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ई-ट्रेडिंगः किसानों पर भारी पड़ रही सरकार और आढ़ती की लड़ाई

सरकार के कर्मचारियों की अपनी दलीलें हैं, आढ़तियों की अपनी मांगे हैं. लेकिन इन सबके बीच प्रदेश का किसान पिस रहा है. किसान मंडियों में अनाज को बेचने के लिए लेकर आ रहे हैं. लेकिन खरीद ना होने के चलते किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

हड़ताल पर बैठे आढ़ती.
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Published : Apr 12, 2019, 10:34 AM IST

Updated : Apr 12, 2019, 12:25 PM IST

ई-ट्रेडिंग और अनाज की ऑनलाइन खरीद के विरोध में प्रदेश में आढ़तियों की हड़ताल जारी है. आढ़ती मंडियों में अपना काम बंद कर हड़ताल कर रहे हैं और उनका कहना है कि विभाग जब तक ई-ट्रेडिंग का फैसला वापस लेकर पुरानी व्यवस्था लागू नहीं करता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी.


आढ़तियों का आरोप है कि किसानों और उनके बीच वर्षों से रुपए का लेन-देन हैं. दोनों का एक-दूसरे पर विश्वास है. परंतु सरकार आढ़ती और किसानों के बीच संबंधों को खराब करना चाहती है.


आढ़ती पहले भी ई-ट्रेडिंग का विरोध कर चुके हैं. आढ़तियों का कहना है कि रकार हर बार ई-ट्रेडिंग लागू नहीं करने का आश्वासन देती हैं, लेकिन जैसे ही गेहूं या फिर अन्य फसलों का खरीद शुरू होती है तो ई-ट्रेडिंग व्यवस्था को लागू कर देती है.


आढ़तियों की प्रमुख मांगेंः-

  • गेहूं और किसी की खरीद में ई-ट्रेडिंग नहीं होनी चाहिए. पहले की तरह से ही मंडियों में खरीद होनी चाहिए.
  • बीसीपीए मंडियों में पहले की तरह कार्य करें.
  • सीएम के आश्वासन के अनुसार नेफेड द्वारा सरसों, सूरजमुखी आदि की खरीद पर आढ़ती को 40 रुपए प्रति क्विंटल दिए जाने हैं. सरकार ये पैसे कैसे देगी और कब तक देगी, यह स्पष्ट किया जाए.
  • सरसों की खरीद भी सुचारू नहीं हो रही है.मंडियों में हेफेड ने अपनी मर्जी से हैंडलिंग एजेंट बना दिया है, जबकि सभी आढ़तियों को हेंडलिंग ऐजेंट बनाना चाहिए.
  • दूसरे राज्यों के किसान वर्षों से हरियाणा की मंडियों में लेन-देन करते हैं. वे अपनी फसलें यहां की मंडियों में बेचते हैं. यह भी पहले की तरह रहे.
  • सीसीआई द्वारा खरीदे गए कॉटन पर सीएम की घोषणानुसार आढ़तियों को आढ़त दी जाए.

आढ़तियों का कहना है कि उन्होंने 15 अप्रैल को करनाल में प्रदेश स्तरीय सम्मेलन बुलाया हैं. जिसमें मांगें पूरी न होने पर आगामी आंदोलन पर चर्चा की जाएगी.

वहीं मार्केट कमेटी के कर्मचारियों का कहना है कि आई फॉर्म और जे फॉर्म को मार्केट कमेटी की ओर से काटे जाने को लेकर आढ़तियों को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. बीसीपीए भी मंडियों में पहले की तरह ही काम करेगी. वहीं पेमेंट भी आढ़ती के ही खाते में जाएगी.

सरकार के कर्मचारियों की अपनी दलीलें हैं, आढ़तियों की अपनी मांगे हैं. लेकिन इन सबके बीच प्रदेश का किसान पिस रहा है. किसान मंडियों में अनाज को बेचने के लिए लेकर आ रहे हैं. लेकिन खरीद ना होने के चलते किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ई-ट्रेडिंग और अनाज की ऑनलाइन खरीद के विरोध में प्रदेश में आढ़तियों की हड़ताल जारी है. आढ़ती मंडियों में अपना काम बंद कर हड़ताल कर रहे हैं और उनका कहना है कि विभाग जब तक ई-ट्रेडिंग का फैसला वापस लेकर पुरानी व्यवस्था लागू नहीं करता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी.


आढ़तियों का आरोप है कि किसानों और उनके बीच वर्षों से रुपए का लेन-देन हैं. दोनों का एक-दूसरे पर विश्वास है. परंतु सरकार आढ़ती और किसानों के बीच संबंधों को खराब करना चाहती है.


आढ़ती पहले भी ई-ट्रेडिंग का विरोध कर चुके हैं. आढ़तियों का कहना है कि रकार हर बार ई-ट्रेडिंग लागू नहीं करने का आश्वासन देती हैं, लेकिन जैसे ही गेहूं या फिर अन्य फसलों का खरीद शुरू होती है तो ई-ट्रेडिंग व्यवस्था को लागू कर देती है.


आढ़तियों की प्रमुख मांगेंः-

  • गेहूं और किसी की खरीद में ई-ट्रेडिंग नहीं होनी चाहिए. पहले की तरह से ही मंडियों में खरीद होनी चाहिए.
  • बीसीपीए मंडियों में पहले की तरह कार्य करें.
  • सीएम के आश्वासन के अनुसार नेफेड द्वारा सरसों, सूरजमुखी आदि की खरीद पर आढ़ती को 40 रुपए प्रति क्विंटल दिए जाने हैं. सरकार ये पैसे कैसे देगी और कब तक देगी, यह स्पष्ट किया जाए.
  • सरसों की खरीद भी सुचारू नहीं हो रही है.मंडियों में हेफेड ने अपनी मर्जी से हैंडलिंग एजेंट बना दिया है, जबकि सभी आढ़तियों को हेंडलिंग ऐजेंट बनाना चाहिए.
  • दूसरे राज्यों के किसान वर्षों से हरियाणा की मंडियों में लेन-देन करते हैं. वे अपनी फसलें यहां की मंडियों में बेचते हैं. यह भी पहले की तरह रहे.
  • सीसीआई द्वारा खरीदे गए कॉटन पर सीएम की घोषणानुसार आढ़तियों को आढ़त दी जाए.

आढ़तियों का कहना है कि उन्होंने 15 अप्रैल को करनाल में प्रदेश स्तरीय सम्मेलन बुलाया हैं. जिसमें मांगें पूरी न होने पर आगामी आंदोलन पर चर्चा की जाएगी.

वहीं मार्केट कमेटी के कर्मचारियों का कहना है कि आई फॉर्म और जे फॉर्म को मार्केट कमेटी की ओर से काटे जाने को लेकर आढ़तियों को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. बीसीपीए भी मंडियों में पहले की तरह ही काम करेगी. वहीं पेमेंट भी आढ़ती के ही खाते में जाएगी.

सरकार के कर्मचारियों की अपनी दलीलें हैं, आढ़तियों की अपनी मांगे हैं. लेकिन इन सबके बीच प्रदेश का किसान पिस रहा है. किसान मंडियों में अनाज को बेचने के लिए लेकर आ रहे हैं. लेकिन खरीद ना होने के चलते किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Intro:gohana news Body:एंकर रीड- फसलों की ई-ट्रेडिंग के विरोध में गोहाना अनाज मंडी में दुसरे दिन आढ़तियों ने धरना दिया। उन्होंने कहा कि विभाग जब तक ई-ट्रेडिंग करने का निर्णय वापस लेकर पुरानी व्यवस्था के अनुसार फसल खरीदने की व्यवस्था लागू नहीं करेगा, तब तक धरना जारी रहेगा। धरने का नेतृत्व लार्ड कृष्णा फुड ग्रेन डीलर एसोसिएशन के प्रधान राव राजेंद्र कुंडू ने किया। उधर, आढ़तियों के धरने के चलते मंडी में आवक शुरू होने के चैथे दिन भी खरीद शुरू नहीं हुई। किसान मंडी में आवक शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। 15 अप्रैल तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती है करनाल में धरना देने की चेतावनी दी गई।

वी.ओं. 1- प्रधान ने कहा कि आढ़ती और किसानों के बीच वर्षों से रुपए का लेन-देन हैं। दोनों का एक-दूसरे पर विश्वास है। परंतु सरकार आढ़ती और किसानों के बीच संबंधों को खराब करना चाहती है। इसलिए ई-ट्रेडिंग व्यवस्था लागू करना चाहिए। आढ़ती पहले भी इसका विरोध कर चुके हैं। सरकार हर बार ई-ट्रेडिंग लागू नहीं करने का आश्वासन देती हैं, लेकिन जैसे ही गेहूं या फिर अन्य फसलों का खरीद शुरू होती है तो ई-ट्रेडिंग व्यवस्था को लागू कर देती है। उन्होंने बताया कि ई-ट्रेडिंग व अन्य विषयों को लेकर आढ़ती 13 जनवरी और 25 मार्च 2019 को सीएम मनोहर लाल से मिले थे। उस समय सीएम ने आश्वासन दिया था कि आढ़तियों का व्यापार पहले की तरह से ही चलेगा। परंतु इस व्यवस्था को लागू किया जा रहा है।

प्रधान के अनुसार आढ़तियों का 15 अप्रैल को करनाल में प्रदेश स्तरीय सम्मेलन बुलाया गया हैं। जिसमें मांगें पूरी न होने पर आगामी आंदोलन पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि हर बार फसल सीजन पर ई-ट्रडिंग शुरू कर दी जाती है।
आढ़तियों की प्रमुख मांगें
गेहूं व अन्य किसी भी फसल में ई-ट्रेडिंग नहीं होनी चाहिए। पहले की तरह से ही मंडियों में खरीद होनी चाहिए।
बीसीपीए मंडियों में पहले की तरह कार्य करें।
सीएम के आश्वासन के अनुसार नेफेड द्वारा सरसो, सूरजमुखी आदि की खरीद पर आढ़ती को 40 रुपए प्रति क्विंटल दिए जाने हैं। यह कैसे देगी और कब तक देगी, यह स्पष्ट किया जाए।
सरसो की खरीद भी सुचारू नहीं हो रही है। मंडियों में हेफेड ने अपनी मर्जी से हैंडलिंग एजेंट बना दिया है, जबकि सभी आढ़तियों को हेंडलिंग ऐजेंट बनाना चाहिए।
अन्य राज्यों के किसान वर्षों से हरियाणा की मंडियों में लेन-देन करते हैं। वे अपनी फसलें यहां की मंडियों में बेचते हैं। यह भी पहले की तरह रहें।
सीसीआई द्वारा खरीदी कॉटन पर सीएम की घोषणानुसार आढ़तियों को आढ़त दी जाए।
मंडी में करीब 500 क्विंटल गेहूं
बाईट- प्रधान, धर्मबीर,Conclusion:
Last Updated : Apr 12, 2019, 12:25 PM IST

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