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अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव: शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक, PM भी कर चुकें हैं सम्मानित - अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव न्यूज अपडेट

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव (International Gita Festival ) में पहली बार पहुंचे शिल्पकार नीरज की (wood carving of craftsman Neeraj) कलाकृतियों को देखकर पर्यटक आश्चर्यचकित रह जाते हैं. नीरज का परिवार कई पुश्तों से इस कला से जुड़ा हुआ है. इस परिवार को अब तक 6 बार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सम्मानित कर चुके हैं.

International Gita Festival Tourists crazy about the wood carving of craftsman Neeraj
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव: शिल्पकार नीरज की लकड़ी की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक, 6 राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से सम्मानित हो चुका है परिवार
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Published : Nov 26, 2022, 8:12 PM IST

करनाल: शिल्पकार नीरज की लकड़ी की नक्काशी कला का हर कोई दिवाना है. इनकी शिल्पकला का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नीरज का परिवार कई राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से सम्मान ​हासिल कर चुका है. उनकी शिल्पकला को सम्मान देते हुए लोकसभा के नए भवन की एक दीवार का कोना उन्हें अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए दिया गया है. वे लकड़ी की नक्काशी कर तैयार किये पैनल को वहां प्रदर्शित करेंगे.

हस्त शिल्पकार नीरज बोंडवाल ने बताया कि लकड़ी की नक्काशी हस्त शिल्पकला में महारत हासिल कर उनका परिवार 6 बार राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित कई मुख्यमंत्रियों द्वारा सम्मानित हो चुका है. हरियाणा के हस्त शिल्पी नीरज बोंडवाल (wood carving of craftsman Neeraj) सरस मेले के स्टॉल पर अपनी कला के बेहतरीन नमूनों को प्रदर्शित कर रहे हैं. शिल्पकला ऐसी कि देखने वाले आश्चर्य में पड़ जाए. अपनी इसी कला के लिए वर्ष 2015 में नीरज बोंडवाल को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शिल्प गुरू के सम्मान से सम्मानित किया था. यह सम्मान राष्ट्रीय स्तर पर किसी हस्तशिल्पी को मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान है.

शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक.
शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक.

यही नहीं नीरज के पिता महावीर प्रसाद वर्ष 1979 में राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी, 1984 में उनके चाचा राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और उनके दादा जयनारायण वर्ष 1996 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हुए हैं. वर्ष 2004 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम तथा वर्ष 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने वर्कशॉप सहभागिता के लिए उनको सम्मानित किया है. इस शिल्पी परिवार को इस कला के लिए यूनेस्को अवार्ड भी मिला है.

उन्होंने बताया कि इन्हीं सफलताओं के चलते उन्हें लोकसभा के नए भवन की एक दीवार का कोना अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए दिया गया है. वे लकड़ी की नक्काशी कर तैयार किये पैनल को वहां प्रदर्शित करेंगे.इसके लिए नीरज व उनका परिवार एक बेहतरीन कला का नमूना तैयार करने में जुटा है. अंडरकट कार्विंग और भी ज्यादा मेहनत का काम है. देखने वाला भी इस कला को देखकर अचंभित हो जाता है. इस कला में हाथी के अंदर हाथी नक्काशी कर बनाया जा सकता है. लकड़ी ही नही संगमरमर के पत्थर पर भी नक्काशी की जाती है.

शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक.
शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक.

उन्होंने कहा कि नक्काशी किए कला के नमूनो में उनके पास दीवार सज्जा के लिए लकड़ी के पैनल, पैंडेंट, मूर्तियां, खिलौने व बच्चों की गेम्स तथा सजावट का अन्य सामान है. जिनकी कीमत 50 रुपये से लेकर 40 हजार रुपये तक है. कीमती सामान केवल डिमांड पर तैयार किया जाता है. विदेशों में भी इनकी कलाकृतियां की डिमांड है. स्टॉल पर नक्काशी कला द्वारा निर्मित शतरंज भी उपलब्ध है. नीरज बताते हैं कि वे महोत्सव में रुपए कमाने नहीं, अपनी कला का प्रदर्शन करने आए हैं. वे चाहते हैं कि युवा भी इस कला से जुड़े व नक्काशी की इस कला को आगे बढ़ाने का कार्य करें. उन्होंने व उनके परिवार ने सैंकड़ों युवाओं को ट्रेनिंग दी है.

एंटीक आर्ट के लिए एकाग्रता जरूरी: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने महात्मा बुद्ध की अस्थियों को श्रीलंका भेजा था. इसके लिए लकड़ी की नक्काशी वाला बॉक्स नीरज के परिवार ने ही तैयार किया था. उन्होंने कहा कि लकड़ी पर नक्काशी का काम एक अनूठी कला हैं, जिसमें मानसिक और शारीरिक कौशल दोनों का संगम होता है. यह कला एंटीक आर्ट के तौर पर देखी जाती है. इस कला का बेहतरीन नमूना तैयार करने में दो से तीन महीने का समय लगता है. जिसके लिए एकाग्रता की बेहद आवश्यकता होती है.

शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक.
शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक.

शिल्पकला सिखाने विदेश भी गए: भारत सरकार ने उनके परिवार को वर्ष 1995 से 1997 तक इस कला को सिखाने के लिए ट्यूनीशिया भेजा गया था. इस दौरान उन्होंने वहां भी 100 से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया था. भारत की नई संसद में उनके द्वारा हरियाणा से इनके पिता के द्वारा तैयार की गई लकड़ी की एक तस्वीर लगाई है. जिसमें कुछ कलाकृतियां ऐसी है जो भारत में पहली बार इनके परिवार ने ही बनाई है. इंटरनेशनल गीता महोत्सव में पहली बार आए नीरज ने उन्हें इस महोत्सव में आमंत्रित करने पर सरकार और प्रशासन का आभार व्यक्त किया है. (International Geeta Mahotsav 2022).

ये भी पढ़ें: जीत की खुशी में सरपंच को पहनाई 11 लाख की माला, पहनने के लिए चढ़ना पड़ा घर की पहली मंजिल पर

करनाल: शिल्पकार नीरज की लकड़ी की नक्काशी कला का हर कोई दिवाना है. इनकी शिल्पकला का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नीरज का परिवार कई राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से सम्मान ​हासिल कर चुका है. उनकी शिल्पकला को सम्मान देते हुए लोकसभा के नए भवन की एक दीवार का कोना उन्हें अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए दिया गया है. वे लकड़ी की नक्काशी कर तैयार किये पैनल को वहां प्रदर्शित करेंगे.

हस्त शिल्पकार नीरज बोंडवाल ने बताया कि लकड़ी की नक्काशी हस्त शिल्पकला में महारत हासिल कर उनका परिवार 6 बार राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित कई मुख्यमंत्रियों द्वारा सम्मानित हो चुका है. हरियाणा के हस्त शिल्पी नीरज बोंडवाल (wood carving of craftsman Neeraj) सरस मेले के स्टॉल पर अपनी कला के बेहतरीन नमूनों को प्रदर्शित कर रहे हैं. शिल्पकला ऐसी कि देखने वाले आश्चर्य में पड़ जाए. अपनी इसी कला के लिए वर्ष 2015 में नीरज बोंडवाल को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शिल्प गुरू के सम्मान से सम्मानित किया था. यह सम्मान राष्ट्रीय स्तर पर किसी हस्तशिल्पी को मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान है.

शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक.
शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक.

यही नहीं नीरज के पिता महावीर प्रसाद वर्ष 1979 में राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी, 1984 में उनके चाचा राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और उनके दादा जयनारायण वर्ष 1996 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हुए हैं. वर्ष 2004 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम तथा वर्ष 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने वर्कशॉप सहभागिता के लिए उनको सम्मानित किया है. इस शिल्पी परिवार को इस कला के लिए यूनेस्को अवार्ड भी मिला है.

उन्होंने बताया कि इन्हीं सफलताओं के चलते उन्हें लोकसभा के नए भवन की एक दीवार का कोना अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए दिया गया है. वे लकड़ी की नक्काशी कर तैयार किये पैनल को वहां प्रदर्शित करेंगे.इसके लिए नीरज व उनका परिवार एक बेहतरीन कला का नमूना तैयार करने में जुटा है. अंडरकट कार्विंग और भी ज्यादा मेहनत का काम है. देखने वाला भी इस कला को देखकर अचंभित हो जाता है. इस कला में हाथी के अंदर हाथी नक्काशी कर बनाया जा सकता है. लकड़ी ही नही संगमरमर के पत्थर पर भी नक्काशी की जाती है.

शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक.
शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक.

उन्होंने कहा कि नक्काशी किए कला के नमूनो में उनके पास दीवार सज्जा के लिए लकड़ी के पैनल, पैंडेंट, मूर्तियां, खिलौने व बच्चों की गेम्स तथा सजावट का अन्य सामान है. जिनकी कीमत 50 रुपये से लेकर 40 हजार रुपये तक है. कीमती सामान केवल डिमांड पर तैयार किया जाता है. विदेशों में भी इनकी कलाकृतियां की डिमांड है. स्टॉल पर नक्काशी कला द्वारा निर्मित शतरंज भी उपलब्ध है. नीरज बताते हैं कि वे महोत्सव में रुपए कमाने नहीं, अपनी कला का प्रदर्शन करने आए हैं. वे चाहते हैं कि युवा भी इस कला से जुड़े व नक्काशी की इस कला को आगे बढ़ाने का कार्य करें. उन्होंने व उनके परिवार ने सैंकड़ों युवाओं को ट्रेनिंग दी है.

एंटीक आर्ट के लिए एकाग्रता जरूरी: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने महात्मा बुद्ध की अस्थियों को श्रीलंका भेजा था. इसके लिए लकड़ी की नक्काशी वाला बॉक्स नीरज के परिवार ने ही तैयार किया था. उन्होंने कहा कि लकड़ी पर नक्काशी का काम एक अनूठी कला हैं, जिसमें मानसिक और शारीरिक कौशल दोनों का संगम होता है. यह कला एंटीक आर्ट के तौर पर देखी जाती है. इस कला का बेहतरीन नमूना तैयार करने में दो से तीन महीने का समय लगता है. जिसके लिए एकाग्रता की बेहद आवश्यकता होती है.

शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक.
शिल्पकार नीरज की नक्काशी के दिवाने हुए पर्यटक.

शिल्पकला सिखाने विदेश भी गए: भारत सरकार ने उनके परिवार को वर्ष 1995 से 1997 तक इस कला को सिखाने के लिए ट्यूनीशिया भेजा गया था. इस दौरान उन्होंने वहां भी 100 से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया था. भारत की नई संसद में उनके द्वारा हरियाणा से इनके पिता के द्वारा तैयार की गई लकड़ी की एक तस्वीर लगाई है. जिसमें कुछ कलाकृतियां ऐसी है जो भारत में पहली बार इनके परिवार ने ही बनाई है. इंटरनेशनल गीता महोत्सव में पहली बार आए नीरज ने उन्हें इस महोत्सव में आमंत्रित करने पर सरकार और प्रशासन का आभार व्यक्त किया है. (International Geeta Mahotsav 2022).

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