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अच्छी पैदावार के लिए गेहूं की कौन सी किस्में लगाएं किसान, जानिए कृषि विशेषज्ञ से - गेहूं की अच्छी किस्में

किसानों को गेहूं की नई फसल लगाने के समय अक्सर अच्छी पैदावार की किस्म (wheat crop varieties) चुनने में दिक्कत होती है. ऐसे में कुरुक्षेत्र के कृषि विभाग के क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर डॉ. शशि पाल बता रहे हैं कि अच्छी पैदावार के लिए किसानों को कौन सी किस्म लगानी चाहिए.

wheat crop varieties
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Published : Nov 3, 2021, 7:06 PM IST

कुरुक्षेत्र: धान की कटाई के बाद किसानों के सामने एक बड़ी समस्या पैदा हो जाती है. किसान अपनी आने वाली गेहूं की फसल के लिए उन्नत किस्मों (wheat crop varieties) का चुनाव नहीं कर पाते. जिससे ये होता है कि किसान बिना जानकारी के अभाव में ऐसी किस्म लगा लेते हैं जिनमें बीमारी ज्यादा होती है और पैदावार कम निकलती है, लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं कि किसान कौन सी उन्नत किस्में लगाकर अच्छी पैदावार ले सकते हैं.

कुरुक्षेत्र के कृषि विभाग के क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर डॉ. शशि पाल ने बताया कि गेहूं की बिजाई करने का समय शुरू हो गया है. इसमें अगर किसान सही और अच्छा उत्पादन देने वाली गेहूं की किस्मों का चुनाव ना कर पाए तो उनको काफी नुकसान होता है. इसलिए हम कुछ ऐसी किस्में के बारे में बता रहे हैं जो अच्छी पैदावार देती हैं और हरियाणा सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में लगाई जा सकती है.

अच्छी पैदावार के लिए गेहूं की कौन सी किस्में लगाएं किसान, जानिए

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यह से किसमें हैं- डब्ल्यूएच-1270, डीबीडब्ल्यू-303, डीबीडब्ल्यू-187, एचडी-3226, एचडी-2965, डब्ल्यूएच-1021, डब्ल्यूएच-1224. इनमें बीमारी बहुत कम आती है और पैदावार अच्छी निकलती है. इसलिए किसानों के लिए खेती, जो घाटे का सौदा बनता जा रहा है उस घाटे से उबारने का काम गेहूं की ये किस्में करेंगी. अच्छी पैदावार के लिए अच्छी किस्म के बार में जानना तो जरूरी है ही, साथ ही किन किस्मों को लगाने से बचना चाहिए ये जानना भी जरूरी है. कुछ किसमें ऐसी ही भी हैं जिनको किसान भूल कर भी ना लगाएं. क्योंकि इनमें ज्यादा बीमारी आती है. यह किस्में हैं पीबीडब्ल्यू-343 और पीबीडब्ल्यू-542.

उन्होंने कहा कि गेहूं की बिजाई करने से पहले गेहूं के बीज को बावरस्टीन नामक दवाई से उपचार कर लेना चाहिए. एक एकड़ खेत में 40 किलो गेहूं का बीज डाला जाता है. अगर गेहूं की बिजाई पछेती की जाती है तो उसमें 40 किलो की जगह 50 किलो बीज खेत में डालना चाहिए. वहीं एक बार यूरिया और एक बार डीएपी भी डालना चाहिए. मौजूदा समय में हरियाणा में डीएपी की काफी समस्या हो रही है. इसलिए डीएपी की जगह किसान एनपीके या एसएसपी डाल सकते हैं जो डीएपी की तरह ही काम करता है.

ये भी पढ़ें- देश में पहली बार हरियाणा में किया गया ड्रोन से खाद का छिड़काव, पानी और समय की हुई बचत

डॉ. शशि पाल ने आगे कहा कि गेहूं की बिजाई किसी भी तरीके से कर सकते हैं. चाहे छिनटा विधि से करें या फिर किसी अन्य मशीन के द्वारा भी बिजाई कर सकते हैं. अगर मशीन से सीधी बिजाई करते हैं तो उसमें किसानों को प्रति एकड़ 3 से 5 हजार रुपये की बचत हो जाती है और फानों का प्रबंधन भी हो जाता है. इस तरीके से गेहूं की बिजाई करने से और उन्नत किस्म का चुनाव करने से किसान गेहूं की अच्छी पैदावार ले सकते हैं.

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कुरुक्षेत्र: धान की कटाई के बाद किसानों के सामने एक बड़ी समस्या पैदा हो जाती है. किसान अपनी आने वाली गेहूं की फसल के लिए उन्नत किस्मों (wheat crop varieties) का चुनाव नहीं कर पाते. जिससे ये होता है कि किसान बिना जानकारी के अभाव में ऐसी किस्म लगा लेते हैं जिनमें बीमारी ज्यादा होती है और पैदावार कम निकलती है, लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं कि किसान कौन सी उन्नत किस्में लगाकर अच्छी पैदावार ले सकते हैं.

कुरुक्षेत्र के कृषि विभाग के क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर डॉ. शशि पाल ने बताया कि गेहूं की बिजाई करने का समय शुरू हो गया है. इसमें अगर किसान सही और अच्छा उत्पादन देने वाली गेहूं की किस्मों का चुनाव ना कर पाए तो उनको काफी नुकसान होता है. इसलिए हम कुछ ऐसी किस्में के बारे में बता रहे हैं जो अच्छी पैदावार देती हैं और हरियाणा सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में लगाई जा सकती है.

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यह से किसमें हैं- डब्ल्यूएच-1270, डीबीडब्ल्यू-303, डीबीडब्ल्यू-187, एचडी-3226, एचडी-2965, डब्ल्यूएच-1021, डब्ल्यूएच-1224. इनमें बीमारी बहुत कम आती है और पैदावार अच्छी निकलती है. इसलिए किसानों के लिए खेती, जो घाटे का सौदा बनता जा रहा है उस घाटे से उबारने का काम गेहूं की ये किस्में करेंगी. अच्छी पैदावार के लिए अच्छी किस्म के बार में जानना तो जरूरी है ही, साथ ही किन किस्मों को लगाने से बचना चाहिए ये जानना भी जरूरी है. कुछ किसमें ऐसी ही भी हैं जिनको किसान भूल कर भी ना लगाएं. क्योंकि इनमें ज्यादा बीमारी आती है. यह किस्में हैं पीबीडब्ल्यू-343 और पीबीडब्ल्यू-542.

उन्होंने कहा कि गेहूं की बिजाई करने से पहले गेहूं के बीज को बावरस्टीन नामक दवाई से उपचार कर लेना चाहिए. एक एकड़ खेत में 40 किलो गेहूं का बीज डाला जाता है. अगर गेहूं की बिजाई पछेती की जाती है तो उसमें 40 किलो की जगह 50 किलो बीज खेत में डालना चाहिए. वहीं एक बार यूरिया और एक बार डीएपी भी डालना चाहिए. मौजूदा समय में हरियाणा में डीएपी की काफी समस्या हो रही है. इसलिए डीएपी की जगह किसान एनपीके या एसएसपी डाल सकते हैं जो डीएपी की तरह ही काम करता है.

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डॉ. शशि पाल ने आगे कहा कि गेहूं की बिजाई किसी भी तरीके से कर सकते हैं. चाहे छिनटा विधि से करें या फिर किसी अन्य मशीन के द्वारा भी बिजाई कर सकते हैं. अगर मशीन से सीधी बिजाई करते हैं तो उसमें किसानों को प्रति एकड़ 3 से 5 हजार रुपये की बचत हो जाती है और फानों का प्रबंधन भी हो जाता है. इस तरीके से गेहूं की बिजाई करने से और उन्नत किस्म का चुनाव करने से किसान गेहूं की अच्छी पैदावार ले सकते हैं.

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