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प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा कुरुक्षेत्र का ये सरकारी स्कूल, जानें क्या है खासियत

कुरुक्षेत्र के मूर्तजापुर गांव का राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सूबे के बाकि सरकारी स्कूलों के लिए आज मिशाल पेश कर रहा है. स्कूल सिर्फ सुविधाओं में ही नहीं बल्कि शिक्षा और खेल-कूद में भी प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा है.

Government School Moorthjapur Village
Government School Moorthjapur Village
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Published : Sep 16, 2020, 4:28 PM IST

कुरुक्षेत्र: सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही जहन में पहली तस्वीर बदहाली की बनती है. टूटी हुई इमारत, गंदे टॉयलेट्स और असुविधाओं का अंबार, अक्सर ऐसा ही कुछ सुनने को मिलता है सरकारी स्कूल के बारे में. लेकिन आज जिस सरकारी स्कूल के बारे में हम बात कर रहे हैं उसे देखकर शायद सरकारी स्कूलों को लेकर आपकी सोच भी बदल जाए. हम बात कर रहे हैं कुरुक्षेत्र के मूर्तजापुर गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की. ये स्कूल सिर्फ सुविधाओं ही नहीं बल्कि शिक्षा और खेलों में भी प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा है.

आदर्श सरकारी स्कूल

स्कूल की दीवारों पर साइंस और गणित के फॉर्मूले लिखे गए हैं. सूबे का कौन सा जिला कब बना इसे लिखा गया है. सामान्य ज्ञान को भी दीवारों पर पेंटिंग के जरिए समझाया गया है ताकि बच्चे खेल-खेल में भी इन्हें सीख सकें. इतना ही नहीं स्कूल की दीवारों पर शहीद और उन खिलाड़ियों के नाम भी हैं जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है. स्कूल में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाया गया है. ताकि बारिश के पानी को बचाया जा सके.

प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा कुरुक्षेत्र का ये सरकारी स्कूल, क्लिक कर देखें वीडियो

स्कूल में बने टॉयलेट किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं हैं. इन सुविधाओं के देखते हुए सिर्फ अभिभावक ही नहीं बल्कि स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर्स भी अपने बच्चों को इसकी स्कूल में पढ़ाने का फैसला कर चुके हैं. आज से तीन साल पहले इस स्कूल में 250 के करीब बच्चे थे. जिनकी संख्या अब बढ़कर 350 तक हो चुकी हैं. क्योंकि अभिभावक अब अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकालकर उनका दाखिला इसी सरकारी स्कूल में करवा रहे हैं.

स्कूल में 5 स्टार दर्जे की सुविधाएं

स्कूल की तस्वीर का पूरा श्रेय यहां के प्रिंसिपल वीरेंद्र वालिया को जाता है. उन्होंने स्कूल में बच्चों को पढ़ाई या सिलेबस तक सीमित नहीं रखा, बल्कि शिक्षा के साथ सुविधाओं पर भी ध्यान रखा. करीब तीन साल पहले स्कूल की हालत खंडहर थी. ट्रांसफर होने के बाद प्रिंसिपल ने स्कूल की तस्वीर बदलने की ठानी. गांव के सरपंच का उनको पूरा सहयोग मिला. पंचायत और स्कूल के फंड से स्कूल का भव्य निर्माण किया. आज इस स्कूल में अलग से प्रार्थना ग्राउंड, खेल ग्राउंड बना है. ग्रीनरी का भी अच्छा ध्यान रखा गया है.

ये भी पढ़ें- कोरोना मरीजों के लिए 'ई-संजीवनी ओपीडी', फ्री में मिलेगी ये सुविधा

स्कूल के सभी अध्यापकों की कमेटी बनाई है. कमेटी की मीटिंग लेकर प्रिंसिपल समय-समय पर सुझाव लेते रहते हैं और बेहतर सुझाव को स्कूल में लागू करते हैं. बात करें स्कूल के रिजल्ट की. तो वो भी प्राइवेट स्कूले के मुकाबले बेहतर रहा है. इस स्कूल को विभाग की तरफ से जिला स्तर पर कई इनाम भी मिल चुके हैं. स्कूल में ग्रीनरी का भी विशेष ध्यान रखा गया है. स्कूल के पौधे मध्य प्रदेश से मंगवाए गए थे. स्कूल के बनाने के लिए 5 से 6 लाख रुपये का योगनान गांव की पंचायत ने दिया था.

कुरुक्षेत्र: सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही जहन में पहली तस्वीर बदहाली की बनती है. टूटी हुई इमारत, गंदे टॉयलेट्स और असुविधाओं का अंबार, अक्सर ऐसा ही कुछ सुनने को मिलता है सरकारी स्कूल के बारे में. लेकिन आज जिस सरकारी स्कूल के बारे में हम बात कर रहे हैं उसे देखकर शायद सरकारी स्कूलों को लेकर आपकी सोच भी बदल जाए. हम बात कर रहे हैं कुरुक्षेत्र के मूर्तजापुर गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की. ये स्कूल सिर्फ सुविधाओं ही नहीं बल्कि शिक्षा और खेलों में भी प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा है.

आदर्श सरकारी स्कूल

स्कूल की दीवारों पर साइंस और गणित के फॉर्मूले लिखे गए हैं. सूबे का कौन सा जिला कब बना इसे लिखा गया है. सामान्य ज्ञान को भी दीवारों पर पेंटिंग के जरिए समझाया गया है ताकि बच्चे खेल-खेल में भी इन्हें सीख सकें. इतना ही नहीं स्कूल की दीवारों पर शहीद और उन खिलाड़ियों के नाम भी हैं जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है. स्कूल में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाया गया है. ताकि बारिश के पानी को बचाया जा सके.

प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा कुरुक्षेत्र का ये सरकारी स्कूल, क्लिक कर देखें वीडियो

स्कूल में बने टॉयलेट किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं हैं. इन सुविधाओं के देखते हुए सिर्फ अभिभावक ही नहीं बल्कि स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर्स भी अपने बच्चों को इसकी स्कूल में पढ़ाने का फैसला कर चुके हैं. आज से तीन साल पहले इस स्कूल में 250 के करीब बच्चे थे. जिनकी संख्या अब बढ़कर 350 तक हो चुकी हैं. क्योंकि अभिभावक अब अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकालकर उनका दाखिला इसी सरकारी स्कूल में करवा रहे हैं.

स्कूल में 5 स्टार दर्जे की सुविधाएं

स्कूल की तस्वीर का पूरा श्रेय यहां के प्रिंसिपल वीरेंद्र वालिया को जाता है. उन्होंने स्कूल में बच्चों को पढ़ाई या सिलेबस तक सीमित नहीं रखा, बल्कि शिक्षा के साथ सुविधाओं पर भी ध्यान रखा. करीब तीन साल पहले स्कूल की हालत खंडहर थी. ट्रांसफर होने के बाद प्रिंसिपल ने स्कूल की तस्वीर बदलने की ठानी. गांव के सरपंच का उनको पूरा सहयोग मिला. पंचायत और स्कूल के फंड से स्कूल का भव्य निर्माण किया. आज इस स्कूल में अलग से प्रार्थना ग्राउंड, खेल ग्राउंड बना है. ग्रीनरी का भी अच्छा ध्यान रखा गया है.

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स्कूल के सभी अध्यापकों की कमेटी बनाई है. कमेटी की मीटिंग लेकर प्रिंसिपल समय-समय पर सुझाव लेते रहते हैं और बेहतर सुझाव को स्कूल में लागू करते हैं. बात करें स्कूल के रिजल्ट की. तो वो भी प्राइवेट स्कूले के मुकाबले बेहतर रहा है. इस स्कूल को विभाग की तरफ से जिला स्तर पर कई इनाम भी मिल चुके हैं. स्कूल में ग्रीनरी का भी विशेष ध्यान रखा गया है. स्कूल के पौधे मध्य प्रदेश से मंगवाए गए थे. स्कूल के बनाने के लिए 5 से 6 लाख रुपये का योगनान गांव की पंचायत ने दिया था.

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