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जींद: पिता ने जमीन गिरवी रखकर पढ़ाया, बेटी ने माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा - etvBharat

विकास राणा ने बर्फीले तूफानों को चीरते हुए विश्व की सबसे ऊंची चोटी मांउट एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा दिया है. इससे पहले विकास साउथ अफ्रीका की किलिमंजारो और एशिया की माउंट एल्ब्रुस पर भी तिरंगा फहरा चुकी हैं.

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Published : May 29, 2019, 9:04 PM IST

जींद: हरियाणा की बेटी विकास राणा ने माउंट एवरेस्ट पर तिंरगा फहरा कर देश का नाम रौशन किया है. विकास जींद के सुदकैन के खुर्द गांव की रहने वाली हैं. विकास का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ है. इससे पहले विकास साउथ अफ्रीका की किलिमंजारो और एशिया की माउंट एल्ब्रुस पर भी तिरंगा फहरा चुकी हैं.

जानकारी के अनुसार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए 30 लाख रुपए का खर्चा आता है, लेकिन अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए विकास राणा के पिताजी ने जमीन गिरवी रखकर और अपने समाज के लोगों की मदद से बेटी के सपने को साकार किया है.

क्लिक कर देखें वीडियो

विकास राणा की माउंटेनियरिंग की पढ़ाई

विकास राणा ने 2011 में जम्मू कश्मीर के जवाहर इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग विंटर स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में कोर्स करके पर्वतारोहण की शुरुआत की और इसके साथ इन्होंने स्कीइंग में भी देश का नाम चमकाया है.

स्कीइंग भी खेलती हैं विकास राणा

विकास राणा हरियाणा की इकलौती इंटरनेशनल स्कीइंग खिलाड़ी हैं. विकास ने 5 बार नेशनल गेम में हिस्सा लिया है. जिसमें से वर्ष 2018 में नेशनल गेम में सिल्वर मेडल जीता था. 2017 में जापान में हुए एशियन गेम में भी विकास ने हिस्सा लेकर भारत का प्रतिनिधित्व किया.

ये भी पढ़ें:-स्पेशल रिपोर्ट: पानीपत में लोग पानी-पानी चिल्ला रहे हैं!

साउथ अफ्रीका की किलिमंजारो पर फतह

विकास ने 25 जुलाई 2018 को साउथ अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह किया था.

एशिया की माउंट एल्ब्रुस पर फतह

5 सितंबर 2018 को इन्होंने यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर फतह कर स्कीइंग करते हुए नीचे आई थीं. ऐसा करने वाली विकास राणा पहली भारतीय महिला बनीं. यह कारनामा करने वाली भारत की इकलौती खिलाड़ी हैं. और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुकी हैं.

जींद: हरियाणा की बेटी विकास राणा ने माउंट एवरेस्ट पर तिंरगा फहरा कर देश का नाम रौशन किया है. विकास जींद के सुदकैन के खुर्द गांव की रहने वाली हैं. विकास का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ है. इससे पहले विकास साउथ अफ्रीका की किलिमंजारो और एशिया की माउंट एल्ब्रुस पर भी तिरंगा फहरा चुकी हैं.

जानकारी के अनुसार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए 30 लाख रुपए का खर्चा आता है, लेकिन अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए विकास राणा के पिताजी ने जमीन गिरवी रखकर और अपने समाज के लोगों की मदद से बेटी के सपने को साकार किया है.

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विकास राणा की माउंटेनियरिंग की पढ़ाई

विकास राणा ने 2011 में जम्मू कश्मीर के जवाहर इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग विंटर स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में कोर्स करके पर्वतारोहण की शुरुआत की और इसके साथ इन्होंने स्कीइंग में भी देश का नाम चमकाया है.

स्कीइंग भी खेलती हैं विकास राणा

विकास राणा हरियाणा की इकलौती इंटरनेशनल स्कीइंग खिलाड़ी हैं. विकास ने 5 बार नेशनल गेम में हिस्सा लिया है. जिसमें से वर्ष 2018 में नेशनल गेम में सिल्वर मेडल जीता था. 2017 में जापान में हुए एशियन गेम में भी विकास ने हिस्सा लेकर भारत का प्रतिनिधित्व किया.

ये भी पढ़ें:-स्पेशल रिपोर्ट: पानीपत में लोग पानी-पानी चिल्ला रहे हैं!

साउथ अफ्रीका की किलिमंजारो पर फतह

विकास ने 25 जुलाई 2018 को साउथ अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह किया था.

एशिया की माउंट एल्ब्रुस पर फतह

5 सितंबर 2018 को इन्होंने यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर फतह कर स्कीइंग करते हुए नीचे आई थीं. ऐसा करने वाली विकास राणा पहली भारतीय महिला बनीं. यह कारनामा करने वाली भारत की इकलौती खिलाड़ी हैं. और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुकी हैं.



बर्फीले तूफानों को चीर कर विकास राणा ने फ़तेह की विश्व की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवेरस्ट 
मौत को चकमा दे फहराया भारत की आन  बान शान तिरंगा


जींद के गावं सुदकैन खुर्द में एक साधारण किसान परिवार में जन्मी विकास राणा के बुलंद होंसलो के आगे विश्व की हर ऊंचाई छोटी पड़ गई साउथ अफ्रीका की किलि मंजारो और रशिया की माउंट एल्ब्रुस को फतेहकर तिरंगा फहराने एवं भारत का नाम रोशन करने वाली इस साहसी लड़की विकास राणा ने अब विश्व की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवेरस्ट को भी फ़तेह कर भारत का तिरंगा फहराते हुए साबित कर दिया की बेटियाँ किसी से कम नहीं है और  बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ एवं  बेटी खिलाओ नारे को सार्थक कर दिखाया 



 

जानकारी के अनुसार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए 30 लाख रुपए का खर्चा आता है , लेकिन  अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए विकास राणा के पिताजी ने अपनी जमीन गिरवी रख व राजपूत समाज के लोगो के सहयोग से अपनी बेटी विकास राणा को 30 लाख रुपए इकट्ठे करके दिए!  




  विकास राणा ने 2011 में जम्मू कश्मीर के जवाहर इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग विंटर स्पोर्ट्स  इंस्टीट्यूट में कोर्स करके पर्वतारोहण की शुरुआत की और इसके साथ साथ इन्होंने स्कीइंग में भी देश और प्रदेश में अपना नाम चमकाया, विकास राणा  हरियाणा की इकलौती इंटरनेशनल स्कीइंग की खिलाड़ी है, इन्होंने 5 बार नेशनल गेम में पार्टिसिपेट किया है जिसमें से वर्ष 2018 में इन्होंने नेशनल गेम में सिल्वर मेडल प्राप्त किया था और 2017 में जापान में हुए एशियन गेम में भी  इन्होने पार्टिसिपेट किया था और इंडिया को रिप्रेजेंट किया था,25 जुलाई 2018 को इन्होंने साउथ अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह किया था और 5 सितंबर 2018 को इन्होंने यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस को फतह कर स्कीइंग करते हुए नीचे आई , ऐसा करने वाली विकास राणा पहली भारतीय महिला बन गई । अब यह कारनामा करने वाली भारत की इकलौती खिलाड़ी  है और इंडिया बुक रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुकी है ।





विकास राणा ने   5 अप्रैल 2019 को अपना  माउंट एवरेस्ट अभियान शुरू कर दिया था   और कंपनी को रिपोर्ट कर एवेरस्ट चढ़ाई  शुरू कर दी थी  !बेस कैंप से  माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई शुरू हो गई और बर्फीले तूफानों एवं अनेक कठिन परिस्थितियो को लांघते हुए और मौत को चकमा देकर अपनी पूरी तयारी और होंसले के साथ एवेरस्ट पर तिरंगा फहरा कर  अपने देश भारत का नाम रोशन किया   !





विकास राणा के बुलंद होंसले ने साबित कर दिया है की भारत की बेटियाँ किसी भी फिल्ड में पीछे नहीं है   इस वक़्त विकास राणा का माउंट एवेरस्ट फतेह करने का अभियान पूरा हो चूका है और वे काठमांडू पहुंच गई है  वह कसे और किन हालत से जूझते हुए आगे बढ़ी  ये सुनना हम जसे आम आदमी के लिए तो रोमांच की बात हो सकती है किन्तु अड़चने और मुश्किलें विकास का हौंसला नहीं तोड़ पाई और वे तमाम बाधाओं को पार करते हुए अपने मिशन में सफल रही उनकी इस सफलता पर माँ बाप परिवार और गावं को ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा और भारत को गर्व है आज विकास राणा देश की बेटियों के लिए एक प्रेरणा बन गई है  

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