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करनाल: शहीद दीवान चंद को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई

शहीद दीवान चंद को गांव बसी अकबरपुर में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. शहीद को मुखाग्नि जवान के बड़े भाई ज्ञानचंद ने दी. बसी अकबरपुर निवासी दीवानचंद साल 1997 में बरेली में रंगरूट भर्ती हुए थे.

Shaheed Diwan Chand cremation with State Honors
शहीद दीवान चंद को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई
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Published : Sep 1, 2020, 10:38 PM IST

करनाल: देश की सरहद पर तैनात बसी अकबरपुर के जवान दीवान चंद ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए. दीवान चंद लेह लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर की पोस्ट पर ड्यूटी दे रहा था. ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से शुक्रवार सुबह अचानक जवान की तबीयत बिगड़ी. साथी जवानों ने उसे बेस कैंप में भर्ती करवाया जहां शुक्रवार देर शाम इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया.

तीन दिन बाद सोमवार को शहीद जवान का पार्थिव शरीर उसके पैतृक गांव बसी अकबरपुर पहुंचा. जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. शहीद को मुखाग्नि जवान के बड़े भाई ज्ञानचंद ने दी. बसी अकबरपुर निवासी दीवानचंद साल 1997 में बरेली में रंगरूट भर्ती हुए थे. करीब डेढ़ वर्ष पहले दीवान चंद की पोस्टिंग लेह सियाचिन में हुई थी.

शहीद दीवान चंद को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई, देखिए वीडियो

सेना अधिकारी ओमप्रकाश के मुताबिक 28 अगस्त की शाम सूबेदार जोगीराम ने शहीद दीवान चंद के स्वजनों को सूचना दी जिसके बाद घर व गांव में मातम छा गया. सोमवार को शहीद का शव घरौंडा पहुंचा तो गाड़ी के आगे व पीछे सैंकड़ों बाइकों का काफिला भारत माता व शहीद दीवान चंद अमर रहे के नारे लगाते हुए चल रहा था.

शहीद का पार्थिव शव गांव में पहुंचा तो नमन करने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा. शहीद की पत्नी रेशमा, 13 वर्षीय मोहित तथा 10 वर्षीय हिमांशु का रो-रोकर बुरा हाल था. वहीं गांव के श्मशान घाट में अम्बाला से पहुंची सेना और पुलिस के जवानों ने शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया.

ये भी पढ़िए: हरियाणा में प्लास्टिक वेस्ट से 83 सड़कों को अपग्रेड करेगी सरकार

करनाल: देश की सरहद पर तैनात बसी अकबरपुर के जवान दीवान चंद ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए. दीवान चंद लेह लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर की पोस्ट पर ड्यूटी दे रहा था. ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से शुक्रवार सुबह अचानक जवान की तबीयत बिगड़ी. साथी जवानों ने उसे बेस कैंप में भर्ती करवाया जहां शुक्रवार देर शाम इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया.

तीन दिन बाद सोमवार को शहीद जवान का पार्थिव शरीर उसके पैतृक गांव बसी अकबरपुर पहुंचा. जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. शहीद को मुखाग्नि जवान के बड़े भाई ज्ञानचंद ने दी. बसी अकबरपुर निवासी दीवानचंद साल 1997 में बरेली में रंगरूट भर्ती हुए थे. करीब डेढ़ वर्ष पहले दीवान चंद की पोस्टिंग लेह सियाचिन में हुई थी.

शहीद दीवान चंद को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई, देखिए वीडियो

सेना अधिकारी ओमप्रकाश के मुताबिक 28 अगस्त की शाम सूबेदार जोगीराम ने शहीद दीवान चंद के स्वजनों को सूचना दी जिसके बाद घर व गांव में मातम छा गया. सोमवार को शहीद का शव घरौंडा पहुंचा तो गाड़ी के आगे व पीछे सैंकड़ों बाइकों का काफिला भारत माता व शहीद दीवान चंद अमर रहे के नारे लगाते हुए चल रहा था.

शहीद का पार्थिव शव गांव में पहुंचा तो नमन करने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा. शहीद की पत्नी रेशमा, 13 वर्षीय मोहित तथा 10 वर्षीय हिमांशु का रो-रोकर बुरा हाल था. वहीं गांव के श्मशान घाट में अम्बाला से पहुंची सेना और पुलिस के जवानों ने शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया.

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