हिसार: केंद्र सरकार ने आभूषणों के लिए हॉलमार्क जरूरी कर दिया है. लेकिन ये हॉलमार्क क्या होता है और शुद्धता को किस तरीके से पहचाना जाता है. इसको लेकर अक्सर लोगों में कंफ्यूजन रहता है. इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि कैसे आप शुद्धाता की पहचान कर आभूषण खरीद सकेंगे. सोना खरीदने और बेचने दोनों के लिए अब हॉलमार्किंग जरूरी हो गई है. 15 जनवरी 2021 से इस नियम को लागू कर दिया गया है.
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इन नियम के लागू होने के बाद अब गलत कैरेट का सोना देकर ज्वेलर्स आपको ठग नहीं पाएंगे. कानून नहीं मानने वालों पर भारी जुर्माना और सजा का भी प्रावधान है. अब आप भी हॉलमार्किंग से सोने की शुद्धता की पहचान कर सकेंगे. आपको बता देंगे असली सोना 24 कैरेट का होता है. लेकिन इस के आभूषण नहीं बनते हैं. क्योंकि वो बेहद मुलायम होता है. आभूषणों के लिए 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें 91.66 फ़ीसदी सोना होता है.
क्या स्वास्थ्य पर पड़ता है प्रभाव?
जब गहने को बनाया जाता है उस वक्त तेजाब का प्रयोग किया जाता है. जिसके कारण कभी-कभी स्वास्थ्य पर इसका हल्का-फुल्का प्रभाव देखने को मिलता है. लेकिन इसका असर इन पर इतना नहीं होता. क्योंकि तेजाब की मात्रा काफी कम होती है. कुछ लोगों को हल्की फुल्की एलर्जी की शिकायतें जरूर मिलती हैं.
जेवर खरीदते वक्त इस बात का ध्यान जरूर रखें कि उसपर हॉलमार्क का निशान जरूर हो. अगर निशान नहीं हो तो आप ज्वेलर्स से सवाल पूछ सकते हैं. जरूरत पड़ने पर आप उसकी शिकायत भी कर सकते हैं. बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी की शुद्धता का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. इसके साथ बेचने के वक्त सही दाम मिलना भी मुश्किल होता है. बिक्री के समय हॉलमार्क वाली ज्वेलरी का मूल्य मौजूद बाजार भाव पर तय होता है. इसलिए हॉलमार्क सर्टिफिकेट वाली ज्वेलरी ही खरीदें.
कितने तरीके से होती है हॉलमार्क शुद्धता?
- 37.5% शुद्ध
- 58.5% शुद्ध
- 75.0% शुद्ध
- 91.6% शुद्ध
- 99.0% शुद्ध
- 99.9% शुद्ध
देशभर में ज्वेलर्स सिर्फ 22 कैरेट यानी 91.6 फ़ीसदी और 18 कैरेट यानी 75 फ़ीसदी शुद्धता वाली ज्वेलरी बेचते हैं. 22 कैरेट वाली ज्वेलरी पर 915 हॉलमार्क का चिन्ह होता है. वहीं 18 कैरेट की ज्वेलरी का सोना 75 फ़ीसदी शुद्ध होता है.
ऐसे करें सोना की शुद्धता की पहचान
- 24 कैरेट 99.9%
- 23 कैरेट 95.8%
- 22 कैरेट 91.6%
- 21 कैरेट 87.5%
- 18 कैरेट 75%
- 17 कैरेट 70.8%
- 14 कैरेट 58.5%
- 9 कैरेट 37.5%
क्या होता है हॉलमार्क ?
हॉलमार्क सोने चांदी और प्लेटिनम की शुद्धता को प्रमाणित करने का एक माध्यम होता है. सरल शब्दों में कहें तो ये विश्वसनीयता प्रदान करने का एक माध्यम होता है. भारत में अभी सिर्फ सोना और चांदी ही हॉलमार्किंग के दायरे में आता है. हॉलमार्किंग की प्रक्रिया पूरे देश में मौजूद होलमार्किंग केंद्रों पर की जाती है. इसकी निगरानी भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा होती है. यदि गहनों पर हॉलमार्क हो तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित होती है.
कैसे काम करता है हॉलमार्किंग सिस्टम ?
हमारे देश में मेटल की शुद्धता और सोने-चांदी के गहनों की प्रमाणिकता के लिए बीआईएस हॉलमार्क प्रणाली का उपयोग किया जाता है. बीआईएस का चिन्ह प्रमाणित करता है कि गहना भारतीय मानक ब्यूरो के स्टैंडर्ड पर खरा उतरा है. बीआईएस भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत आता है. बीआईएस हॉलमार्किंग सिस्टम अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के साथ जोड़ा गया है. इस प्रणाली के तहत बीआईएस द्वारा ज्वेलर्स को रजिस्ट्रेशन प्रदान किया जाता है. जिसके बाद ज्वेलर्स किसी भी बीआईएस मान्यता प्राप्त हॉलमार्किंग सेंटर से गहनों को हॉलमार्क करा सकते हैं.
कैसे होती है हॉलमार्किंग की प्रक्रिया ?
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी नए निर्देशों के अनुसार तीन श्रेणियों के गहनों पर हॉलमार्किंग की जाती है. 14 कैरेट,18 कैरेट और 22 कैरेट. गोल्ड हॉलमार्किंग की बात करें तो इसमें तीन चरण शामिल हैं. सबसे पहले एकरूपता परीक्षण, शुद्धता परीक्षण और मार्क चयनित करना.
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हिसार के ज्वेलर दिनेश कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार ने जो फैसला किया है वो अच्छा है. ये आने वाले समय में उपभोक्ताओं के लिए बहुत अच्छा फैसला है. पहले जो उपभोक्ताओं के साथ ज्वेलरी में धोखाधड़ी होती थी. वो अब नहीं होगी. क्योंकि ज्वेलरी एक ऐसा कीमती गहना है जो कि हर इंसान के घर पर मौजूद होता है. किसी मुसीबत में उसे बेचा भी जा सकता है. गहनों पर हॉलमार्किंग होने के बाद अब गहनों की पहचान सही रूप से होगी और ग्राहक नकली आभूषण से बच जाएगा. उन्होंने बताया कि हॉलमार्किंग वाले गहनों को ग्राहक कहीं पर भी भेज सकता है और उसे अपने गहने की पूरी वैल्यू मिलेगी. उन्होंने कहा कि उनके लिए एक एक पीस को टेस्टिंग लैब में चेक किया जाता है जो लैब गवर्नमेंट से अप्रूव्ड होती है.
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गवर्नमेंट अप्रूव्ड लैब अब सभी छोटे से लेकर बड़े शहरों में खुलती जा रही है. जिस के लिए हमे पहले बाहर जाना पड़ता था, लेकिन अब अपने शहर में होने से हमें फायदा है. हॉल मार्किंग प्रक्रिया करते समय स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसका प्रभाव नहीं होता. उन्होंने बताया कि जब गहने को बनाया जाता है उस वक्त तेजाब का प्रयोग किया जाता है. जिसके कारण स्वास्थ्य पर हल्का-फुल्का प्रभाव देखने को मिलता है. उन्होंने कहा कि इसका असर इन पर इतना नहीं होता, क्योंकि तेजाब की मात्रा काफी कम होती है. उन्हें जनता से अपील की कि वो आर्टिफिशियल गहने यूज करें, ताकि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचा जा सके.
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ज्वेलर राजन कुमार ने बताया कि ज्वेलरी का काम काफी पुराने समय से चलता आ रहा है. पहले ज्वेलरी की शुद्धता को चेक करने के लिए कोई भी मशीन नहीं होती थी. जिससे हमें पता नहीं चल पाता था कि सोना कितना शुद्ध है. आज के समय में मशीनरी युग होने के कारण सोने की सही पहचान की जा सकती है. उन्होंने बताया कि आज मशीनों के द्वारा हॉलमार्किंग का काम होता है. जिससे कि ये पता चल जाता है कि सोने में कितनी प्योरिटी है. हॉल मार्किंग करते समय सोने की स्किन पर लेजर लाइट के द्वारा उसकी प्योरिटी के अनुसार हॉल मार्किंग की जाती है. अगर सोने में बेटी नहीं होती है तो लेजर लाइट के द्वारा पता चल जाता है जिससे कि मशीन के द्वारा उस पर हॉल मार्किंग नहीं होती है.
'आर्टिफिशियल ज्वेलरी से करें परहेज'
आज के समय में आर्टिफिशियल ज्वेलरी भी चल रही हैं. जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है. क्योंकि आर्टिफिशियल ज्वेलरी में कई तरह की मिलावट होती है. जो आपकी स्किन पर एलर्जी कर सकती है. डॉक्टर विकास गिरधर ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वो हॉलमार्क वाली ज्वेलरी ही खरीदें. उन्होंने बताया कि नाक, कान, गले में डालने वाले आभूषण शरीर पर ज्यादा एलर्जी करते हैं. जिससे कि कान, नाक पर काफी असर पड़ता है और इन्फेक्शन होने का डर भी रहता है.
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आपको बता दें कि सरकार के इस फैसले से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी. भारतीय हैंडक्राफ्ट गोल्ड सामग्री के बाज़ार को बढ़ावा मिलेगा. जिससे आगे चलकर इस उद्योग का और अधिक विस्तार होगा. रोजगार सृजित करने और छोटे ज्वेलर्स के लिए संभावनाएं पैदा होंगी. इस समय में देश के 234 जिलों में 892 हॉलमार्किंग केंद्र संचालित हैं. जो 28849 बीआईएस रजिस्टर्ड ज्वेलर्स के लिए हॉलमार्किंग का काम करते हैं. सरकार द्वारा उठाए गए नए कदम से इस संख्या की ओर बढ़ने की उम्मीद की जा रही है.