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सिंगल हैंड प्लास्टिक के खिलाफ ये छात्रा देगी वर्ल्ड वाइड संदेश, बन सकता है गिनीज रिकॉर्ड - कुरुक्षेत्र न्यूज

कछुआ बना कर दुनिया को सिंगल हैंड प्लास्टिक का बहिष्कार करने का संदेश देने की तैयारी करने वाली वाली छात्रा रीतू का कहना है कि सिंगल हैंड प्लास्टिक का प्रकोप इतना फैल चुका है कि वो नदियों में भी जमा हो चुका है. जिसकी वजह से जीव जंतु भी मर जाते हैं.

सिंगल हैंड प्लास्टिक के खिलाफ ये छात्रा देगी वर्ल्ड वाइड संदेश
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Published : Nov 11, 2019, 10:31 PM IST

कुरुक्षेत्र: प्लास्टिक हमारे वातावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है. सिंगल हैंड प्लास्टिक का बेलगाम इस्तेमाल और उससे निजात पाने का विकल्प नहीं होने की वजह से हम प्लास्टिक की चपेट में आने के लिए अग्रसर हो रहे हैं.

प्लास्टिक कचरा ना सिर्फ हमारे वातावरण के लिए नुकसानदायक है. ये जीव जंतुओं के लिए भी घातक साबित हो रहा है. कुरुक्षेत्र जिले की एक छात्रा ने सिंगल हैंड प्लास्टिक वेस्ट का इस्तेमाल कर एक विशालकाय कछुआ बनाकर देश ही नहीं दुनिया को संदेश देने जा रही है.

सिंगल हैंड प्लास्टिक के खिलाफ ये छात्रा देगी वर्ल्ड वाइड संदेश, देखिए रिपोर्ट

कुरुक्षेत्र में पढ़ाई में करने वाली रीतू ने जिला प्रशासन और कई स्कूली छात्र-छात्रों की मदद से 90 हजार प्लास्टिक बैग इकट्ठा किया. रीतू इन प्लास्टिक बैग्स का इस्तेमाल विशालकाय कछुए के निर्माण के लिए करेंगी. ऐसा करने के पीछे उनका मकसद ये बताना है कि लोग जिस प्लास्टिक को बेझिझक इस्तेमाल कर फेंक देते हैं वो प्लास्टिक किस तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है.

इंटरनेशनल गीता जंयती में ये कछुआ होगा प्रदर्शित
रीतू इस कछुए को अंतरराष्ट्रीय गीता जयंति के मौके पर प्रदर्शित करने वाली हैं. इस कछुए के जरिए वो लोगों को सिंगल हैंड प्लास्टिक के प्रकोप के बारे में जानकारी देंगी. आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय गीता जयंति कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर स्थली पर मानाये जाने वाला अंतरराष्ट्रीय मेला है. इस मेले में विदेशों से हजारों पर्यटक शिरकत करते हैं. वहीं देशभर के लाखों श्रद्धालु भी आते हैं.

रीतू का कहना है कि सिंगल हैंड प्लास्टिक का प्रकोप इतना फैल चुका है कि वो नदियों में भी जमा हो चुका है जिसकी वजह से जीव जंतु भी मर जाते हैं. कछुआ पानी में भी और जमीन पर भी दोनों में रहने के लिए सक्षम है और कछुए को ना तो पानी के अंदर पॉलिथीन मुक्त वातावरण मिल पाता है और ना ही जमीन पर. 300 साल जिंदा रहने वाले इस जीव की उम्र घट कर लगभग आधे से भी कब आ गई है. इंसान पर तो पॉलिथीन का इतना प्रभाव हो चुका है कि जो कैंसर जैसी घातक बीमारी बहुत कॉमन बीमारी हो चुकी है जिसके पॉलिथीन काफी हद तक जिम्मेवार है.

ये पढ़ें- सामने आ रहे हैं प्रदूषण के घातक परिणाम, भिवानी में मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा

सिंगापुर बना चुका है ऐसा रिकॉर्ड
इससे पहले सिंगापुर में 68,000 पॉलिथीन से एक विशालकाय ऑक्टोपस बनाकर पॉलिथीन से मुक्त होने का संदेश दिया था. जो गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज हुआ था. सिंगापुर ने पानी में प्लास्टिक का दुष्परिणामों को प्रदर्शित किया था.

सिंगापुर का रिकॉर्ड तोड़ना चाहती हैं रीतू
रीतू करीब 90,000 पॉलिथीन से ये कछुआ बनाने जा रही हैं. वो इस कछुए के जरिए नया रिकॉर्ड कायम करने जा रही हैं. वो इसके जरिए ये बताना चाहती हैं कि पानी ही नहीं प्लास्टिक धरती पर भी प्रदूषण फैला रहा है. कछुए के आकार को रीतू ने इसी मकसद से चुना क्योंकि कछुआ पानी और धरती दोनों जगह रहता है. उसकी घटती उम्र हमें खतरे की ओर संकेत दे रहा है.

क्या होता है सिंगल हैंड प्लास्टिक
वो प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल हम सिर्फ एक बार करते हैं और फिर उसे फेंक देते हैं, यानी वन टाइम इस्तेमाल करके फेंक दी जाने वाला प्लास्टिक ही सिंगल-यूज प्लास्टिक कहलाता है. इसे हम डिस्पोजेबल प्‍लास्टिक भी कहते हैं. हालांकि, इसकी रीसाइक्लिंग की जा सकती है. इसका इस्तेमाल हम अपने रोजमर्रा के काम में करते हैं, जैसे- प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रॉ, डिस्पोजेबल कप, डिस्पोजेबल प्लेट्स, फूड पैकजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और कॉफी की डिस्पोजेबल कप.

ये पढ़ें- चंडीगढ़ के वैज्ञानिक ने प्रदूषण से बचने के लिए बनाया विशेष मास्क, नहीं होगा इंफेक्शन

कैसे नुकसान पहुंचाता है सिंगल हैंड प्लास्टिक
प्लास्टिक वेस्ट हमारी सेहत को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा रहा है इसका एक आंकलन सामने आया है. हाल ही के एक विश्लेषण में कहा गया है कि हर साल भोजन और सांस के जरिए हजारों माइक्रोप्लास्टिक कण मानव शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं. माइक्रोप्लास्टिक, प्लास्टिक के महीन कण होते हैं जो मानव निर्मित उत्पादों जैसे सिंथेटिक कपड़ों, टायर और कॉन्टैक्ट लेंस से टूट कर बनते हैं.

माइक्रोप्लास्टिक पृथ्वी पर हर जगह मिलने वाली सामग्रियों में से एक है. दुनिया के सबसे ऊंचे कुछ ग्लेशियरों और सबसे गहरी समुद्री खाइयों की सतह पर भी पाए जाते हैं. पिछले कई अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि कैसे माइक्रोप्लास्टिक मानव की खाद्य श्रृंखला में शामिल हो सकता है. पिछले साल सामने आए एक अध्ययन के अनुसार लगभग सभी प्रमुख बोतलबंद पानी ब्रांडों के नमूनों में भी माइक्रोप्लास्टिक पाया गया था.

कुरुक्षेत्र: प्लास्टिक हमारे वातावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है. सिंगल हैंड प्लास्टिक का बेलगाम इस्तेमाल और उससे निजात पाने का विकल्प नहीं होने की वजह से हम प्लास्टिक की चपेट में आने के लिए अग्रसर हो रहे हैं.

प्लास्टिक कचरा ना सिर्फ हमारे वातावरण के लिए नुकसानदायक है. ये जीव जंतुओं के लिए भी घातक साबित हो रहा है. कुरुक्षेत्र जिले की एक छात्रा ने सिंगल हैंड प्लास्टिक वेस्ट का इस्तेमाल कर एक विशालकाय कछुआ बनाकर देश ही नहीं दुनिया को संदेश देने जा रही है.

सिंगल हैंड प्लास्टिक के खिलाफ ये छात्रा देगी वर्ल्ड वाइड संदेश, देखिए रिपोर्ट

कुरुक्षेत्र में पढ़ाई में करने वाली रीतू ने जिला प्रशासन और कई स्कूली छात्र-छात्रों की मदद से 90 हजार प्लास्टिक बैग इकट्ठा किया. रीतू इन प्लास्टिक बैग्स का इस्तेमाल विशालकाय कछुए के निर्माण के लिए करेंगी. ऐसा करने के पीछे उनका मकसद ये बताना है कि लोग जिस प्लास्टिक को बेझिझक इस्तेमाल कर फेंक देते हैं वो प्लास्टिक किस तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है.

इंटरनेशनल गीता जंयती में ये कछुआ होगा प्रदर्शित
रीतू इस कछुए को अंतरराष्ट्रीय गीता जयंति के मौके पर प्रदर्शित करने वाली हैं. इस कछुए के जरिए वो लोगों को सिंगल हैंड प्लास्टिक के प्रकोप के बारे में जानकारी देंगी. आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय गीता जयंति कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर स्थली पर मानाये जाने वाला अंतरराष्ट्रीय मेला है. इस मेले में विदेशों से हजारों पर्यटक शिरकत करते हैं. वहीं देशभर के लाखों श्रद्धालु भी आते हैं.

रीतू का कहना है कि सिंगल हैंड प्लास्टिक का प्रकोप इतना फैल चुका है कि वो नदियों में भी जमा हो चुका है जिसकी वजह से जीव जंतु भी मर जाते हैं. कछुआ पानी में भी और जमीन पर भी दोनों में रहने के लिए सक्षम है और कछुए को ना तो पानी के अंदर पॉलिथीन मुक्त वातावरण मिल पाता है और ना ही जमीन पर. 300 साल जिंदा रहने वाले इस जीव की उम्र घट कर लगभग आधे से भी कब आ गई है. इंसान पर तो पॉलिथीन का इतना प्रभाव हो चुका है कि जो कैंसर जैसी घातक बीमारी बहुत कॉमन बीमारी हो चुकी है जिसके पॉलिथीन काफी हद तक जिम्मेवार है.

ये पढ़ें- सामने आ रहे हैं प्रदूषण के घातक परिणाम, भिवानी में मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा

सिंगापुर बना चुका है ऐसा रिकॉर्ड
इससे पहले सिंगापुर में 68,000 पॉलिथीन से एक विशालकाय ऑक्टोपस बनाकर पॉलिथीन से मुक्त होने का संदेश दिया था. जो गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज हुआ था. सिंगापुर ने पानी में प्लास्टिक का दुष्परिणामों को प्रदर्शित किया था.

सिंगापुर का रिकॉर्ड तोड़ना चाहती हैं रीतू
रीतू करीब 90,000 पॉलिथीन से ये कछुआ बनाने जा रही हैं. वो इस कछुए के जरिए नया रिकॉर्ड कायम करने जा रही हैं. वो इसके जरिए ये बताना चाहती हैं कि पानी ही नहीं प्लास्टिक धरती पर भी प्रदूषण फैला रहा है. कछुए के आकार को रीतू ने इसी मकसद से चुना क्योंकि कछुआ पानी और धरती दोनों जगह रहता है. उसकी घटती उम्र हमें खतरे की ओर संकेत दे रहा है.

क्या होता है सिंगल हैंड प्लास्टिक
वो प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल हम सिर्फ एक बार करते हैं और फिर उसे फेंक देते हैं, यानी वन टाइम इस्तेमाल करके फेंक दी जाने वाला प्लास्टिक ही सिंगल-यूज प्लास्टिक कहलाता है. इसे हम डिस्पोजेबल प्‍लास्टिक भी कहते हैं. हालांकि, इसकी रीसाइक्लिंग की जा सकती है. इसका इस्तेमाल हम अपने रोजमर्रा के काम में करते हैं, जैसे- प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रॉ, डिस्पोजेबल कप, डिस्पोजेबल प्लेट्स, फूड पैकजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और कॉफी की डिस्पोजेबल कप.

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कैसे नुकसान पहुंचाता है सिंगल हैंड प्लास्टिक
प्लास्टिक वेस्ट हमारी सेहत को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा रहा है इसका एक आंकलन सामने आया है. हाल ही के एक विश्लेषण में कहा गया है कि हर साल भोजन और सांस के जरिए हजारों माइक्रोप्लास्टिक कण मानव शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं. माइक्रोप्लास्टिक, प्लास्टिक के महीन कण होते हैं जो मानव निर्मित उत्पादों जैसे सिंथेटिक कपड़ों, टायर और कॉन्टैक्ट लेंस से टूट कर बनते हैं.

माइक्रोप्लास्टिक पृथ्वी पर हर जगह मिलने वाली सामग्रियों में से एक है. दुनिया के सबसे ऊंचे कुछ ग्लेशियरों और सबसे गहरी समुद्री खाइयों की सतह पर भी पाए जाते हैं. पिछले कई अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि कैसे माइक्रोप्लास्टिक मानव की खाद्य श्रृंखला में शामिल हो सकता है. पिछले साल सामने आए एक अध्ययन के अनुसार लगभग सभी प्रमुख बोतलबंद पानी ब्रांडों के नमूनों में भी माइक्रोप्लास्टिक पाया गया था.

Intro:फ़ॉर राजीव वर्मा

कुरुक्षेत्र जिले की एक छात्रा की नई पहल 23 नवंबर को शुरू होने वाली गीता जयंती में पूर्ण सिंह से मुक्त का संदेश देने के लिए लगभग 90000 पॉलिथीन के बैग इकट्ठा कर उन बैग से कछुआ बनाकर देगी पॉलिथीन मुक्त का संदेश

किस तरह नुकसानदायक है क्या-क्या उसके नुकसान जानवरों पर इंसान पर हो सकते हैं इस तरह का संदेश देने के लिए गीता जयंती महोत्सव में प्लास्टिक से बने एक विशाल कछुए से संदेश देने के लिए छात्रा ने कई स्कूलों के छात्रों के साथ मिलकर
90000 पॉलिथीन इकट्ठा कर यह कछुआ बनाकर एक संदेश देने की नई पहल है इससे पहले सिंगापुर में 68000 पॉलिथीन से एक विशालकाय ऑक्टोपस बनाकर पॉलिथीन से मुक्त होने का संदेश दिया गया था जो गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज हुआ था अब नया रिकॉर्ड कायम करने के लिए इस रीतू नाम की छात्रा ने करीब 90000 पॉलिथीन से यह कछुआ बनाया है।

कछुआ बनाने के पीछे छात्रा की एक नई सोच है छात्रा का कहना है कि यह पॉलिथीन पानी में भी रहकर किस तरह जीव जंतुओं को नुकसान पहुंचा रहा है छात्रा का कहना है कि कछुए की उम्र लगभग 3000 साल के करीब होती है और पॉलिथीन इतना फैल चुका है कि वह पानी पानी की सतह तालाबों यानी नदियों में भी जमा हो चुका है जिसके खाने से पानी में रहने वाले जीव जंतु भी मर जाते हैं कछुआ पानी में भी और जमीन पर भी दोनों में रहने के लिए सक्षम है और कछुए करना तो पानी के अंदर पॉलिथीन मुक्त वातावरण मिल पाता है और ना ही जमीन पर 3000 साल जिंदा रहने वाले इस डील की उम्र कट कर लगभग आधे से भी कब आ गई है और मनुष्य पर पॉलिथीन का इतना प्रभाव हो चुका है कि जो कैंसर जैसी बीमारी अब एक कॉमन बीमारी रह चुकी है जिसका पॉलिथीन काफी हद तक जिम्मेवार हैं।


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