जींदः सांप को देखकर ही एक आम इंसान के होश उड़ जाते हैं. लेकिन जींद के अहिरका गांव के रहने वाले सोनू उर्फ सुनील को सांपों से काफी प्रेम है. जहां कहीं सांप की जान आफत में होती है. इसकी सूचना मिलते ही अपनी जान की परवाह किए बिना वह मौके पर पहुंच जाता है. पलक झपकते ही वह सांप पकड़ लेता है और उसके बाद उसे आबादी से दूर छोड़ आता है.
ऐसे मिली सांप बचाने की प्रेरणा
सोनू का कहना है कि करीब 3 साल पहले वह खेत में गया हुआ था. उसके पड़ोस की एक महिला उसके आगे सिर पर लकड़ी का गट्ठा लेकर चल रही थी. इसी दौरान बाइक पर सवार होकर एक युवक आया और उसने लकड़ियों में एक सांप को देखा और फिर महिला को बताया.
महिला ने डर के मारे लकड़ियां नीचे डाल दी. इसके बाद युवक ने सांप को मारने के लिए लकड़ियों में ही आग लगा दी. उसके आंखों के सामने सांप जला तो उसे काफी बुरा लगा. इसके बाद उसने ठान लिया कि जिन से लोग डरते हैं और उन्हें इसी कारण मारते हैं, उन्हें ही बचाना है. ताकि लोग भी सुरक्षित रहे और सांप भी. इसके बाद वह महाराष्ट्र के अहमदनगर से सांप पकड़ने की दो महीने की ट्रेनिंग लेकर आया.
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केवल 5 प्रजाति के सांप ही होते हैं खतरनाक
सोनू का कहना है कि सांपों की कुल 550 प्रजातियां हैं. इनमें से सिर्फ 5 प्रजाति के ही सांप ऐसे हैं, जो बहुत खतरनाक हैं और जिनके काटने से मनुष्य की कुछ देर में ही मृत्यु हो सकती है. इनमें ब्लैक कोबरा, रसल ज्वाइपर, कॉमन क्रेप, ग्रीन वाइन स्नेक और किंग कोबरा शामिल हैं.
किंग कोबरा को छोड़कर बाकी 4 प्रजाति के सांप प्रदेश में मिल जाते हैं. सिर्फ इन पांचों प्रजाति के सांप को पकड़ते समय ही वह एंटी वेनम इंजेक्शन का प्रयोग करता है. इस इंजेक्शन के लगने से शरीर पर खतरनाक जहर का असर नहीं होता.
स्नेक कैचर के रुप में है सोनू की पहचान
सोनू वैसे तो पेशे से मिस्त्री है. लेकिन उसके सांप पकड़ने की शौक के चलते लोगों में उसकी पहचान स्नैक कैचर के रूप में बन गई है और इसी नाम से लोग उसे पुकारते हैं. सोनू के पास अब रोजाना लोगों के उसके घर, दफ्तर आदि में सांप होने और उसे पकड़ने के लिए फोन आते हैं. इस दौरान वह मौके पर पहुंचने में आने-जाने में बाइक के खर्च होने वाले पेट्रोल के पैसे लेता है. पिछले 2 साल में सोनू आसपास के एरिया में करीब 10 हजार सांपों को पकड़ चुका है और उनकी जान बचा चुका है.
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