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हिसार: रेमडेसिविर कालाबाजारी के आरोपियों की जमानत रद्द करने के लिए दायर की गई याचिका

आरोपियों की जमानत के खिलाफ दर्ज याचिका में वकील ने कहा कि आरोपियों ने एक टीके को उसकी असली कीमत के कई गुणा ज्यादा दाम वसूले और उसका कोई बिल भी नहीं दिया. जिससे उनको अनुचित लाभ हुआ और दूसरे पक्ष को अनुचित हानि हुई. जो भारतीय दंड संहिता की धारा 420 का अपराध बनाती है.

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रेमडेसिविर कालाबाजारी के आरोपियों की जमानत रद्द करने के लिए दायर की गई याचिका
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Published : May 20, 2021, 6:33 AM IST

हिसार: कुछ दिनों पहले हिसार में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे दो आरोपियों को कोर्ट से जमानत मिली. आरोपियों की जमानत को खारिज कराने के लिए अदालत में याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता के वकील मनमोहन राय सेशन जज अरुण कुमार सिंगल की कोर्ट की अदालत में याचिका दायर की है.

वकील मनमोहन राय ने कहा कि अदालत ने तीन आधार पर अरुण खुराना, पार्थ खुराना की जमानत याचिका स्वीकार की थी. इसके जवाब में याचिका में लिखा है कि आरोपियों ने एक टीके को उसकी असली कीमत के कई गुणा ज्यादा दाम वसूले और उसका कोई बिल भी नहीं दिया. जिससे उनको अनुचित लाभ हुआ और दूसरे पक्ष को अनुचित हानि हुई. जो भारतीय दंड संहिता की धारा 420 का अपराध बनाती है.

ये पढ़ें- पार्क में झूले से लटका मिला युवक का शव, आत्महत्या की आशंका

वकील मनमोहन राय ने कहा कि इसके अलावा ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय में होती है. जिस पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत को संज्ञान लेने का कोई अधिकार नहीं है. इस एक्ट की धारा 36-एडी में विशेष तौर पर लिखा गया है कि आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों, जिसमें जमानत और बोंड कार्य विशेष अदालत के समक्ष ही होंगे. ऐसे में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत को इस एक्ट के तहत जमानत लेने का अधिकार ही नहीं है.

ये भी पढ़िए: हरियाणा में दिल दहला देने वाली वारदात: साढू ने हाथ पकड़े, साली ने डाला पेट्रोल और पत्नी ने लगा दी आग

क्या था मामला?

बता दें 1 मई को स्टिंग ऑप्रेशन के जरिये अरुण खुराना, पार्थ खुराना को रेमडेसिविर ब्लैक करने के आरोप में पकड़ा गया था. स्टिंग ऑपरेशन करने वाले एवं मामले के चश्मदीद गवाह दोनों ने याचिका में कहा है कि उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर यह स्टिंग ऑपरेशन किया.

हिसार: कुछ दिनों पहले हिसार में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे दो आरोपियों को कोर्ट से जमानत मिली. आरोपियों की जमानत को खारिज कराने के लिए अदालत में याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता के वकील मनमोहन राय सेशन जज अरुण कुमार सिंगल की कोर्ट की अदालत में याचिका दायर की है.

वकील मनमोहन राय ने कहा कि अदालत ने तीन आधार पर अरुण खुराना, पार्थ खुराना की जमानत याचिका स्वीकार की थी. इसके जवाब में याचिका में लिखा है कि आरोपियों ने एक टीके को उसकी असली कीमत के कई गुणा ज्यादा दाम वसूले और उसका कोई बिल भी नहीं दिया. जिससे उनको अनुचित लाभ हुआ और दूसरे पक्ष को अनुचित हानि हुई. जो भारतीय दंड संहिता की धारा 420 का अपराध बनाती है.

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वकील मनमोहन राय ने कहा कि इसके अलावा ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय में होती है. जिस पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत को संज्ञान लेने का कोई अधिकार नहीं है. इस एक्ट की धारा 36-एडी में विशेष तौर पर लिखा गया है कि आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों, जिसमें जमानत और बोंड कार्य विशेष अदालत के समक्ष ही होंगे. ऐसे में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत को इस एक्ट के तहत जमानत लेने का अधिकार ही नहीं है.

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क्या था मामला?

बता दें 1 मई को स्टिंग ऑप्रेशन के जरिये अरुण खुराना, पार्थ खुराना को रेमडेसिविर ब्लैक करने के आरोप में पकड़ा गया था. स्टिंग ऑपरेशन करने वाले एवं मामले के चश्मदीद गवाह दोनों ने याचिका में कहा है कि उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर यह स्टिंग ऑपरेशन किया.

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