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Mesh Sankranti 2023: मेष संक्रांति पर करें इन चीजों का दान, सूर्य देव दिलाएं सुख, संपत्ति और सम्मान - significance of Mesh Sankranti

शुक्रवार, 14 अप्रैल को मेष संक्रांति 2023 है. इस दिन सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे. मान्यता है कि मेष संक्रांति पर कुछ खास उपाय करने से मान-सम्मान में बढ़ोतरी होती है साथ ही साथ भाग्योदय भी होता है. तो आइए जानते हैं मेष संक्रांति पर क्या करें और क्या न करें... (Mesh Sankranti 2023)

Mesh Sankranti 2023
मेष सक्रांति 2023
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Published : Apr 13, 2023, 10:37 PM IST

करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन व तिथि की गणना पंचांग के आधार पर की जाती है. हिंदू धर्म में जो भी तिथि और वार होते हैं उस हिसाब से हिंदू धर्म के लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार व्रत व पूजा इत्यादि करते हैं. आने वाली 14 अप्रैल को हिंदू पंचांग के अनुसार मेष संक्रांति है और हिंदू धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है. संक्रांति की गणना सूर्य के राशि बदलने के आधार पर की जाती है. 14 अप्रैल को सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश कर रहा है. इसलिए इस संक्रांति को मेष संक्रांति कहा जाता है.

मेष संक्रांति का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष मेष संक्रांति दिन शुक्रवार, 14 अप्रैल को पड़ रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार मेष संक्रांति का पुण्य काल का प्रारंभ सुबह 10 बजकर 55 मिनट से शुरू होगा जबकि समापन शाम 06 बजकर 46 मिनट पर होगा. वहीं, महा पुण्य काल का समय दोपहर 1 बजकर 04 मिनट से शुरू होकर शाम 5 बजकर 20 मिनट पर समापन होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन पर सूर्य दोपहर 3 बजकर 12 मिनट पर मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेगा, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर रहने वाला है.

मांगलिक कार्य होंगे शुरू: हिंदू पंचांग के अनुसार पिछले काफी समय से हिंदू पंचांग के अनुसार मांगलिक कार्यों करना अशुभ माना जा रहा था, लेकिन जैसे ही सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेगा उस समय से विवाह, मुंडन, गृह-प्रवेश इत्यादि सभी मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन स्नान, दान, जप, तप और तर्पण आदि करने से व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है. वहीं, इस विशेष दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से इंसान को विशेष लाभ प्राप्त होता है.

मेष संक्रांति का महत्व: हिंदू शास्त्रों में बताया गया है कि मेष संक्रांति का हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व है. क्योंकि इस दिन को सौरमंडल का नया वर्ष भी कहा जाता है. वैसे तो हिंदू नव वर्ष काफी समय पहले ही शुरू हो चुका है, लेकिन 12 राशियों में से मेष सबसे पहली राशि है. इस दिन सूर्य इस में प्रवेश करता है इसलिए इसको सौरमंडल का नया वर्ष की शुरुआत भी कहा जाता है. इस दिन वैशाखी का त्योहार भी मनाया जाता है. मेष राशि के दिन जो भी मनुष्य सूर्य देव की पूजा करने उपरांत दान करता है तो उसका बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. माना जाता है कि ऐसा करने से उस मनुष्य पर सूर्य देव की कृपा बनी रहती है.

मेष राशि के लोगों के लिए तांबे का विशेष महत्व: शास्त्रों में बताया गया है कि मेष राशि में तांबे का सबसे ज्यादा महत्व है. सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके जो मनुष्य उगते हुए सूरज को तांबे के बर्तन में पानी देता है और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और उसका सूर्य मजबूत होता है. तांबे का सूर्यदेव से काफी पुराना संबंध माना जाता है इसलिए इस दिन तांबे से बनी कोई भी वस्तु दान करने से मनुष्य के बिगड़े काम सही हो जाते हैं साथ ही मनुष्य की बुद्धि और बल में पहले से ज्यादा और विकास होता है.

मेष संक्रांति के दिन गुड़ का है विशेष महत्व: शास्त्रों में बताया गया है कि अगर मनुष्य मेष संक्रांति के दिन तांबे से अलग गुड़ का दान करें तो उससे भी सूर्य देव प्रसन्न होते हैं अगर गुड़ के साथ मनुष्य चावल मिलाकर दान करें तो और भी इसका ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि गुड का संबंध सूर्य देव और मंगल ग्रह से है. शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि जो भी मनुष्य मेष संक्रांति के दिन 'ॐ घूणि: सूर्य आदित्य:' मंत्र का उच्चारण करते हुए गुड़ और चावल का दान करते हैं तो उनके जीवन में मधुरता आती है साथ ही उस मनुष्य के परिवार के सभी सदस्य मे एक दूसरे के प्रति प्रेम की भावना बढ़ जाती है. जिससे परिवार में सुख शांति बनी रहती है.

इसके साथ ही जहां भी आप काम कर रहे हैं, वहां पर आपके कार्यक्षेत्र में आपकी पहले से ज्यादा तरक्की होती है. शास्त्रों में बताया गया है कि मेष संक्रांति के दिन मनुष्य को गेहूं का दान भी करना चाहिए क्योंकि वह भी पीले रंग की होती है. ऐसा करने से मनुष्य पर धन की कभी कमी नहीं होती और वह अपने कार्य क्षेत्र व बिजनेस में उन्नति करता है.

वही शास्त्रों में यह भी बताया गया है जो भी मनुष्य इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद गरीब, जरूरतमंद व ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद दान देता है उसके सभी ग्रहों के दोष दूर हो जाते हैं. इसके अलावा परिवार के सभी सदस्यों के सम्मान में पहले से ज्यादा वृद्धि होती है. इस दिन आप मसूर के दाल भी दान के रूप में दे सकते हैं. इस दिन लाल फूल, लाल कपड़े, लाल चंदन आदि का दान करने का भी बहुत ही ज्यादा महत्व बताया जाता है. मान्यता है कि यह दान करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और मनुष्य के पराक्रम में वृद्धि होती है.

ये भी पढ़ें: वैशाख महीने में भगवान विष्णु की पूजा करने से दूर होंगे कष्ट, जानें इस महीने का महत्व

करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन व तिथि की गणना पंचांग के आधार पर की जाती है. हिंदू धर्म में जो भी तिथि और वार होते हैं उस हिसाब से हिंदू धर्म के लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार व्रत व पूजा इत्यादि करते हैं. आने वाली 14 अप्रैल को हिंदू पंचांग के अनुसार मेष संक्रांति है और हिंदू धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है. संक्रांति की गणना सूर्य के राशि बदलने के आधार पर की जाती है. 14 अप्रैल को सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश कर रहा है. इसलिए इस संक्रांति को मेष संक्रांति कहा जाता है.

मेष संक्रांति का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष मेष संक्रांति दिन शुक्रवार, 14 अप्रैल को पड़ रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार मेष संक्रांति का पुण्य काल का प्रारंभ सुबह 10 बजकर 55 मिनट से शुरू होगा जबकि समापन शाम 06 बजकर 46 मिनट पर होगा. वहीं, महा पुण्य काल का समय दोपहर 1 बजकर 04 मिनट से शुरू होकर शाम 5 बजकर 20 मिनट पर समापन होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन पर सूर्य दोपहर 3 बजकर 12 मिनट पर मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेगा, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर रहने वाला है.

मांगलिक कार्य होंगे शुरू: हिंदू पंचांग के अनुसार पिछले काफी समय से हिंदू पंचांग के अनुसार मांगलिक कार्यों करना अशुभ माना जा रहा था, लेकिन जैसे ही सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेगा उस समय से विवाह, मुंडन, गृह-प्रवेश इत्यादि सभी मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन स्नान, दान, जप, तप और तर्पण आदि करने से व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है. वहीं, इस विशेष दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से इंसान को विशेष लाभ प्राप्त होता है.

मेष संक्रांति का महत्व: हिंदू शास्त्रों में बताया गया है कि मेष संक्रांति का हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व है. क्योंकि इस दिन को सौरमंडल का नया वर्ष भी कहा जाता है. वैसे तो हिंदू नव वर्ष काफी समय पहले ही शुरू हो चुका है, लेकिन 12 राशियों में से मेष सबसे पहली राशि है. इस दिन सूर्य इस में प्रवेश करता है इसलिए इसको सौरमंडल का नया वर्ष की शुरुआत भी कहा जाता है. इस दिन वैशाखी का त्योहार भी मनाया जाता है. मेष राशि के दिन जो भी मनुष्य सूर्य देव की पूजा करने उपरांत दान करता है तो उसका बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. माना जाता है कि ऐसा करने से उस मनुष्य पर सूर्य देव की कृपा बनी रहती है.

मेष राशि के लोगों के लिए तांबे का विशेष महत्व: शास्त्रों में बताया गया है कि मेष राशि में तांबे का सबसे ज्यादा महत्व है. सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके जो मनुष्य उगते हुए सूरज को तांबे के बर्तन में पानी देता है और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और उसका सूर्य मजबूत होता है. तांबे का सूर्यदेव से काफी पुराना संबंध माना जाता है इसलिए इस दिन तांबे से बनी कोई भी वस्तु दान करने से मनुष्य के बिगड़े काम सही हो जाते हैं साथ ही मनुष्य की बुद्धि और बल में पहले से ज्यादा और विकास होता है.

मेष संक्रांति के दिन गुड़ का है विशेष महत्व: शास्त्रों में बताया गया है कि अगर मनुष्य मेष संक्रांति के दिन तांबे से अलग गुड़ का दान करें तो उससे भी सूर्य देव प्रसन्न होते हैं अगर गुड़ के साथ मनुष्य चावल मिलाकर दान करें तो और भी इसका ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि गुड का संबंध सूर्य देव और मंगल ग्रह से है. शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि जो भी मनुष्य मेष संक्रांति के दिन 'ॐ घूणि: सूर्य आदित्य:' मंत्र का उच्चारण करते हुए गुड़ और चावल का दान करते हैं तो उनके जीवन में मधुरता आती है साथ ही उस मनुष्य के परिवार के सभी सदस्य मे एक दूसरे के प्रति प्रेम की भावना बढ़ जाती है. जिससे परिवार में सुख शांति बनी रहती है.

इसके साथ ही जहां भी आप काम कर रहे हैं, वहां पर आपके कार्यक्षेत्र में आपकी पहले से ज्यादा तरक्की होती है. शास्त्रों में बताया गया है कि मेष संक्रांति के दिन मनुष्य को गेहूं का दान भी करना चाहिए क्योंकि वह भी पीले रंग की होती है. ऐसा करने से मनुष्य पर धन की कभी कमी नहीं होती और वह अपने कार्य क्षेत्र व बिजनेस में उन्नति करता है.

वही शास्त्रों में यह भी बताया गया है जो भी मनुष्य इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद गरीब, जरूरतमंद व ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद दान देता है उसके सभी ग्रहों के दोष दूर हो जाते हैं. इसके अलावा परिवार के सभी सदस्यों के सम्मान में पहले से ज्यादा वृद्धि होती है. इस दिन आप मसूर के दाल भी दान के रूप में दे सकते हैं. इस दिन लाल फूल, लाल कपड़े, लाल चंदन आदि का दान करने का भी बहुत ही ज्यादा महत्व बताया जाता है. मान्यता है कि यह दान करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और मनुष्य के पराक्रम में वृद्धि होती है.

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