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पैदल घरों को लौट रहे मजदूरों को झज्जर में खिलाया गया खाना - झज्जर में फंसे प्रवासी मजदूर

केन्द्र सरकार के निर्देश पर देश में किए गए 21 दिनों के लॉकडाउन के चलते न तो मजदूरों को रोजी-रोटी मिल रही है और न ही रहने का स्थान. हालात ये हैं कि काम न मिलने के चलते कई परिवार इन दिनों अपने छोटे-छोटे मासूम बच्चों के साथ किसी वाहन की व्यवस्था न होने के चलते पैदल ही अपने प्रदेश की ओर लौट चले हैं.

The workers are going to their village on foot
पैदल घरों को लौट रहे मजदूरों को झज्जर में खिलाया गया खाना
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Published : Mar 28, 2020, 10:47 AM IST

झज्जर: लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकलने को मजबूर हैं. अपने घर व प्रदेश को छोड़कर दूसरे प्रदेशों में रोजी-रोटी की तलाश में आए मजदूर कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के चलते परेशान हैं.

केन्द्र सरकार के निर्देश पर देश में किए गए 21 दिनों के लॉकडाउन के चलते न तो मजदूरों को रोजी-रोटी मिल रही है और न ही रहने का स्थान. हालात ये हैं कि काम न मिलने के चलते कई परिवार इन दिनों अपने छोटे-छोटे मासूम बच्चों के साथ किसी वाहन की व्यवस्था न होने के चलते पैदल ही अपने प्रदेश की ओर लौट चले हैं. रोहतक से पैदल चल कर झांसी जाने वाले मजदूरों जब झज्जर पहुंचे तो समाजसेवी संस्था ने उन्हे खाना खिलाया.

पैदल घरों को लौट रहे मजदूरों को झज्जर में खिलाया गया खाना

ऐसे ही कई परिवार भूखे-प्यासे पैदल ही अपने शहर झांसी जाने के लिए जब रोहतक से झज्जर पहुंचे तो यहां उनकी मदद के लिए दर्जनों हाथ उठे. मजदूरों का कहना है कि बाबू जी न तो काम और न ही आराम. यहां तक की रहने का स्थान भी उनके पास नहीं है. जब काम और रहने का स्थान ही उनके पास नहीं है तो अब वो यहां पर रहकर क्या करेंगे.

मीडिया से बातचीत करने के दौरान उन्होंने सरकार से मदद दिए जाने की भी गुजारिश की. उनका कहना था कि यदि सरकार उनके जाने व भोजन की व्यवस्था करा दे तो उनकी यात्रा सुगम हो जाएगी. उन्होंने ये भी कहा कि फिलहाल तो उन्हें इस प्रकार की कोई उम्मीद नजर नहीं आती. लेकिन उन्होंने भी फैसला कर रखा है कि चाहे मदद मिले या न मिले वो अपने गंतव्य का सफर जरूर तय करेंगे.

ये भी पढ़ें- हरियाणा-दिल्ली में फंसे प्रवासियों की मदद करेगा बिहार भवन में बना कंट्रोल रूम

झज्जर: लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकलने को मजबूर हैं. अपने घर व प्रदेश को छोड़कर दूसरे प्रदेशों में रोजी-रोटी की तलाश में आए मजदूर कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के चलते परेशान हैं.

केन्द्र सरकार के निर्देश पर देश में किए गए 21 दिनों के लॉकडाउन के चलते न तो मजदूरों को रोजी-रोटी मिल रही है और न ही रहने का स्थान. हालात ये हैं कि काम न मिलने के चलते कई परिवार इन दिनों अपने छोटे-छोटे मासूम बच्चों के साथ किसी वाहन की व्यवस्था न होने के चलते पैदल ही अपने प्रदेश की ओर लौट चले हैं. रोहतक से पैदल चल कर झांसी जाने वाले मजदूरों जब झज्जर पहुंचे तो समाजसेवी संस्था ने उन्हे खाना खिलाया.

पैदल घरों को लौट रहे मजदूरों को झज्जर में खिलाया गया खाना

ऐसे ही कई परिवार भूखे-प्यासे पैदल ही अपने शहर झांसी जाने के लिए जब रोहतक से झज्जर पहुंचे तो यहां उनकी मदद के लिए दर्जनों हाथ उठे. मजदूरों का कहना है कि बाबू जी न तो काम और न ही आराम. यहां तक की रहने का स्थान भी उनके पास नहीं है. जब काम और रहने का स्थान ही उनके पास नहीं है तो अब वो यहां पर रहकर क्या करेंगे.

मीडिया से बातचीत करने के दौरान उन्होंने सरकार से मदद दिए जाने की भी गुजारिश की. उनका कहना था कि यदि सरकार उनके जाने व भोजन की व्यवस्था करा दे तो उनकी यात्रा सुगम हो जाएगी. उन्होंने ये भी कहा कि फिलहाल तो उन्हें इस प्रकार की कोई उम्मीद नजर नहीं आती. लेकिन उन्होंने भी फैसला कर रखा है कि चाहे मदद मिले या न मिले वो अपने गंतव्य का सफर जरूर तय करेंगे.

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