हिसार: गांव खेड़ी चौपटा में खरीफ की फसल खराबे का मुआवजा लेने को लेकर 1 महीने से भी ज्यादा समय से किसानों का धरना (hisar farmers protest) चल रहा है. हिसार की बालसमंद, आदमपुर और खेड़ी चौपटा तहसील क्षेत्र में प्रशासन ने खरीफ की फसल में हुए नुकसान को शून्य दिखाया था. किसानों को इसी वजह से मुआवजा नहीं मिला. किसानों के रोष के बाद प्रशासन ने दोबारा रिपोर्ट तैयार करने के लिए कमेटी बनाई जिसने किसानों का नुकसान होना बताया है.
किसानों को अब तक इसका मुआवजा नहीं मिला. इसी मांग को लेकर मंगलवार को हिसार के लघु सचिवालय के सामने पूरे जिले से किसान संगठन व खाप इकट्ठा हुई और प्रशासन को 2 दिन का अल्टीमेटम दिया. किसान नेता सुरेश कोथ ने कहा किसानों की मांग पर हिसार की आदमपुर, बालसमंद और खेड़ी तहसील में प्रशासन ने दोबारा मुआवजे की रिपोर्ट बनाई और यह रिपोर्ट विस्तृत है. इस रिपोर्ट में किसानों के नुकसान को दिखाया गया है. हमने प्रशासन को 2 दिन का अल्टीमेटम दिया है अगर 2 दिन में इस मुद्दे को हल नहीं किया गया तो 22 अप्रैल को खेड़ी चौपटा धरने पर सभी खापों और सभी किसान संगठनों की मीटिंग होगी और उसमें कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा.
ये भी पढ़ें- किसानों ने सांसद बृजेंद्र सिंह की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए पुलिस को दी शिकायत
गौरतलब है कि खेड़ी, बालसमंद, आदमपुर तहसील के सैकड़ों गांव में फसल में नुकसान हो गया था, लेकिन अधिकारियों ने गिरदावरी के नाम पर यहां के नुकसान को शून्य दिखा दिया. जिसके कारण इस क्षेत्र के हजारों किसान मुआवजे से वंचित रह गए. इसके विरोध में 16 मार्च से किसानों ने तहसील परिसर को ताला लगाकर उसके बाहर ही धरना शुरू कर रखा है. किसानों की मांग है कि जब तक उन्हें मुआवजा नहीं दिया जाएगा तब तक वह तहसील का ताला नहीं खोलेंगे. वहीं प्रशासन द्वारा अब दोबारा की गई जांच में फसल खराब होना पाया गया है.