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कैथल में आशा वर्कर्स ने किया उपायुक्त कार्यालय का घेराव

कैथल में बुधवार को आशा वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर उपायुक्त कार्यालय का घेराव किया. इस दौरान आशा वर्कर्स ने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे.

kaithal asha worker protest
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Published : Aug 26, 2020, 9:09 PM IST

कैथल: आशा वर्कर अपनी मांगों को लेकर 7 अगस्त से लगातार हड़ताल पर बैठी हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. ना ही बातचीत के लिए कोई बुलावा आया. इसको देखते हुए सर्व कर्मचारी संघ भी इनके समर्थन में आ गया.

बुधवार को कैथल की हनुमान वाटिका में भारी संख्या में आशा वर्कर व सर्व कर्मचारी संघ के लोग इकट्ठा हुए और एक रोष मार्च निकालते हुए कैथल के सचिवालय में पहुंचे और सचिवालय का घेराव कर दिया. आशा वर्कर सुमन कश्यप ने बताया कि आशा वर्कर मात्र 4000 रु के मानदेय पर काम कर रही हैं और उनसे 24 घंटे ड्यूटी ली जाती है. उसके बावजूद भी सरकार इनकी मांगों को नहीं मान रही है.

कैथल में आशा वर्कर्स ने किया उपायुक्त कार्यालय का घेराव.

सरकार ने इन्हें ऑनलाइन सेवाएं देने के लिए बाध्य किया है जिसके लिए इनको एक सिम कार्ड तो दे दिया है परंतु स्मार्टफोन नहीं दिया है. आशा वर्कर का कहना है कि हमारी वेतनमान इतना नहीं है कि हम फोन खरीद सके. ना ही सभी आशा वर्कर के पास स्मार्टफोन है, तो हम सरकार से मांग करते हैं कि हमें सरकार स्मार्टफोन उपलब्ध कराएं तभी हम ऑनलाइन सेवाएं दे पाएंगे. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती हम धरने पर बैठे रहेंगे.

ये हैं आशा वर्कर्स की मुख्य मांगें-

  • जो मासिक वेतन से आधे पैसे काटे गए हैं सरकार उनको आशाओं के खाते में डाले.
  • जनता को गुणवत्ता स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने हेतु सरकारी स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत किया जाए और एनएचएम को स्थाई किया जाए.
  • आठ एक्टिविटी का काटा गया 50% तुरंत वापस किया जाए.
  • कोविड-19 में काम कर रही आशाओं को जोखिम भत्ते के तौर पर 4000 रु दिए जाएं.
  • गंभीर रूप से बीमार एवं दुर्घटना के शिकार आशाओं को सरकार के द्वारा पैनल हॉस्पिटल में इलाज की सुविधा दी जाए.
  • ईएसआई एवं पीएफ की सुविधा दी जाए.
  • आशा वर्कर को हेल्थ वर्कर का दर्जा दिया जाए.
  • आशा वर्कर को स्मार्टफोन दिया जाए.
  • 21 जुलाई 2018 को जारी किए गए नोटिफिकेशन के सभी बचे हुए निर्णय को लागू किया जाए.
  • आशाओं को समुदायिक स्तरीय अस्थाई कर्मचारी बनाया जाए, वहीं जब तक पक्का कर्मचारी नहीं बनाया जाता तब तक हरियाणा सरकार का न्यूनतम वेतन दिया जाए.

ये भी पढ़ें- रजिस्ट्री घोटाले पर जेजेपी विधायक ने अपनी ही सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

कैथल: आशा वर्कर अपनी मांगों को लेकर 7 अगस्त से लगातार हड़ताल पर बैठी हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. ना ही बातचीत के लिए कोई बुलावा आया. इसको देखते हुए सर्व कर्मचारी संघ भी इनके समर्थन में आ गया.

बुधवार को कैथल की हनुमान वाटिका में भारी संख्या में आशा वर्कर व सर्व कर्मचारी संघ के लोग इकट्ठा हुए और एक रोष मार्च निकालते हुए कैथल के सचिवालय में पहुंचे और सचिवालय का घेराव कर दिया. आशा वर्कर सुमन कश्यप ने बताया कि आशा वर्कर मात्र 4000 रु के मानदेय पर काम कर रही हैं और उनसे 24 घंटे ड्यूटी ली जाती है. उसके बावजूद भी सरकार इनकी मांगों को नहीं मान रही है.

कैथल में आशा वर्कर्स ने किया उपायुक्त कार्यालय का घेराव.

सरकार ने इन्हें ऑनलाइन सेवाएं देने के लिए बाध्य किया है जिसके लिए इनको एक सिम कार्ड तो दे दिया है परंतु स्मार्टफोन नहीं दिया है. आशा वर्कर का कहना है कि हमारी वेतनमान इतना नहीं है कि हम फोन खरीद सके. ना ही सभी आशा वर्कर के पास स्मार्टफोन है, तो हम सरकार से मांग करते हैं कि हमें सरकार स्मार्टफोन उपलब्ध कराएं तभी हम ऑनलाइन सेवाएं दे पाएंगे. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती हम धरने पर बैठे रहेंगे.

ये हैं आशा वर्कर्स की मुख्य मांगें-

  • जो मासिक वेतन से आधे पैसे काटे गए हैं सरकार उनको आशाओं के खाते में डाले.
  • जनता को गुणवत्ता स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने हेतु सरकारी स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत किया जाए और एनएचएम को स्थाई किया जाए.
  • आठ एक्टिविटी का काटा गया 50% तुरंत वापस किया जाए.
  • कोविड-19 में काम कर रही आशाओं को जोखिम भत्ते के तौर पर 4000 रु दिए जाएं.
  • गंभीर रूप से बीमार एवं दुर्घटना के शिकार आशाओं को सरकार के द्वारा पैनल हॉस्पिटल में इलाज की सुविधा दी जाए.
  • ईएसआई एवं पीएफ की सुविधा दी जाए.
  • आशा वर्कर को हेल्थ वर्कर का दर्जा दिया जाए.
  • आशा वर्कर को स्मार्टफोन दिया जाए.
  • 21 जुलाई 2018 को जारी किए गए नोटिफिकेशन के सभी बचे हुए निर्णय को लागू किया जाए.
  • आशाओं को समुदायिक स्तरीय अस्थाई कर्मचारी बनाया जाए, वहीं जब तक पक्का कर्मचारी नहीं बनाया जाता तब तक हरियाणा सरकार का न्यूनतम वेतन दिया जाए.

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