करनाल: इंद्री की अनाज मंडी में पिछले 20 अक्टूबर से धान की खरीद बंद है. खरीद बंद होने से आढ़तियों व किसानों में मंडी प्रशासन के प्रति रोष का माहौल है. वहीं किसानों व आढ़तियों से मिलने पहुंचे हरियाणा पंचायती राज प्रकोष्ट के चैयरमैन सुनील कुमार ने कहा कि इस बार मंडी में 1 लाख क्विंटल धान अभी पड़ा हुआ है, जिसकी एंट्री मंडी के सरकारी रजिस्टर में नहीं हुई है. इसका मतलब ये है कि किसानो को आढ़तियों की ओर से धान के रुपये नहीं दिए जाएगे.
'ना रो पा रहा है, ना बोल पा रहा है किसान'
हरियाणा पंचायती राज के चैयरमैन सुनील ने आगे कहा कि सरकार को फसलों के समय ध्यान देना चाहिए की फसल की पैदावार कैसी है. अगर फसल की पैदावार ज्यादा है तो सरकार को उसके लिए प्रबंध करने चाहिए. जिससे की किसानो व आढ़तियों को परेशानी न हो. उनका कहना है कि इस समय पर किसान की स्थिति ऐसी है कि वह ना तो रो पा रहा है और ना ही कुछ बोल पा रहा है.
किसानों ने दी आंदोलन की चेतवनी
वहीं किसानों नेता सुशील कुमार का कहना है कि सरकार को हम लोग तीन दिन का समय देते हैं. सरकार जल्द-से-जल्द धानों की खरीद शुरू करे नहीं तो हम लोग एसडीएस व डीसी का घेराव करेंगे. लेकिन किसानो की आवाज को दबने नहीं देंगे.
वहीं मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान हरपाल मंडाण का कहना है कि एजेंसी की ओर से कल एक मैसेज आया है जिसमें कहा गया है कि कल शाम 5 बजे तक जिस किसान की गाड़ी मंडी के अंदर धान लेकर आई है उसी के धानो की खरीद करनी है. जो किसान कल रात व आज सुबह धान लेकर आए हैं उनके धानों की खरीद की कोई सूचना नही है.
पिछली बार से अधिक पैदावार
अधिकारियों की मानें तो इस बार प्रदेश में धान की फसल अच्छी हुई है जिसके कारण पैदावर भी अच्छी मात्रा में हुई है. इसबार 1 लाख क्विंटल ज्यादा लिख दिया गया है. इसकी वजह से सरकार माल लेने में असमर्थन है और इसकी कारण मंडियों में खरीद बंद है.
वहीं मंडी में धान की बिक्री के लिए आए किसानों का कहना है कि धान की पैदावार ज्यादा होने से फसल का बहुत बुरा हाल है. जो सरकारी रेट है वह भी नहीं मिल रहा है और फसल को 1500 से 1700 रुपये क्विंटल के रेट पर देना पड़ रहा है.
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