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दो साल में 10 हजार सांप बचा चुका है जींद का स्नेक कैचर सोनू, इसलिए चुना ये पेशा

सोनू का कहना है कि सांपों की कुल 550 प्रजातियां हैं. इनमें से सिर्फ 5 प्रजाति के ही सांप ऐसे हैं, जो बहुत खतरनाक हैं और जिनके काटने से मनुष्य की कुछ देर में ही मृत्यु हो सकती है. इनमें ब्लैक कोबरा, रसल ज्वाइपर, कॉमन क्रेप, ग्रीन वाइन स्नेक और किंग कोबरा शामिल हैं.

JIND SNEK CATCHER SONU
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Published : Jan 17, 2020, 2:31 PM IST

जींदः सांप को देखकर ही एक आम इंसान के होश उड़ जाते हैं. लेकिन जींद के अहिरका गांव के रहने वाले सोनू उर्फ सुनील को सांपों से काफी प्रेम है. जहां कहीं सांप की जान आफत में होती है. इसकी सूचना मिलते ही अपनी जान की परवाह किए बिना वह मौके पर पहुंच जाता है. पलक झपकते ही वह सांप पकड़ लेता है और उसके बाद उसे आबादी से दूर छोड़ आता है.

ऐसे मिली सांप बचाने की प्रेरणा
सोनू का कहना है कि करीब 3 साल पहले वह खेत में गया हुआ था. उसके पड़ोस की एक महिला उसके आगे सिर पर लकड़ी का गट्ठा लेकर चल रही थी. इसी दौरान बाइक पर सवार होकर एक युवक आया और उसने लकड़ियों में एक सांप को देखा और फिर महिला को बताया.

दो साल में 10 हजार सांप बचा चुका है जींद का स्नेक कैचर सोनू, देखें रिपोर्ट

महिला ने डर के मारे लकड़ियां नीचे डाल दी. इसके बाद युवक ने सांप को मारने के लिए लकड़ियों में ही आग लगा दी. उसके आंखों के सामने सांप जला तो उसे काफी बुरा लगा. इसके बाद उसने ठान लिया कि जिन से लोग डरते हैं और उन्हें इसी कारण मारते हैं, उन्हें ही बचाना है. ताकि लोग भी सुरक्षित रहे और सांप भी. इसके बाद वह महाराष्ट्र के अहमदनगर से सांप पकड़ने की दो महीने की ट्रेनिंग लेकर आया.

ये भी पढ़ेंः- नए मोटर व्हीकल एक्ट की जुर्माना राशि पर विचार करेगी सरकार, चालान की राशि में होगी कमी

केवल 5 प्रजाति के सांप ही होते हैं खतरनाक
सोनू का कहना है कि सांपों की कुल 550 प्रजातियां हैं. इनमें से सिर्फ 5 प्रजाति के ही सांप ऐसे हैं, जो बहुत खतरनाक हैं और जिनके काटने से मनुष्य की कुछ देर में ही मृत्यु हो सकती है. इनमें ब्लैक कोबरा, रसल ज्वाइपर, कॉमन क्रेप, ग्रीन वाइन स्नेक और किंग कोबरा शामिल हैं.

किंग कोबरा को छोड़कर बाकी 4 प्रजाति के सांप प्रदेश में मिल जाते हैं. सिर्फ इन पांचों प्रजाति के सांप को पकड़ते समय ही वह एंटी वेनम इंजेक्शन का प्रयोग करता है. इस इंजेक्शन के लगने से शरीर पर खतरनाक जहर का असर नहीं होता.

स्नेक कैचर के रुप में है सोनू की पहचान
सोनू वैसे तो पेशे से मिस्त्री है. लेकिन उसके सांप पकड़ने की शौक के चलते लोगों में उसकी पहचान स्नैक कैचर के रूप में बन गई है और इसी नाम से लोग उसे पुकारते हैं. सोनू के पास अब रोजाना लोगों के उसके घर, दफ्तर आदि में सांप होने और उसे पकड़ने के लिए फोन आते हैं. इस दौरान वह मौके पर पहुंचने में आने-जाने में बाइक के खर्च होने वाले पेट्रोल के पैसे लेता है. पिछले 2 साल में सोनू आसपास के एरिया में करीब 10 हजार सांपों को पकड़ चुका है और उनकी जान बचा चुका है.

ये भी पढ़ेंः- महापंचायत ने कैप्टन अभिमन्यु के घर आगजनी मामले में किया फैसला, आरोपियों को किया माफ

जींदः सांप को देखकर ही एक आम इंसान के होश उड़ जाते हैं. लेकिन जींद के अहिरका गांव के रहने वाले सोनू उर्फ सुनील को सांपों से काफी प्रेम है. जहां कहीं सांप की जान आफत में होती है. इसकी सूचना मिलते ही अपनी जान की परवाह किए बिना वह मौके पर पहुंच जाता है. पलक झपकते ही वह सांप पकड़ लेता है और उसके बाद उसे आबादी से दूर छोड़ आता है.

ऐसे मिली सांप बचाने की प्रेरणा
सोनू का कहना है कि करीब 3 साल पहले वह खेत में गया हुआ था. उसके पड़ोस की एक महिला उसके आगे सिर पर लकड़ी का गट्ठा लेकर चल रही थी. इसी दौरान बाइक पर सवार होकर एक युवक आया और उसने लकड़ियों में एक सांप को देखा और फिर महिला को बताया.

दो साल में 10 हजार सांप बचा चुका है जींद का स्नेक कैचर सोनू, देखें रिपोर्ट

महिला ने डर के मारे लकड़ियां नीचे डाल दी. इसके बाद युवक ने सांप को मारने के लिए लकड़ियों में ही आग लगा दी. उसके आंखों के सामने सांप जला तो उसे काफी बुरा लगा. इसके बाद उसने ठान लिया कि जिन से लोग डरते हैं और उन्हें इसी कारण मारते हैं, उन्हें ही बचाना है. ताकि लोग भी सुरक्षित रहे और सांप भी. इसके बाद वह महाराष्ट्र के अहमदनगर से सांप पकड़ने की दो महीने की ट्रेनिंग लेकर आया.

ये भी पढ़ेंः- नए मोटर व्हीकल एक्ट की जुर्माना राशि पर विचार करेगी सरकार, चालान की राशि में होगी कमी

केवल 5 प्रजाति के सांप ही होते हैं खतरनाक
सोनू का कहना है कि सांपों की कुल 550 प्रजातियां हैं. इनमें से सिर्फ 5 प्रजाति के ही सांप ऐसे हैं, जो बहुत खतरनाक हैं और जिनके काटने से मनुष्य की कुछ देर में ही मृत्यु हो सकती है. इनमें ब्लैक कोबरा, रसल ज्वाइपर, कॉमन क्रेप, ग्रीन वाइन स्नेक और किंग कोबरा शामिल हैं.

किंग कोबरा को छोड़कर बाकी 4 प्रजाति के सांप प्रदेश में मिल जाते हैं. सिर्फ इन पांचों प्रजाति के सांप को पकड़ते समय ही वह एंटी वेनम इंजेक्शन का प्रयोग करता है. इस इंजेक्शन के लगने से शरीर पर खतरनाक जहर का असर नहीं होता.

स्नेक कैचर के रुप में है सोनू की पहचान
सोनू वैसे तो पेशे से मिस्त्री है. लेकिन उसके सांप पकड़ने की शौक के चलते लोगों में उसकी पहचान स्नैक कैचर के रूप में बन गई है और इसी नाम से लोग उसे पुकारते हैं. सोनू के पास अब रोजाना लोगों के उसके घर, दफ्तर आदि में सांप होने और उसे पकड़ने के लिए फोन आते हैं. इस दौरान वह मौके पर पहुंचने में आने-जाने में बाइक के खर्च होने वाले पेट्रोल के पैसे लेता है. पिछले 2 साल में सोनू आसपास के एरिया में करीब 10 हजार सांपों को पकड़ चुका है और उनकी जान बचा चुका है.

ये भी पढ़ेंः- महापंचायत ने कैप्टन अभिमन्यु के घर आगजनी मामले में किया फैसला, आरोपियों को किया माफ

Intro:
3 साल पहले सांप को जलता देखा तो जींद के अहिरका गांव का सोनू ने उन्हें बचाने की ठान ली, उस दिन के बाद महाराष्ट्र से ट्रेनिंग लेकर सांप को पकड़ने लगा , सोनू अबतक 2 साल में 10 हजार सांप बचा चुका है , इस कारण लोग अब सोनू को स्नैक कैचर पुकारने लगे है , ये स्नैक कैचर सांप पकडऩे के साथ-साथ कौन सा सांप है खतरनाक इसके बारे में भी लोगों को जागरूक करता है
Body:

 जींद अहिरका गांव के सोनू उर्फ सुनील को सांपों से काफी प्रेम है। जहां कहीं सांप की जान आफत में होती है। वह सूचना मिलते ही अपनी जान की परवाह किए बिना मौके पर पहुंच जाता है। इस दौरान वह पलक झपकते ही सांप पकड़ लेता है और उसके बाद उसे बीड़बड़ा वन में छोड़ आता है। पिछले 2 साल में आसपास के एरिया में वह करीब 10 हजार सांपों को पकड़ चुका है। वैसे तो सोनू पेशे से मिस्त्री है। लेकिन उसके सांप पकडऩे की शौंक पर लोगों में उसके पहचान स्नैक कैचर के रूप में बन गई है और इसे नाम से लोग उसे पुकारते हैं।




स्नैक कैचर सोनू बताता है कि करीब 3 साल पहले वह खेत में गया हुआ था। उनके पड़ौस की एक महिला उसके आगे सिर पर लकड़ी का गट्ठा लेकर चल रही थी। इसी दौरान बाइक पर सवार होकर एक युवक आया और उसने लकडिय़ों में एक सांप को देखा और फिर महिला को बताया। महिला ने डर के मारे  लकडिय़ां नीचे डाल दी। इसके बाद युवक ने सांप को मारने के लिए लकडिय़ों में ही आग लगा दी। उसके आंखों के सामने सांप जला तो उसे काफी बुरा लगा। इसके बाद उसने ठान लिया कि जिन से लोग डरते हैं और उन्हें इसी कारण मारते हैं उन्हें ही बचाना है। ताकि लोग भी सुरक्षित रहे और सांप भी। इके बाद वह महाराष्ट्र के अहमदनगर से सांप पकडऩे की दो माह की ट्रेनिंग लेकर आया। उसके बाद से वह आसपास में करीब 10 हजार सांप को पकड़ कर बीड़बड़ा वन में सुरक्षित जगह पर छोड़ चुका है।




ये स्नेक कैचर सांपों को पकडऩे के साथ-साथ लोग इन्हें न मारे।सोनू  इसके बारे में भी लोगों को जागरूक करताा है। सोनू का कहना है कि सांपों की कुल 550 प्रजातियां हैं। इनमें से सिर्फ 5 प्रजाति के ही सांप ऐसे हैं जो बहुत खतरनाक हैं और जिनके काटने से मनुष्य की कुछ देर में ही मृत्यु हो सकती है। इनमें ब्लैक कोबरा, रसल जवाइपर, कॉमन क्रेप, ग्रीन वाइन स्नैक व किंग कोबरा शामिल हैं। किंग कोबरा को छोड़कर बाकी 4 प्रजाति के सांप प्रदेश में मिल जाते हैं। सिर्फ इन पांचों प्रजाति के सांप को पकड़ते समय ही वह एंटी वेनम इंजेक्शन का प्रयोग करता है। इस इंजेक्शन के लगने से शरीर पर खतरनाक जहर का असर नहीं होता।

  बाईट - सोनू , स्नैक कैचरConclusion:सोनू के पास अब रोजाना लोगों के उसके पास घर, दफ्तर आदि में सांप होने और उसे पकडऩे के लिए फोन आते हैं। इसके बाद सोनू जल्द ही मौके पर पहुंच जाता है और उसके बाद वह आसानी से सांप को पकड़ कर बैग आदि में डालकर शहर के हांसी रोड पर स्थित बीड़बड़ा वन में छोड़ देता है। सांप पकडऩे के सोनू किसी से पैसे नहीं लेता। इस दौरान वह मौके पर पहुंचने में आने-जाने में बाइक के खर्च होने वाले पेट्रोल के पैसे लेता है।
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