पानीपत: हरियाणा से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां दो बहनों ने एक भाई का कर्तव्य निभाते हुए समाज को समानता का आईना दिखाया है. उन बेटियों का कहना है कि आज भी समाज में बेटियों को बेटों से कमतर समझा जाता है, लेकिन बेटा-बेटी एक समान है. ऐसा कोई काम नहीं जो बेटियां न कर सकें. फिर चाहें खेल में हो, परंपरा में हो या फिर कोई रीति-रिवाज हो.
दरअसल, बात कर रहे हैं यहां हिंदू रीति-रिवाज के अंतर्गत होने वाले भात कार्यक्रम की. जिसे भाई अपनी बहन के घर शादी के समय लेकर जाता है, लेकिन इसके इतर हरियाणा में भाई न होने से बहन ने भाई का कर्तव्य निभाया है. हरियाणा के जींद बुढ़ाखेड़ा की दो बहनें रविवार को भांजी का भात भरकर मिसाल पेश करेंगी. पानीपत के गांव धनसौली के ग्रामीण भात भरकर आने वाली बेटियों को देखने के लिए उत्सुक नजर आ रहे हैं. उनके स्वागत के लिए खास तैयारियां की गई हैं. दरअसल, धनसौली निवासी सुरेंद्र और उनकी पत्नी सरोज की बेटी खुशबू की रविवार को शादी है.
खेड़ी मनाजात गांव सोनीपत से बारात आएगी. सरोज का मायका जींद के बुढ़ाखेड़ा में है. सरोज की दो चचेरी बहनें हैं जिनका सिमरन और गगनदीप है. सरोज के परिवार में कोई सगा भाई नहीं है. यह परिवार का पहला भात है. भाई की कमी महसूस न हो, इसलिए सरोज की चचेरी बहनें सिमरन और गगनदीप भात भरने पहुंचेंगी.
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भात में जाने वाली सिमरन ने कहा कि सरोज दीदी मुझसे 20 साल बड़ी हैं. उन्होंने कभी भी भाई की कमी महसूस नहीं होने दी. सरोज दीदी से हमेशा बड़े भाई जैसी सुरक्षा और प्यार मिला. सरोज दीदी की बेटी खुशबू की शादी है. अब हमने परंपराओं से हटकर भात भरने का निर्णय लिया है. वहीं, गगनदीप ने कहा कि दीदी ने भाई से बढ़कर किया, अब बारी हमारी है. भांजी बोली मेरे लिए मामा हो या मौसी दोनों बराबर हैं.
भांजी खुशबू ने कहा कि मामा नहीं है तो क्या हुआ, मौसी तो हैं, जो भात भरकर समाजो को एक मिसाल पेश करेंगी. सरोज की चचेरी बहन गगनदीप के पिता देवेंद्र बूरा ने बताया कि उनकी बेटियां भात में 1.1 लाख रु. नकद, 11 हजार की माला, एक तोले सोने व 200 ग्राम चांदी के गहने देंगी. सिमरन ने बताया कि उन्होंने भात के लिए अपनी सैलरी से बचत कर पैसे इकट्ठे किए हैं.