जींद: जींद के सरकारी अस्पताल का एक और कारनामा सामने आया है. आरोप है कि अस्पताल में इलाज के लिए आए 1 साल के बच्चे के लिए डॉक्टर ने दूसरी दवाई लिखी थी, लेकिन डिस्पेंसरी काउंटर पर फार्मासिस्ट ने गलत दवाई दे दी.
बच्चे के परिजनों ने बताया कि डॉक्टर ने पर्ची में बुखार की 10 एमजी की डोस बच्चे के लिए लिखी थी, लेकिन पर्चे पर साफ-साफ लिखे होने के बाद भी फार्मासिस्ट ने ऑलजापाईन नाम की दवाई दे दी. ये दवाई नींद की होती है. अगर सही वक्त पर इलाज नहीं कराया गया होता तो ऐसे में बच्चे की जान भी जा सकती थी.
परिजनों ने लगाए दवाई गलत देने के आरोप
परिजनों ने बताया कि दवाई लेने के बाद बच्चे की हालत बिगड़ गई. गंभीर हालत में बच्चे को जींद के एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया है. जानकारी के अनुसार जींद के कौशिक नगर निवासी विकास का 10 महीने का बेटा पर्व बीमार हो था. उल्टी-दस्त की शिकायत पर पर्व को वीरवार को जींद के सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया गया था. बाल रोग विशेषज्ञ ने पर्व के लिए जो दवा पर्ची पर लिखी थी,वो पर्ची लेकर पर्व के परिजन विकास सिविल अस्पताल की नई बिल्डिंग के दवा वितरण काऊंटर पर पहुंचे.
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काउंटर पर बैठे फार्मासिस्ट ने डाक्टर द्वारा पर्व के लिए लिखी गई दवा की जगह दूसरी दवा दे दी. ये दवा जब पर्व को दी गई तो इसके तुरंत बाद पर्व की हालत बिगड़ने लगी. पर्व को ये दवा वीरवार दोपहर बाद 3 बजे दी गई थी. वो गहरी नींद में चला गया. इस दौरान पर्व की हालत लगातार बिगड़ती चली गई तो परिजनों ने उसे जींद के सिविल अस्पताल से निकालकर विवेकानंद नगर स्थित एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया.
वहीं इस मामले पर जींद सरकारी अस्पताल के सीएमओ जयभगवान ने कहा कि अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं आई है. अगर शिकायत आती है तो जांच करआई जाएगी और दोषी पाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.