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प्रदूषण की सफेद चादर में ढका हिसार, एयर क्वालिटी इंडेक्स 486 के पार

हिसार में प्रदूषण का कारण पराली जलने से नहीं बल्कि बाहरी जिलों से प्रदूषण का हिसार में आना है. शनिवार को यह स्तर 10 प्रतिशत से बढ़कर 486 दर्ज किया गया है, जो कि प्रदूषण का यह स्तर बेहद खतरनाक है.

high level smog due to pollution in hisar
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Published : Nov 2, 2019, 8:48 PM IST

हिसार: उत्तर भारत में प्रदूषण की समस्या हर साल की तहर इस वर्ष भी विकराल रूप ले चुकी है. इन दिनों पराली जलाने की समस्या भी बनी हुई है. पराली के धुएं ने आसमान को प्रदूषण की सफेद चादर से ढक लिया है. शुक्रवार को प्रदूषण का स्तर लगभग 356 रहा वहीं शनिवार को यह स्तर 10 प्रतिशत से बढ़कर 486 दर्ज किया गया है, जो कि प्रदूषण का यह स्तर बेहद खतरनाक है.

हिसार में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर

बात करे हिसार की तो यहा प्रदूषण का कारण पराली जलने से नहीं बल्कि बाहरी जिलों से प्रदूषण का हिसार में आना है. प्रदूषण के कारण लोगो को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अस्पतालों में मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. इन दिनों प्रदूषण की सही वजह हवा में नमी का होना जिससे प्रदूषण का वायुमंडल के निचले स्तर में ही रह जाता है.

प्रदूषण की सफेद चादर में ढका हिसार, देखें वीडियो

एयर क्वालिटी इंडेक्स 486 के पार

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हिसार के रीजनल ऑफिसर राकेश ने बताया कि दीपावली से पहले प्रदूषण का स्तर लगभग 200 से नीचे दर्ज किया गया था जोकि बाद में प्रदूषण का स्तर 356 और अब वहीं शनिवार को यह बढ़कर 486 तक पहुंच गया था. राकेश कुमार ने बताया कि प्रदूषण अधिक होने से सांस लेने में दिक्कत होती है और सांस से संबंधित बीमारी के लोगो ज्यादा प्रभावित होते है. उन्होंने कहा कि बुजुर्ग और बच्चे इससे अधिक प्रभावित होते है.

ये भी जाने- करनाल: पराली जलाने को रोकने के लिए किसानों को किया जाएगा जागरुक

हल्की बारिश से जगी उम्मीद

उन्होंने बताया कि प्रदूषण से निजात पाने के लिए वाटर स्प्रिंकलिंग भी हिसार में कई स्थानों पर लगाए गए है। हिसार में हल्की बारिश भी हुई है जिसके कारण उम्मीद है कि राहत की सांस मिल पाएगी. वहीं तेज हवाएं भी चलने के आसार हैं जिसके कारण स्मॉग से छुटकारा मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

नमी के कारण प्रदूषण

अरब सागर में उठे क्यार साइक्लोन के कारण हवाओं के साथ हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में नमी भरी हवाएं पहुंची और इसके साथ ही दिवाली के पटाखों का धुआं और किसानों के द्वारा चलाई जाने वाली पराली के धुए ने नमी के साथ मिलकर स्मॉग को जन्म दिया है.

हिसार: उत्तर भारत में प्रदूषण की समस्या हर साल की तहर इस वर्ष भी विकराल रूप ले चुकी है. इन दिनों पराली जलाने की समस्या भी बनी हुई है. पराली के धुएं ने आसमान को प्रदूषण की सफेद चादर से ढक लिया है. शुक्रवार को प्रदूषण का स्तर लगभग 356 रहा वहीं शनिवार को यह स्तर 10 प्रतिशत से बढ़कर 486 दर्ज किया गया है, जो कि प्रदूषण का यह स्तर बेहद खतरनाक है.

हिसार में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर

बात करे हिसार की तो यहा प्रदूषण का कारण पराली जलने से नहीं बल्कि बाहरी जिलों से प्रदूषण का हिसार में आना है. प्रदूषण के कारण लोगो को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अस्पतालों में मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. इन दिनों प्रदूषण की सही वजह हवा में नमी का होना जिससे प्रदूषण का वायुमंडल के निचले स्तर में ही रह जाता है.

प्रदूषण की सफेद चादर में ढका हिसार, देखें वीडियो

एयर क्वालिटी इंडेक्स 486 के पार

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हिसार के रीजनल ऑफिसर राकेश ने बताया कि दीपावली से पहले प्रदूषण का स्तर लगभग 200 से नीचे दर्ज किया गया था जोकि बाद में प्रदूषण का स्तर 356 और अब वहीं शनिवार को यह बढ़कर 486 तक पहुंच गया था. राकेश कुमार ने बताया कि प्रदूषण अधिक होने से सांस लेने में दिक्कत होती है और सांस से संबंधित बीमारी के लोगो ज्यादा प्रभावित होते है. उन्होंने कहा कि बुजुर्ग और बच्चे इससे अधिक प्रभावित होते है.

ये भी जाने- करनाल: पराली जलाने को रोकने के लिए किसानों को किया जाएगा जागरुक

हल्की बारिश से जगी उम्मीद

उन्होंने बताया कि प्रदूषण से निजात पाने के लिए वाटर स्प्रिंकलिंग भी हिसार में कई स्थानों पर लगाए गए है। हिसार में हल्की बारिश भी हुई है जिसके कारण उम्मीद है कि राहत की सांस मिल पाएगी. वहीं तेज हवाएं भी चलने के आसार हैं जिसके कारण स्मॉग से छुटकारा मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

नमी के कारण प्रदूषण

अरब सागर में उठे क्यार साइक्लोन के कारण हवाओं के साथ हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में नमी भरी हवाएं पहुंची और इसके साथ ही दिवाली के पटाखों का धुआं और किसानों के द्वारा चलाई जाने वाली पराली के धुए ने नमी के साथ मिलकर स्मॉग को जन्म दिया है.

Intro: एंकर - उत्तर भारत में प्रदूषण की समस्या प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी विकराल रूप ले चुकी है। हरियाणा पंजाब में पराली जलाए जाने के कारण उठे धुएं से वातावरण प्रदूषित होता है। 50 से 100 माइक्रो ग्राम प्रदूषण सामान्य माना जाता है जबकि शुक्रवार को प्रदूषण का स्तर लगभग 356 रहा वहीं शनिवार को यह लगभग 10 प्रतिशत बढ़कर 486 दर्ज किया गया है। इससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। हिसार में प्रदूषण का कारण पराली का जलना नहीं बल्कि बाहरी जिलों से प्रदूषण हिसार में फैला बताया जा रहा है। दीपावली से पहले हिसार में लगभग 200 माइक्रो ग्राम प्रदूषण दर्ज किया गया था। हवा ना चलने के कारण प्रदूषण में गिरावट नहीं आ रही है। शनिवार को हिसार में हल्की बारिश होने से भी प्रदूषण के स्तर में गिरावट आने की संभावना है।

वीओ - हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हिसार के रीजनल ऑफिसर राकेश ने बताया कि शुक्रवार को प्रदूषण का स्तर 356 रहा वहीं शनिवार को यह बढ़कर 486 तक पहुंच गया। उन्होंने बताया कि दीपावली से पहले प्रदूषण का स्तर लगभग 200 से नीचे दर्ज किया गया था। 50 से 100 माइक्रो ग्राम सामान्य जी श्रेणी में आता है। सामान्य से लगभग 4 से पांच गुना प्रदूषण बढ़ चुका है जो वेरी पुअर की श्रेणी में आता है। उन्होंने बताया कि इसको रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए गए है। निर्माण कार्य रोक दिए गई है। राकेश कुमार ने बताया कि प्रदूषण अधिक होने से सांस लेने में दिक्कत होती है और सांस से संबंधित बीमारी के लोगो ज्यादा प्रभावित होते है। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग और बच्चे इससे अधिक प्रभावित होते है। उन्होंने बताया कि हिसार में पराली जलाने के बहुत ज्यादा मामले नहीं है बल्कि अन्य जिलों के कारण हिसार में प्रदूषण बढ़ है। उन्होंने बताया कि दीपावली के पटाखों से हुआ प्रदूषण खत्म हो जाता यदि तेज हवाएं चल जाती। उन्होंने बताया कि प्रदूषण से निजात पाने के लिए वाटर स्प्रिंकलिंग भी हिसार में कई स्थानों पर लगाए गए है। हिसार में हल्की बारिश भी हुई है जिसके कारण उम्मीद है कि राहत की सांस मिल पाएगी।

बाइट - राकेश कुमार , रीजनल ऑफिसर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हिसार।Body:वीओ - चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि एवं मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ मदनलाल खीचड़ ने स्मॉग के कारण फसलों पर होने वाले प्रभाव की जानकारी देते हुए बताया कि मौसम विभाग की भाषा में इसे स्मॉग कहते हैं। स्मॉग फोग और धुंए दोनों के मेल से बनता है। यह आमतौर पर सर्दियों के मौसम में बनता है। उन्होंने बताया कि अरब सागर में उठे क्यार साइक्लोन के कारण हवाओं के साथ हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में नमी भरी हवाएं पहुंची और इसके साथ ही दिवाली के पटाखों का धुआं और किसानों के द्वारा चलाई जाने वाली पराली के धुए ने नमी के साथ मिलकर स्मॉग को जन्म दिया है। डॉक्टर मदन लाल खिचड़ ने बताया कि यह स्मॉग हवा और बारिश से खत्म हो सकता है और अगले दो दिनों में गरज चमक के साथ हल्की बारिश के आसार बने हुए हैं। वहीं तेज हवाएं भी चलने के आसार हैं जिसके कारण स्मॉग से छुटकारा मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

स्मॉग के कारण फसलों पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी देते हुए डॉक्टर मदन लाल खिचड़ ने बताया कि स्मॉग के डस्ट पार्टिकल और धुंए के फसलों पर जमने के कारण उनमें फोटोसिंथेटिक प्रक्रिया में रुकावट आ जाती है। वही ऐसे मौसम में सूर्य की किरणें कम पहुंचने के कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी बाधित होती है। इसलिए पौधों का विकास रुक जाता है। मदनलाल खीचड़ ने बताया कि हालांकि जल्द ही स्मॉग के खत्म होने की आशंका के चलते फसलों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि स्मॉग के कारण वातावरण में उपस्थित विभिन्न प्रकार की गैसों की स्थिति में भी बदलाव आता है जिसका प्रभाव मनुष्य, पशु, पक्षी और फसल आदि पर पड़ता है।

बाइट - डॉ मैदान लाल खींचड़, मौसम वैज्ञानिक , चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार।Conclusion:
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