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हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनी हुई बदहाल, जान हथेली पर रखकर रहने को मजबूर कर्मचारी - eenadu india hindi

नूंह में बने हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के भवन की हालत जर्जर हो चुकी है. लोग टूटे हुए मकानों में रहने को मजबूर हैं. यहां प्रशासन की अनदेखी की वजह से कोई हादसा जरुर हो सकता है.

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Published : Feb 25, 2019, 8:44 PM IST

नूंह: जिला मुख्यालय नूंह, नगीना, फिरोजपुर झिरका, पुन्हाना जैसे शहरों में कई दशक पहले हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी सरकारी कर्मचारियों के परिवारों के लिए बनाए थे. अब इसकी हालत देख आप भी हैरान रह जाएंगे कि कैसे ये लोग यहां रहने को मजबूर हैं.


टूटी सीढ़ियां, उतरा हुआ लेंटर, ये जर्जर भवन नूंह के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का है. यहां लोग रिस्क लेकर रह रहे हैं. खराब हो चुकी ये कॉलोनी किसी बड़ी घटना को निमंत्रण दे सकती है.


इन कॉलोनी में रहने वाले कर्मचारियों की संख्या 2005 में मेवात जिला बनने के बाद बढ़ने लगी, लेकिन संसाधन नहीं बढ़े. हद तो तब हो गई जब बनी कॉलोनियों की मरम्मत तक नहीं हो पाई.


इतना ही नहीं नूंह सीएचसी में बनी कालोनी में रहने वाले कर्मचारियों को भवन के कंडम होने के नोटिस मिले, लेकिन घर जब कहीं और नहीं मिले तो वह जान जोखिम में डालकर यहीं रहने लगे. हद तो तब हो गई जब किराया लगातार वसूला जाता रहा.

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करीब नौ साल पहले जिला बनने के बाद कर्मचारियों को नई कॉलोनी बनने की बात थी. साथ ही हुड्डा के सैक्टर बनने थे, लेकिन इस मामले में सरकार और प्रशासन का ध्यान नहीं दिया.


कुछ कर्मचारियों को आशियाना नहीं मिलने के कारण आज भी दूरदराज इलाकों से आवाजाही करने को मजबूर हैं. कर्मचारियों ने मांग की है कि सरकार और प्रशासन या तो कॉलोनी की मरम्मत कराएं या फिर नए आवास बनवाएं, जिससे कर्मचारियों को बेहतर आवासीय बेहतर मिल सके.

नूंह: जिला मुख्यालय नूंह, नगीना, फिरोजपुर झिरका, पुन्हाना जैसे शहरों में कई दशक पहले हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी सरकारी कर्मचारियों के परिवारों के लिए बनाए थे. अब इसकी हालत देख आप भी हैरान रह जाएंगे कि कैसे ये लोग यहां रहने को मजबूर हैं.


टूटी सीढ़ियां, उतरा हुआ लेंटर, ये जर्जर भवन नूंह के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का है. यहां लोग रिस्क लेकर रह रहे हैं. खराब हो चुकी ये कॉलोनी किसी बड़ी घटना को निमंत्रण दे सकती है.


इन कॉलोनी में रहने वाले कर्मचारियों की संख्या 2005 में मेवात जिला बनने के बाद बढ़ने लगी, लेकिन संसाधन नहीं बढ़े. हद तो तब हो गई जब बनी कॉलोनियों की मरम्मत तक नहीं हो पाई.


इतना ही नहीं नूंह सीएचसी में बनी कालोनी में रहने वाले कर्मचारियों को भवन के कंडम होने के नोटिस मिले, लेकिन घर जब कहीं और नहीं मिले तो वह जान जोखिम में डालकर यहीं रहने लगे. हद तो तब हो गई जब किराया लगातार वसूला जाता रहा.

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करीब नौ साल पहले जिला बनने के बाद कर्मचारियों को नई कॉलोनी बनने की बात थी. साथ ही हुड्डा के सैक्टर बनने थे, लेकिन इस मामले में सरकार और प्रशासन का ध्यान नहीं दिया.


कुछ कर्मचारियों को आशियाना नहीं मिलने के कारण आज भी दूरदराज इलाकों से आवाजाही करने को मजबूर हैं. कर्मचारियों ने मांग की है कि सरकार और प्रशासन या तो कॉलोनी की मरम्मत कराएं या फिर नए आवास बनवाएं, जिससे कर्मचारियों को बेहतर आवासीय बेहतर मिल सके.


---------- Forwarded message ---------
From: BHUPINDER KUMAR <bjishtu@gmail.com>
Date: Mon 25 Feb, 2019, 16:03
Subject: Fwd: R_HR_ housing board _ colony _ MEWAT _ 25-2-19 _ script & story 1 fd
To: BHUPINDER KUMAR JISHTU <bhupinderkumar@etvbharat.com>



---------- Forwarded message ---------
From: Kasim Khan <kasim.khan.mewat@gmail.com>
Date: Mon 25 Feb, 2019, 15:13
Subject: R_HR_ housing board _ colony _ MEWAT _ 25-2-19 _ script & story 1 fd
To: Haryana Desk <haryanadesk@etvbharat.com>


  tv news mewat 

sir file ftp par bhej di hai ji , ,  ,
 

संवाददाता नूंह मेवात।  

स्टोरी;- हाउसिंग एवं अन्य कालोनी की हालत बद से बदतर ,डरते हैं कर्मचारी।

जिला मुख्यालय नूंह ,नगीना ,फिरोजपुर झिरका ,पुन्हाना इत्यादि शहरों में कई दशक पहले मेवात विकास अभिकरण यानि एम डी ए की मदद से कई दशक पहले हाउसिंग बोर्ड कालोनी सरकारी कर्मचारियों के परिवारों के लिए बनाये थे। कर्मचारियों की संख्या 2005 में मेवात जिला बनने के बाद बढ़ने लगी लेकिन संसाधन नहीं बढे ,हद तो तब हो गई जब बनी कॉलोनीयो की मरम्मत तक नहीं हो पाई। इतना ही नहीं नूंह सी एच सी में बनी कालोनी में रहने वाले कर्मचारियों को भवन के कंडम होने के नोटिस मिले लेकिन घर जब कहीं और नहीं मिले तो जान जोखिम में डाल यहीं रहने लगे। हद तो तब हो गई जब किराया लगातार वसूला जाता रहा। करीब नौ साल पहले जिला बनने के बाद कर्मचारियों को नई कॉलोनी बनने की बात थी ,साथ ही हुड्डा के सैक्टर बनने थे। परन्तु इस मामले में सरकार व प्रशासन का ध्यान नहीं गया। कुछ कर्मचारियों को आशियाना नहीं मिलने के कारण आज भी दूरदराज इलाकों से आवाजाही करने को मजबूर हैं। कर्मचारियों ने मांग की है की सरकार व प्रशासन या तो कालोनी की मरम्मत कराये या फिर नए आवास बनाये जाएं ताकि कर्मचारियों को आवासीय बेहतर सुविधा मिल सके।
बाइट ;- सुनील कर्मचारी 
बाइट ;- राजेंदर कर्मचारी। 
बाइट ;- असमीना कर्मचारी। 
संवाददाता कासिम खान मेवात।  

          Thanks & Regards ---

           Kasim Khan Mewat

           Mob.+919416103259, +91 9050976800


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