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'डेंजर जोन' में हरियाणा? 3 साल में स्थिति और बिगड़ी

हरियाणा में दिन-प्रतिदिन जल संकट गहराता जा रहा है. इस संकट से उबरने के लिए सीएम सिटी करनाल में स्थित राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान ने पानी को बचाने के लिए पहल की है. बता दें कि जल संकट पर मुख्यमंत्री भी चिंता जता चुके हैं.

जल संकट से बचने के उपाय
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Published : May 26, 2019, 1:19 PM IST

Updated : May 26, 2019, 3:49 PM IST

करनाल: सीएम सिटी में लगातार पानी का स्तर गिरता जा रहा है. करनाल को भी डेंजर जोन में रखा गया है. जिले में जलदोहन को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम नहीं किया गया है. जल की महत्वता को समझते हुए हुए राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल में जल परियोजनाओं के अंतर्गत जल बचाओ के लिए तकनीकि उपाय विकसित किए हैं.

यदि 1/2 इंच व्यास का नल दिन में 16 घंटे बहता रहता है तो उससे तकरीबन 28 हजार 280 लीटर जल व्यर्थ होता है, जबकि पशुओं द्वारा इसका मात्रक 18-20 % इस्तेमाल में लाया जाता है. बाकी पानी व्यर्थ जाता है.

क्लिक कर देखें वीडियो

पानी को बचाने के लिए किसान पानी पिलाने के स्त्रोत को एक बॉल कार्क लगा कर नियंत्रित कर सकते हैं. पशु आवास को साफ एवं धोने के लिए किसान भाई कम से मोटाई की पाईप इस्तमाल करें. जितनी पाईप की मोटाई ज्यादा होती है पानी उतना ही ज्यादा व्यर्थ होता है. तेज प्रेशर से सफाई करने से पानी कम मात्रा में खर्च होता है.

कैसे बचाएं पानी

  • जरूरत के हिसाब से पानी का प्रयोग करें.
  • सुबह जरूरत से ज्यादा पानी से अपने घर के बार बनी सड़क ना धोएं.
  • नहाने के लिए सीमित पानी का प्रयोग करें. व्यर्थ में सिर्फ शरीर को ठंडा करने के लिए पानी ना उडेलें.
  • पीने का पानी मटका आदि में रखें. हर बार पीने के लिए एक गिसाल पानी के लिए समर या मोटर पंप चला कर पानी व्यर्थ ना करें.
  • घर में पानी की टंकी या टोंटियों से पानी लीकेज ना होने दें.
  • खेतों की सिंचाई रात या शाम के समय करें ऐसा करने से कम पानी खर्च होता है.
  • पानी के लिए पतले पाइप का प्रयोग करें. इससे पानी प्रेशर से निकलता है. इससे पानी का व्यय कम होता है.
  • घर से निकलने वाले पानी को कच्चे तालाबों या गड्ढों में जान दें. या फिर पेड़ पौधों की सिंचाई में प्रयोग करें.

सीएम ने जताई चिंता

सूबे के सीएम मनोहर लाल भी प्रदेश में पानी की किल्लत को लेकर चिंता जता चुके हैं. मुख्यमंत्री ने जलसंकट से निपटने के लिए प्रशासन के साथ आम लोगों से भी सहयोग की अपील की थी.

प्रदेश भर में डार्क जोन

2017 में हरियाणा में 36 डार्क जोन बनाए गए थे. इसके बाद से हरियाणा में पानी की स्थिती ज्यों की त्यों बनी हुई है. 2017 में हरियाणा में सभी 36 डार्क जोन ब्लॉक 13 जिलों, अम्बाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, हिसार, झज्जर, भिवानी, रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, सिरसा, सोनीपत, पानीपत, जींद और इसके साथ ही 15 गांवों को भी शामिल किया गया था.

करनाल: सीएम सिटी में लगातार पानी का स्तर गिरता जा रहा है. करनाल को भी डेंजर जोन में रखा गया है. जिले में जलदोहन को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम नहीं किया गया है. जल की महत्वता को समझते हुए हुए राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल में जल परियोजनाओं के अंतर्गत जल बचाओ के लिए तकनीकि उपाय विकसित किए हैं.

यदि 1/2 इंच व्यास का नल दिन में 16 घंटे बहता रहता है तो उससे तकरीबन 28 हजार 280 लीटर जल व्यर्थ होता है, जबकि पशुओं द्वारा इसका मात्रक 18-20 % इस्तेमाल में लाया जाता है. बाकी पानी व्यर्थ जाता है.

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पानी को बचाने के लिए किसान पानी पिलाने के स्त्रोत को एक बॉल कार्क लगा कर नियंत्रित कर सकते हैं. पशु आवास को साफ एवं धोने के लिए किसान भाई कम से मोटाई की पाईप इस्तमाल करें. जितनी पाईप की मोटाई ज्यादा होती है पानी उतना ही ज्यादा व्यर्थ होता है. तेज प्रेशर से सफाई करने से पानी कम मात्रा में खर्च होता है.

कैसे बचाएं पानी

  • जरूरत के हिसाब से पानी का प्रयोग करें.
  • सुबह जरूरत से ज्यादा पानी से अपने घर के बार बनी सड़क ना धोएं.
  • नहाने के लिए सीमित पानी का प्रयोग करें. व्यर्थ में सिर्फ शरीर को ठंडा करने के लिए पानी ना उडेलें.
  • पीने का पानी मटका आदि में रखें. हर बार पीने के लिए एक गिसाल पानी के लिए समर या मोटर पंप चला कर पानी व्यर्थ ना करें.
  • घर में पानी की टंकी या टोंटियों से पानी लीकेज ना होने दें.
  • खेतों की सिंचाई रात या शाम के समय करें ऐसा करने से कम पानी खर्च होता है.
  • पानी के लिए पतले पाइप का प्रयोग करें. इससे पानी प्रेशर से निकलता है. इससे पानी का व्यय कम होता है.
  • घर से निकलने वाले पानी को कच्चे तालाबों या गड्ढों में जान दें. या फिर पेड़ पौधों की सिंचाई में प्रयोग करें.

सीएम ने जताई चिंता

सूबे के सीएम मनोहर लाल भी प्रदेश में पानी की किल्लत को लेकर चिंता जता चुके हैं. मुख्यमंत्री ने जलसंकट से निपटने के लिए प्रशासन के साथ आम लोगों से भी सहयोग की अपील की थी.

प्रदेश भर में डार्क जोन

2017 में हरियाणा में 36 डार्क जोन बनाए गए थे. इसके बाद से हरियाणा में पानी की स्थिती ज्यों की त्यों बनी हुई है. 2017 में हरियाणा में सभी 36 डार्क जोन ब्लॉक 13 जिलों, अम्बाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, हिसार, झज्जर, भिवानी, रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, सिरसा, सोनीपत, पानीपत, जींद और इसके साथ ही 15 गांवों को भी शामिल किया गया था.

HAR                             KARNAL
REPORTER                 RAKESH KUMAR SHARMA

Special story

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स्टोरी  -   जल संरक्षण के उपाय अपनाने से की जा सकती है भूमिगत शुद्ध जल की बचत , किसान अब ख़राब जल को भी बचा सकता है  इस  टेक्नीक से , जल की इसी महत्वता  को समझते हुए  हुए राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल में जल परियोजनाओं के अंतर्गत  जल बचाओ हेतु तकनीकी के उपाय किये विकसित ,यह टेक्नीक उन किसानो के लिए भी होगी फायदेमन्द और खर्च भी होगा बहुत कम , जल के संक्षिप्त उपयोग द्वारा बढ़ाया जा सकता है जल के प्रयोग को कई गुना ,पानी का विषय बनता जा रहा है गंभीर , जल ही जीवन है और आज के समय का है सबसे एहम मुद्दा ,प्रदेश में लगातार बढ़ रहा पानी का संकट   ,करनाल समेत कई जिले आ चुके है डार्क जोन में , हरियाणा है गर्म प्रदेश समुद्र से दूर ,  हमारे यहाँ तक आते आते वर्षा  होती है कम , कम वर्षा के चलते लोगो के लिए पानी का संकट आना निष्टित अगर सरकार की तरफ से नहीं उठाये गए ठोस कदम , पिछले दिनों हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जताई गहन चिंता।

एंकर   -    सी एम सिटी करनाल में लगातार दिन व दिन पानी का स्तर गिरता जा रहा है।  जिससे करनाल डेंजर जोन में आया है। जिले में जलदोहन को रोकने के लिए प्रशासन के पास कोई भी इंतजाम नहीं हैं।  प्राय देखने में आता है जितना जल हम इस्तेमाल करते हैं उससे कई गुना हम अपने पैरो में प्रवाहित कर देते हैं जिसके कारण व्यर्थ में बहता हुआ जल पर्यावरण के लिए भी खतरनाक होता जा रहा है।जल की इसी महत्वता को समझते हुए  हुए राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल में जल परियोजनाओं के अंतर्गत  जल बचाओ हेतु तकनीकी के उपाय विकसित किए हैं ! यदि1/2 इंच व्यास का नल दिन में 16 घंटे बहता रहता है तो उससे तकरीबन 28280 लीटर जल व्यर्थ होता है जबकि पशुओं द्वारा इसका मात्रक 18 - 20 %इस्तेमाल में लाया जाता है बाकी  व्यर्थ जाता है !  पशुधन के पीने के जल हेतु किसान भाई पानी पिलाने के स्त्रोत को एक बॉल कार्क लगा कर नियंत्रित कर सकते हैं ! पशु आवास को साफ एवं धोने के लिए किसान भाई कम से मोटाई की पाईप इस्तमाल करें ! जितनी पाईप की मोटाई बढ़ती जाएगी उतना ही जल व्यर्थ बहेगा और काम भी कम होगा ! ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वह धुलाई  एवं  सफाई हेतु प्रेशर वाले यंत्र  प्रयोग करें ताकि कम पानी का इस्तेमाल हो और सफाई भी अच्छी प्रकार से की जा सके !

वीओ  -   अपशिष्ट प्रदूषित जल शुद्धीकरण की आवश्यकता क्यों है ! जल के प्रति व्यक्ति जीवन उपलब्धता उपलब्ध संसाधनों का सही ढंग से इस्तेमाल ना करने से तथा जनसंख्या बढ़ाने से दिन प्रतिदिन जल उपलब्धता में कमी होती जा रही है ! सब जल संसाधन अत्यधिक घरेलू व्यवसायिक औद्योगिक प्रयोग के द्वारा अपशिष्ट जल में परिवर्तित होते जा रहे हैं और इसका कारण उपयोगी जल संसाधनों की उपलब्धता काफी सीमित होती जा रही है अपशिष्ट जल को प्रयोग में लाने से हमें काफी हद तक जल संसाधनों को बचा कर रख उन्हें भविष्य में उपयोग हेतु सुरक्षित रख सकते है। अपशिष्ट प्रदूषित जल शुद्धीकरण के लिए अपशिष्ट जल को घरेलू एवं ने खेतों से एकत्रित कर एक होद या टंकी में इकट्ठा कर ले। एकत्रित किए हुए अपशिष्ट जल में 100 ग्राम पिसी हुई फिटकरी प्रति 100 लीटर अपशिष्ट जल की मात्रा के अनुसार डालकर20 से 25 मिनट तक हिलाते रहें। फिटकरी खोलने के 30 से 40 मिनट पश्चात इस अपशिष्ट जल मिश्रण में 50 ग्राम पिसा कोयला चारकोल पाउडर प्रति 100लीटर अपशिष्ट जल के हिसाब से गोल कर मिला दे। अब इस अपशिष्ट जल मिश्रण को 30 से 40 मिनट तक बिना हिलाए छोड़ दे। फिटकरी गोले के 30 से 40 मिनट पश्चात इस अपशिष्ट जल मिश्रण को 50 ग्राम पिसा कोयला चारकोल पाउडर प्रति 100लीटर अपशिष्ट जल के हिसाब से बोलकर मिला दे। अभी इस अपशिष्ट जल मिश्रण को 30 से 40 मिनट तक बिना हिलाये छोड़ दे ! 30 से 40 मिनट उपरान्त जल में निहित सभी प्रकार के अपशिष्ट कण होद/ टंकी की तलहटी  में बैठ जाएंगे। इस होद/ टंकी से शुद्धीकृत जल पाने के लिए जल का पारदर्शी और स्वच्छता को निरंतर विधि से दूसरी होद/ टंकी मे एकत्रित कर ले। इस होद/ टंकी शुद्धीकृत जल पाने के लिए जल का पारदर्शी और स्वच्छता को निरंतर विधि से दूसरी होद/ टंकी मे एकत्रित कर ले। अभी पारदर्शी एवं स्वच्छ जल को जीवाणु रहित करने के लिए 250 मिली लीटर(1%) लिक्विड क्लोरीन अथवा 7मिलीलीटर(4%) लिक्विड क्लोरीन प्रति 100 लीटर जल में मिला दे इस जल को घंटे उपरांत उपयोग में लाया जा सकता है इस प्रतिक्रिया द्वारा उपचारित अपशिष्ट जल पशु आधारित इकाइयों में पशुओं को पानी पिलाने नहलाने उनके आवास इत्यादि को धोने , बाग बगीचों की सिंचाई ,घरेलू कार्यों में सफाई ,आग बुझाने ,निर्माण कार्य ,वाहन इत्यादि की सफाई हेतु प्रयोग में लाया जा सकता है। 

बाईट - डॉ आशुतोष कृषि वैज्ञानिक राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान  

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HR_KRL_WATER RECYCLING_BYTE_1_10001.mp4 
HR_KRL_WATER RECYCLING_SHOT_3_10001.mp4 
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Last Updated : May 26, 2019, 3:49 PM IST
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