन इसे छोड़ कर वह प्रॉपर्टी डीलिंग और कंस्ट्रक्शन का काम करने लगा. 1994 में उसकी शादी अनीता यादव से हुई थी. वह अपना कारोबार शुरू करना चाहती थी. 2004 में वह चाइना से इलेक्ट्रिकल सामान लाकर उसे भारत में बेचने लगे.
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इस कारोबार को वह बढ़ाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने सिंडिकेट बैंक से लोन लिया था. इसके बाद उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लोन लिया. उन्हें उतना लोन एसबीआई से नहीं मिल सका जो उन्हें चाहिए था. इसलिए उन्होंने एसबीआई से प्रॉपर्टी के दस्तावेज लेकर उसे जम्मू कश्मीर बैंक में गिरवी रखा था. 2014-15 में उन्हें काफी घाटा हुआ और वह लोन नहीं चुका पाये. इसलिए उन्होंने फर्जी तरीके से एसबीआई से लोन लिया था.
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