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वैक्सीन का गलत सर्टिफिकेट देने के मामले में सौंपी गई जांच रिपोर्ट, मिली अनियमितताएं - कैथल महिला गलत वैक्सीन सर्टिफिकेट

कैथल में एक महिला को कोवैक्सीन लगाकर कोविशील्ड का सर्टिफिकेट देने के मामले में आज जांच अधिकारी द्वारा अपनी रिपोर्ट उपायुक्त कैथल को सौंपी गई. जिसमें सर्टिफिकेट अपलोड ना करने के मामले में अनियमितताएं पाई गई हैं.

kaithal woman wrong vaccine certificate case
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Published : May 25, 2021, 8:34 PM IST

कैथल: हरियाणा के कैथल जिले में बीती 14 मई को एक महिला को कोवैक्सीन लगाई गई थी, लेकिन उसे सर्टिफिकेट कोविशील्ड का दिया गया था, वो भी ऑफलाइन. ये मामला ईटीवी भारत ने प्रमुखता से उठाया था. जिसके बाद कैथल के डीसी ने जांच के आदेश दिए थे.

जांच कमेटी ने डीसी को सौंपी रिपोर्ट

उपायुक्त कैथल सुजान सिंह ने मामले को देखते हुए तुरंत दो सदस्यों की कमेटी बनाई थी. जिसमें एक एचसीएस अधिकारी सतेंद्र सिवाच और कैथल सिविज सर्जन को इस जांच का जिम्मा सौंपा था. वहीं अब जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट उपायुक्त कैथल को सौंपी है. जांच अधिकारी ने सर्टिफिकेट अपलोड ना करने के मामले में अपनी जांच रिपोर्ट में अनियमितताएं होनी पाई है.

वैक्सीन का गलत सर्टिफिकेट देने के मामले में सौंपी गई जांच रिपोर्ट, मिली अनियमितताएं

वहीं इस मामले पर सीटीएम कैथल अमित कुमार ने मीडिया को बताया कि इस पूरे मामले की जांच करवाई गई है. जिसमें सर्टिफिकेट अपलोड ना करने के मामले में अनियमितता पाई गई है और अब इस जांच पर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए सीएमओ कैथल को एक लेटर भेजा गया है. वहीं जांच के दौरान ये बात भी सामने आई है कि उस दिन कोवैक्सीन खत्म हो गई थी इसलिए उन्होंने कोविशील्ड लगाई थी, लेकिन प्रमाणपत्र ऑनलाइन ना करने में चूक जरूर हुई है.

ये है पूरा मामला

बता दें कि, महिला ने मोबाइल से रजिस्ट्रेशन के बाद 14 मई को अपनी मां सहित कोरोना की वैक्सीन लगवाई थी. कांग्थली अस्पताल में वैक्सीन का कैंप लगा था. जहां 18 से 45 वर्ष वालों को कोवैक्सीन जबकि 45 वर्ष से ऊपर वालों को कोविशील्ड वैक्सीन लगाई जा रही थी.

मतलब ये कि महिला को कोवैक्सीन और उसकी उसकी मां को कोविशील्ड का टीका लगाया गया. इसके बाद कोविन एप पर पंजीकरण के बाद उसकी मां का तो प्रमाण पत्र अपलोड हो गया. जिसमें सारी जानकारी सही थी. चार दिन बाद तक भी जब महिला का प्रमाण पत्र अपलोड नहीं हुआ तो उसने विभाग से संपर्क किया. महिला ने कहा कि मैं सरकारी कर्मचारी हूं इसलिए मुझे प्रमाण पत्र की जरूरत है.

महिला ने वैक्सीन लगवाई लेकिन रिकॉर्ड में नहीं

महिला के मुताबिक विभागीय कर्मचारियों को उसके टीकाकरण का रिकॉर्ड ही नहीं मिला. जब बड़े अधिकारियों को सूचित किया गया तो संबंधित कर्मचारी ने ऑफलाइन प्रमाण पत्र बनाकर दे दिया. जिसमें उसके पंजीकरण का नंबर का मिलान नहीं हो रहा था.

उस प्रमाण पत्र में महिला का नाम भी गलत लिखा गया और वैक्सीन कोविशील्ड लिखी गई. जबकि महिला को कोवैक्सीन लगाई गई थी. इस मामले को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से उठाया था जिसके बाद डीसी ने जांच के आदेश दिए थे.

ये भी पढ़ें- कोरोना वैक्सीन की दो डोज़ क्यों लगाई जाती है, चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर बता रहे हैं दोनों का फर्क

कैथल: हरियाणा के कैथल जिले में बीती 14 मई को एक महिला को कोवैक्सीन लगाई गई थी, लेकिन उसे सर्टिफिकेट कोविशील्ड का दिया गया था, वो भी ऑफलाइन. ये मामला ईटीवी भारत ने प्रमुखता से उठाया था. जिसके बाद कैथल के डीसी ने जांच के आदेश दिए थे.

जांच कमेटी ने डीसी को सौंपी रिपोर्ट

उपायुक्त कैथल सुजान सिंह ने मामले को देखते हुए तुरंत दो सदस्यों की कमेटी बनाई थी. जिसमें एक एचसीएस अधिकारी सतेंद्र सिवाच और कैथल सिविज सर्जन को इस जांच का जिम्मा सौंपा था. वहीं अब जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट उपायुक्त कैथल को सौंपी है. जांच अधिकारी ने सर्टिफिकेट अपलोड ना करने के मामले में अपनी जांच रिपोर्ट में अनियमितताएं होनी पाई है.

वैक्सीन का गलत सर्टिफिकेट देने के मामले में सौंपी गई जांच रिपोर्ट, मिली अनियमितताएं

वहीं इस मामले पर सीटीएम कैथल अमित कुमार ने मीडिया को बताया कि इस पूरे मामले की जांच करवाई गई है. जिसमें सर्टिफिकेट अपलोड ना करने के मामले में अनियमितता पाई गई है और अब इस जांच पर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए सीएमओ कैथल को एक लेटर भेजा गया है. वहीं जांच के दौरान ये बात भी सामने आई है कि उस दिन कोवैक्सीन खत्म हो गई थी इसलिए उन्होंने कोविशील्ड लगाई थी, लेकिन प्रमाणपत्र ऑनलाइन ना करने में चूक जरूर हुई है.

ये है पूरा मामला

बता दें कि, महिला ने मोबाइल से रजिस्ट्रेशन के बाद 14 मई को अपनी मां सहित कोरोना की वैक्सीन लगवाई थी. कांग्थली अस्पताल में वैक्सीन का कैंप लगा था. जहां 18 से 45 वर्ष वालों को कोवैक्सीन जबकि 45 वर्ष से ऊपर वालों को कोविशील्ड वैक्सीन लगाई जा रही थी.

मतलब ये कि महिला को कोवैक्सीन और उसकी उसकी मां को कोविशील्ड का टीका लगाया गया. इसके बाद कोविन एप पर पंजीकरण के बाद उसकी मां का तो प्रमाण पत्र अपलोड हो गया. जिसमें सारी जानकारी सही थी. चार दिन बाद तक भी जब महिला का प्रमाण पत्र अपलोड नहीं हुआ तो उसने विभाग से संपर्क किया. महिला ने कहा कि मैं सरकारी कर्मचारी हूं इसलिए मुझे प्रमाण पत्र की जरूरत है.

महिला ने वैक्सीन लगवाई लेकिन रिकॉर्ड में नहीं

महिला के मुताबिक विभागीय कर्मचारियों को उसके टीकाकरण का रिकॉर्ड ही नहीं मिला. जब बड़े अधिकारियों को सूचित किया गया तो संबंधित कर्मचारी ने ऑफलाइन प्रमाण पत्र बनाकर दे दिया. जिसमें उसके पंजीकरण का नंबर का मिलान नहीं हो रहा था.

उस प्रमाण पत्र में महिला का नाम भी गलत लिखा गया और वैक्सीन कोविशील्ड लिखी गई. जबकि महिला को कोवैक्सीन लगाई गई थी. इस मामले को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से उठाया था जिसके बाद डीसी ने जांच के आदेश दिए थे.

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