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TB के खिलाफ नूंह स्वास्थ्य विभाग हो रहा तैयार, जिले में बनेंगे सात नए डीएमसी सेंटर

टीबी जांच के लिए नूंह के उपमंडलों में सात नए डीएमसी सेंटर बानाए जाएंगे. जहां टीबी के मरीजों की जांच और उनकों दवाइयां उपलब्ध करवाई जाएंगी.

seven new dmc center will establish in nuh for tb disease
नूंह जिले में बनेंगे सात नए डीएमसी सेंटर
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Published : Jun 5, 2020, 5:44 PM IST

नूंह: टीबी एक जानलेवा बीमारी है जो भारत में ही बल्कि पूरे दुनिया में तेजी से फैल रही है, लेकिन हरियाणा के नूंह जिले में टीबी का खात्मा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तरह कमर कस ली है. नूंह जिले के सात पीएचसी में अब टीबी रोगियों की जांच आसानी से की जा सकेगी. जिले की उजीना, घासेड़ा, मोहम्मदपुर अहिर ,बीवां, फिरोजपुर झिरका, नगीना, पिनगवां सीएचसी में अब डीएमसी सेंटर यानी जिला माइक्रोस्कोपी सेंटर बनाए जा रहे हैं .

सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र सिंह यादव ने जानकारी दी कि अब टीबी जांच के लिए जिले के लोगों को दूरदराज अस्पतालों में नहीं जाना पड़ेगा. लोगों की सुविधा को देखने के साथ-साथ तेजी से टीबी रोगियों का पता लगाकर उनकी जांच करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जांच केंद्रों का विस्तार किया है. लोगों को धन व समय की बचत भी होगी.

नए डीएमसी बनाने के बारे में नूंह सीएमओ ने दी जानकारी

बता दें कि नूंह जिले में राज्य के अन्य जिलों के मुकाबले टीबी रोगियों की संख्या अच्छी-खासी है. टीबी रोग से किसी की जान ना जाए तथा 2025 तक भारत टीबी मुक्त हो जाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यही भरोसा देश के लोगों को दिलाया हुआ है. अब महंगी दवाइयां जो एक टेबलेट 5 हजार रुपए के करीब आती है. उसे भी बड़ी आसानी से उन मरीजों को दिया जा रहा है.

मरीजों की दी जाती है प्रोत्साहन राशि

डॉ. वीरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, इसलिए टीबी जैसी बीमारी हो जाती है. उन्होंने बताया कि टीबी रोगी को 500 रुपये प्रति महीने स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दिया जाता है. जब तक वह स्वस्थ नहीं हो जाता तब तक उसे यह राशि दी जाती है.

इसके अलावा मरीज का 6 महीने तक जिसका इलाज होता है. उसको 1000 रुपये दिए जाते हैं और जिसका इलाज 2 साल तक इलाज होता है उसको 5000 रुपये दिए जाते हैं. सीएमओ ने कहा कि 2020 में अब तक करीब 1000 मरीज सामने आ चुके हैं. जिनका सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है. इसके अलावा करीब 200 से अधिक मरीज है, जिनका इलाज निजी अस्पतालों के माध्यम से चल रहा है. उन्होंने कहा कि टीबी रोगियों को जो व्यक्ति अस्पताल तक ले कर आता है या उसकी जानकारी देता है. उसको भी 500 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है.

टीबी के लक्षण

  • टीबी के लक्षणों की शुरूआत में खांसी आती है जो कई हफ्तों तक बनी रहती है.
  • बुखार भी आता है जो अक्सर शाम को बढ़ जाता है.
  • इस बीमारी में वजन कम हो जाता है.
  • मरीज को सांस लेने में भी परेशानी होती है.
  • छाती में तेज दर्द होता है और बलगम में खून भी आता है.
  • फेफड़ों में इंफेक्शन होता है और भूख भी कम हो जाती है.

कैसे करें बचाव?

  • जब भी खांसी लम्बे समय तक बनी रहे तो डॉक्टर से मिलें.
  • टीबी के मरीज से दूरी बना कर रहें.
  • अगर किसी टीबी के मरीज से मिल रहे हैं तो उसके बाद अच्छी तरह से हाथ-पैर धुलें.
  • हमेशा पौष्टिक आहार खाएं.
  • मरीज को हमेशा बलगम पालीथीन में थूकने को कहें.

कैसे घातक है बीमारी?

टीबी एक ऐसी बीमारी है जिसमें बैक्टीरिया प्रभावित अंग को खराब कर देता है. वह अंग फिर काम करना बंद कर देता है. एड्स के बाद टीबी दुनिया में सबसे तेजी से फैलने वाली बीमारी है. यह टीबी शहरी जीवन में होने वाले प्रदूषण जैसे धूल-मिट्टी से भी फैलती है.

ये भी पढ़ें- गन्नौर: राशन डिपो पर नहीं पहुंच रहा अनाज, बीपीएल धारकों ने किया प्रदर्शन

नूंह: टीबी एक जानलेवा बीमारी है जो भारत में ही बल्कि पूरे दुनिया में तेजी से फैल रही है, लेकिन हरियाणा के नूंह जिले में टीबी का खात्मा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तरह कमर कस ली है. नूंह जिले के सात पीएचसी में अब टीबी रोगियों की जांच आसानी से की जा सकेगी. जिले की उजीना, घासेड़ा, मोहम्मदपुर अहिर ,बीवां, फिरोजपुर झिरका, नगीना, पिनगवां सीएचसी में अब डीएमसी सेंटर यानी जिला माइक्रोस्कोपी सेंटर बनाए जा रहे हैं .

सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र सिंह यादव ने जानकारी दी कि अब टीबी जांच के लिए जिले के लोगों को दूरदराज अस्पतालों में नहीं जाना पड़ेगा. लोगों की सुविधा को देखने के साथ-साथ तेजी से टीबी रोगियों का पता लगाकर उनकी जांच करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जांच केंद्रों का विस्तार किया है. लोगों को धन व समय की बचत भी होगी.

नए डीएमसी बनाने के बारे में नूंह सीएमओ ने दी जानकारी

बता दें कि नूंह जिले में राज्य के अन्य जिलों के मुकाबले टीबी रोगियों की संख्या अच्छी-खासी है. टीबी रोग से किसी की जान ना जाए तथा 2025 तक भारत टीबी मुक्त हो जाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यही भरोसा देश के लोगों को दिलाया हुआ है. अब महंगी दवाइयां जो एक टेबलेट 5 हजार रुपए के करीब आती है. उसे भी बड़ी आसानी से उन मरीजों को दिया जा रहा है.

मरीजों की दी जाती है प्रोत्साहन राशि

डॉ. वीरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, इसलिए टीबी जैसी बीमारी हो जाती है. उन्होंने बताया कि टीबी रोगी को 500 रुपये प्रति महीने स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दिया जाता है. जब तक वह स्वस्थ नहीं हो जाता तब तक उसे यह राशि दी जाती है.

इसके अलावा मरीज का 6 महीने तक जिसका इलाज होता है. उसको 1000 रुपये दिए जाते हैं और जिसका इलाज 2 साल तक इलाज होता है उसको 5000 रुपये दिए जाते हैं. सीएमओ ने कहा कि 2020 में अब तक करीब 1000 मरीज सामने आ चुके हैं. जिनका सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है. इसके अलावा करीब 200 से अधिक मरीज है, जिनका इलाज निजी अस्पतालों के माध्यम से चल रहा है. उन्होंने कहा कि टीबी रोगियों को जो व्यक्ति अस्पताल तक ले कर आता है या उसकी जानकारी देता है. उसको भी 500 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है.

टीबी के लक्षण

  • टीबी के लक्षणों की शुरूआत में खांसी आती है जो कई हफ्तों तक बनी रहती है.
  • बुखार भी आता है जो अक्सर शाम को बढ़ जाता है.
  • इस बीमारी में वजन कम हो जाता है.
  • मरीज को सांस लेने में भी परेशानी होती है.
  • छाती में तेज दर्द होता है और बलगम में खून भी आता है.
  • फेफड़ों में इंफेक्शन होता है और भूख भी कम हो जाती है.

कैसे करें बचाव?

  • जब भी खांसी लम्बे समय तक बनी रहे तो डॉक्टर से मिलें.
  • टीबी के मरीज से दूरी बना कर रहें.
  • अगर किसी टीबी के मरीज से मिल रहे हैं तो उसके बाद अच्छी तरह से हाथ-पैर धुलें.
  • हमेशा पौष्टिक आहार खाएं.
  • मरीज को हमेशा बलगम पालीथीन में थूकने को कहें.

कैसे घातक है बीमारी?

टीबी एक ऐसी बीमारी है जिसमें बैक्टीरिया प्रभावित अंग को खराब कर देता है. वह अंग फिर काम करना बंद कर देता है. एड्स के बाद टीबी दुनिया में सबसे तेजी से फैलने वाली बीमारी है. यह टीबी शहरी जीवन में होने वाले प्रदूषण जैसे धूल-मिट्टी से भी फैलती है.

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