नूंह: जिला मुख्यालय नूंह, नगीना, फिरोजपुर झिरका, पुन्हाना जैसे शहरों में कई दशक पहले हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी सरकारी कर्मचारियों के परिवारों के लिए बनाए थे. अब इसकी हालत देख आप भी हैरान रह जाएंगे कि कैसे ये लोग यहां रहने को मजबूर हैं.
टूटी सीढ़ियां, उतरा हुआ लेंटर, ये जर्जर भवन नूंह के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का है. यहां लोग रिस्क लेकर रह रहे हैं. खराब हो चुकी ये कॉलोनी किसी बड़ी घटना को निमंत्रण दे सकती है.
इन कॉलोनी में रहने वाले कर्मचारियों की संख्या 2005 में मेवात जिला बनने के बाद बढ़ने लगी, लेकिन संसाधन नहीं बढ़े. हद तो तब हो गई जब बनी कॉलोनियों की मरम्मत तक नहीं हो पाई.
इतना ही नहीं नूंह सीएचसी में बनी कालोनी में रहने वाले कर्मचारियों को भवन के कंडम होने के नोटिस मिले, लेकिन घर जब कहीं और नहीं मिले तो वह जान जोखिम में डालकर यहीं रहने लगे. हद तो तब हो गई जब किराया लगातार वसूला जाता रहा.
करीब नौ साल पहले जिला बनने के बाद कर्मचारियों को नई कॉलोनी बनने की बात थी. साथ ही हुड्डा के सैक्टर बनने थे, लेकिन इस मामले में सरकार और प्रशासन का ध्यान नहीं दिया.
कुछ कर्मचारियों को आशियाना नहीं मिलने के कारण आज भी दूरदराज इलाकों से आवाजाही करने को मजबूर हैं. कर्मचारियों ने मांग की है कि सरकार और प्रशासन या तो कॉलोनी की मरम्मत कराएं या फिर नए आवास बनवाएं, जिससे कर्मचारियों को बेहतर आवासीय बेहतर मिल सके.