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लापरवाहीः स्वास्थ्य विभाग ने 20 मिनट की परीक्षा में लगा दिए 5 घंटे, परेशान हुई महिलाएं और बच्चे

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Published : Mar 15, 2020, 7:36 PM IST

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की परीक्षा का आयोजन किया गया. इस परीक्षा में करीब 600 परीक्षार्थी बैठे. 20 मिनट की परीक्षा के लिए लोगों को 5 घंटे तक इंतजार करना पड़ा. इस दौराम छोटे-छोटे बच्चे भूखे बिलखते रहे. पढ़ें पूरी खबर...

health department examination in jind
health department examination in jind

जींद: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा निकाली गई 18 स्टाफ नर्सों के पदों के लिए महिला कॉलेज में परीक्षा का आयोजन किया गया. जींद शुगर मिल के एमडी राजेंद्र सिंह की देखरेख में करीब 600 परीक्षार्थियों ने ये परीक्षा दी. नागरिक अस्पताल ट्रेनिंग सेंटर में सुबह ही परीक्षार्थी पहुंचने शुरू हो गए थे, जहां पर रोल नंबर लेने के लिए मारामारी रही. 3 घंटे बाद तक सभी परीक्षार्थियों को रोल नंबर मिले और इसके बाद करीब 12:00 बजे महिला कॉलेज में बने परीक्षा केंद्र पर सभी परीक्षार्थी पहुंचे जहां जांच के बाद अंदर जाने दिया गया.

भूखे बिलखते रहे मासूम

परीक्षा केंद्र में एंट्री होने के बाद भी परीक्षार्थियों को पेपर शुरू होने का काफी इंतजार करना पड़ा. परीक्षा करीब 2:30 बजे परीक्षा शुरू हो पाई. इस 20 मिनट की परीक्षा के लिए परीक्षार्थियों को करीब 5 घंटे इंतजार करना पड़ा. हालांकि इस दौरान छोटे बच्चों के साथ आई महिलाओं को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ी. परीक्षार्थियों के साथ आए परिजन भी आसपास के पार्कों में छोटे बच्चों को लेकर परेशान दिखाई दिए. 4 से 5 घंटे से भी ज्यादा समय तक महिलाएं बच्चों को दूध नहीं पिला पाई.

स्वास्थ्य विभाग की परीक्षा के लिए 5 घंटे करना पड़ा इंतजार, भूखे बिलखते रहे मासूम


परीक्षा देने आई महिलाओं के परिजनों ने कहा कि हमें 9:00 बजे बुलाया गया था और अब 3:00 बजने को आए हैं लेकिन परीक्षा खत्म नहीं हुई. हमारे छोटे-छोटे बच्चे भूखे हैं. कितना समय हो गया है अभी तक 20 मिनट का पेपर खत्म नहीं हुआ? बच्चों को दूध पिलाने के लिए ढाबे से दूध लेकर आए हैं. प्रशासन की ओर से परीक्षा को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई. सुबह से परीक्षार्थी धक्के खा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: -अंबाला का प्राचीन 'रानी का तालाब', यहां राजा रणजीत सिंह की रानी करती थी शाही स्नान

प्रशासन पर उठे सवाल

वहीं परीक्षा को लेकर किए गए इंतजाम और देरी होने के सवाल पर सिविल सर्जन डॉ. जयभगवान जाटान का कहना है कि पेपर मुख्यालय की तरफ से भेजा जाना था. परीक्षा शुरू होने से कुछ देर पहले ही सीधे पेपर परीक्षा केंद्र पर पहुंचा है. वहीं 20 मिनट के पेपर के लिए महिला परीक्षार्थियों को 6 घंटे तक इंतजार करना पड़ा. इस तरह के हालात कहीं न कहीं अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हैं.

जींद: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा निकाली गई 18 स्टाफ नर्सों के पदों के लिए महिला कॉलेज में परीक्षा का आयोजन किया गया. जींद शुगर मिल के एमडी राजेंद्र सिंह की देखरेख में करीब 600 परीक्षार्थियों ने ये परीक्षा दी. नागरिक अस्पताल ट्रेनिंग सेंटर में सुबह ही परीक्षार्थी पहुंचने शुरू हो गए थे, जहां पर रोल नंबर लेने के लिए मारामारी रही. 3 घंटे बाद तक सभी परीक्षार्थियों को रोल नंबर मिले और इसके बाद करीब 12:00 बजे महिला कॉलेज में बने परीक्षा केंद्र पर सभी परीक्षार्थी पहुंचे जहां जांच के बाद अंदर जाने दिया गया.

भूखे बिलखते रहे मासूम

परीक्षा केंद्र में एंट्री होने के बाद भी परीक्षार्थियों को पेपर शुरू होने का काफी इंतजार करना पड़ा. परीक्षा करीब 2:30 बजे परीक्षा शुरू हो पाई. इस 20 मिनट की परीक्षा के लिए परीक्षार्थियों को करीब 5 घंटे इंतजार करना पड़ा. हालांकि इस दौरान छोटे बच्चों के साथ आई महिलाओं को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ी. परीक्षार्थियों के साथ आए परिजन भी आसपास के पार्कों में छोटे बच्चों को लेकर परेशान दिखाई दिए. 4 से 5 घंटे से भी ज्यादा समय तक महिलाएं बच्चों को दूध नहीं पिला पाई.

स्वास्थ्य विभाग की परीक्षा के लिए 5 घंटे करना पड़ा इंतजार, भूखे बिलखते रहे मासूम


परीक्षा देने आई महिलाओं के परिजनों ने कहा कि हमें 9:00 बजे बुलाया गया था और अब 3:00 बजने को आए हैं लेकिन परीक्षा खत्म नहीं हुई. हमारे छोटे-छोटे बच्चे भूखे हैं. कितना समय हो गया है अभी तक 20 मिनट का पेपर खत्म नहीं हुआ? बच्चों को दूध पिलाने के लिए ढाबे से दूध लेकर आए हैं. प्रशासन की ओर से परीक्षा को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई. सुबह से परीक्षार्थी धक्के खा रहे हैं.

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प्रशासन पर उठे सवाल

वहीं परीक्षा को लेकर किए गए इंतजाम और देरी होने के सवाल पर सिविल सर्जन डॉ. जयभगवान जाटान का कहना है कि पेपर मुख्यालय की तरफ से भेजा जाना था. परीक्षा शुरू होने से कुछ देर पहले ही सीधे पेपर परीक्षा केंद्र पर पहुंचा है. वहीं 20 मिनट के पेपर के लिए महिला परीक्षार्थियों को 6 घंटे तक इंतजार करना पड़ा. इस तरह के हालात कहीं न कहीं अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हैं.

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