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रेवाड़ी से अमरनाथ यात्रा पर गए 40 लोगों का जत्था पहलगाम में फंसा

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Published : Jul 9, 2022, 11:05 PM IST

अमरनाथ में बादल फटने (Amarnath Cloudburst updates) की घटना से हर कोई दुखी है. कुदरत के इस कहर में कई लोगों की जान चली गई. अभी भी कई लोग लापता बताये जा रहे हैं. रेवाड़ी जिले के करीब 40 लोगों का जत्था भी अमरनाथ में फंस गया है. भक्तों के इस जत्थे को पहलगाम में सेना के कैंप में रोका गया है.

Rewari people trapped in Amarnath
Rewari people trapped in Amarnath

रेवाड़ी: अमरनाथ में पवित्र गुफा के पास बादल फटने से हुए हादसे से हर कोई सहमा हुआ है. मलबे में दबने वाले लोगों के शव ढूंढकर निकाले जा रहे हैं. जयकारों से गूंज जाने वाले बाबा के धाम पर चितकार सुनाई दे रही है. हरियाणा के रेवाड़ी से भी 40 लोगों का जत्था अमरनाथ यात्रा पर गया हुआ है. ये जत्था पहलगाम में फंसा (rewari People stuck in Amarnath) हुआ है. जत्थे में शामिल लोगों को ना आगे जाने की अनुमति है और ना ही वापस लौटने की. रेवाड़ी से अमरनाथ गये जत्थे में शामिल भक्तों का कहना है एक-दो दिन में जब भी यात्रा शुरू होगी वह बाबा के दर्शन करके ही लौटेंगे.

अमरनाथ यात्रा के लिए रेवाड़ी से 5 जुलाई को शाम दीवाना मंडल से जुड़े भक्तों का एक जत्था रवाना हुआ था. एक बस में 40 लोग बाबा के दर्शनों के लिए निकले थे. जत्थे में शामिल गोपाल वर्मा, कुशल गोयल, लवकुश और अनीता यादव ने बताया कि शुक्रवार को ही बाबा के धाम के नजदीक पहुंचे थे. शनिवार को उन्हें पवित्र गुफा तक के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू करनी थी. गोपाल वर्मा ने बताया कि इसी बीच उन्हें एक सूचना मिली कि बाबा के धाम के पास बादल फट गया है. इस हादसे में बहुत से लोगों की मौत हो गई है.

बादल फटने के बाद चारों तरफ तबाही का मंजर था. उनकी भी यात्रा को पहलगाम में ही रोक दिया गया है. सैकड़ों लोग पहलगाम में फंसे हुए हैं. उनको बताया जा रहा है कम से कम 2 दिन तक तो यात्रा शुरू होने की कोई भी उम्मीद नहीं है. रेवाड़ी के फंसे लोगों ने बताया है कि उनको ऐसी विकट स्थिति में सेना की पूरी मदद मिल रही है. सेना के बेस कैंप में ही उनको ठहराया गया है और यहीं पर लंगर में उन लोगों को भोजन दिया जा रहा है.

अमरनाथ हादसे में अभी तक रेवाड़ी के किसी भी व्यक्ति के हताहत होने की सूचना नहीं है. रेवाड़ी से डॉक्टर गजेंद्र यादव, घनश्याम मित्तल और डॉक्टर सीमा मित्तल बाबा बर्फानी के दर्शन करके शुक्रवार देर शाम को ही वापस लौटे हैं. घनश्याम मित्तल ने बताया कि बाबा के धाम पर मौसम कई दिनों से खराब था. बार-बार यात्रा को रोका जा रहा था. उन लोगों ने जब 6 जुलाई को दर्शन किए थे तो उस समय भी बारिश हो रही थी.

ये भी पढ़ें- हरियाणा से अमरनाथ गये 21 लोगों में से 20 सलामत, एक व्यक्ति से नहीं हो रहा संपर्क

रेवाड़ी: अमरनाथ में पवित्र गुफा के पास बादल फटने से हुए हादसे से हर कोई सहमा हुआ है. मलबे में दबने वाले लोगों के शव ढूंढकर निकाले जा रहे हैं. जयकारों से गूंज जाने वाले बाबा के धाम पर चितकार सुनाई दे रही है. हरियाणा के रेवाड़ी से भी 40 लोगों का जत्था अमरनाथ यात्रा पर गया हुआ है. ये जत्था पहलगाम में फंसा (rewari People stuck in Amarnath) हुआ है. जत्थे में शामिल लोगों को ना आगे जाने की अनुमति है और ना ही वापस लौटने की. रेवाड़ी से अमरनाथ गये जत्थे में शामिल भक्तों का कहना है एक-दो दिन में जब भी यात्रा शुरू होगी वह बाबा के दर्शन करके ही लौटेंगे.

अमरनाथ यात्रा के लिए रेवाड़ी से 5 जुलाई को शाम दीवाना मंडल से जुड़े भक्तों का एक जत्था रवाना हुआ था. एक बस में 40 लोग बाबा के दर्शनों के लिए निकले थे. जत्थे में शामिल गोपाल वर्मा, कुशल गोयल, लवकुश और अनीता यादव ने बताया कि शुक्रवार को ही बाबा के धाम के नजदीक पहुंचे थे. शनिवार को उन्हें पवित्र गुफा तक के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू करनी थी. गोपाल वर्मा ने बताया कि इसी बीच उन्हें एक सूचना मिली कि बाबा के धाम के पास बादल फट गया है. इस हादसे में बहुत से लोगों की मौत हो गई है.

बादल फटने के बाद चारों तरफ तबाही का मंजर था. उनकी भी यात्रा को पहलगाम में ही रोक दिया गया है. सैकड़ों लोग पहलगाम में फंसे हुए हैं. उनको बताया जा रहा है कम से कम 2 दिन तक तो यात्रा शुरू होने की कोई भी उम्मीद नहीं है. रेवाड़ी के फंसे लोगों ने बताया है कि उनको ऐसी विकट स्थिति में सेना की पूरी मदद मिल रही है. सेना के बेस कैंप में ही उनको ठहराया गया है और यहीं पर लंगर में उन लोगों को भोजन दिया जा रहा है.

अमरनाथ हादसे में अभी तक रेवाड़ी के किसी भी व्यक्ति के हताहत होने की सूचना नहीं है. रेवाड़ी से डॉक्टर गजेंद्र यादव, घनश्याम मित्तल और डॉक्टर सीमा मित्तल बाबा बर्फानी के दर्शन करके शुक्रवार देर शाम को ही वापस लौटे हैं. घनश्याम मित्तल ने बताया कि बाबा के धाम पर मौसम कई दिनों से खराब था. बार-बार यात्रा को रोका जा रहा था. उन लोगों ने जब 6 जुलाई को दर्शन किए थे तो उस समय भी बारिश हो रही थी.

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