हिसार: इस मौसम में पड़ रही कड़ाके की ठंड की वजह से जहां लोग परेशान हैं. वहीं, बढ़ती सर्दी किसानों के लिए फायदा लेकर आई है. वहीं पाला पड़ने के डर से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं. हर साल बहुत से किसानों की हरियाणा में पाले से फसल बर्बाद (crop ruined by frost in haryana) हो जाती है, लेकिन ये पाला क्या होता है (what is frost) और इससे खेती पर कितना असर पड़ता है. इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड स्तर पर जाकर किसानों और मौसम वैज्ञानिकों से बात की.
पाला क्या होता है: सर्दी के मौसम में उत्तर भारत में हर साल पाला पड़ता है. ऐसा तब होता है जब हवा ना चल रही हो और तापमान अचानक कम हो जाए, तो पाला पड़ने की संभावना रहती है. एचएयू के मौसम विभाग के अध्यक्ष डॉ. मदन खिचड़ ने बताया कि रात्रि में जमीन की सतह ठंडी रहती है. सर्द मौसम में जब तापमान हिमांक के आसपास या इससे नीचे चला जाता है, तब वायु में उपस्थित जलवाष्प पानी के रूप में परिवर्तित हुए बिना ही सीधे छोटे-छोटे हिमकणों में परिवर्तित हो जाते हैं. इसे ही पाला पड़ना या बर्फ जमना कहा जाता है.
पाले से फसलों को कैसे होता है नुकसान: सर्दी के मौसम में कम तापमान पर पेड़-पौधों की कोशिकाओं में मौजूद पानी बर्फ में बदल जाता है. पानी के बर्फ में बदल जाने से इसका क्षेत्रफल बढ़ जाता है. क्षेत्रफल बढ़ने से पौधे के ऊतक, कोशिकाएं और संवहनी नलिकाएं फट जाती हैं, जिससे पौधे की मौत हो जाती है. कई बार खेत की पूरी फसल भी कई बार नष्ट हो जाती है. इस प्रक्रिया को पाला पड़ना कहते हैं.
![crop ruined by frost in haryana](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14356737_crop.png)
कैसे करें बचाव: इससे बचाव के लिए किसान खेतों में खड़ी फसलों में पानी से सिंचाई करते हैं. इस पानी को पौधा जब अवशोषित करता है तो अंदर जमी बर्फ घुल जाती है और पौधे मरने से बच जाते हैं. पाला पड़ने से सरसों और सब्जी की फसलों पर नुकसान अधिक हो सकता है, लंबे समय तक पाला पड़ेगा तो गेहूं में भी नुकसान हो सकता है. ऐसे में इस मौसम में फसलों, सब्जी में ताजा पानी देना चाहिए, ताकि फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सके.
![crop ruined by frost in haryana](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14356737_cropwater.png)
वहीं कृषि विशेषज्ञ के मुताबिक फसलों में 200 मिली गंधक का अमल 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव कर देने से बचाया जा सकता है. देशी तरीके से फसल के ऊपर धुआं करने तापमान बढ़ाया जा सकता है, इससे भी फसल को पाले से बचाया जा सकता है.
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