हिसार: उत्तर भारत में प्रदूषण की समस्या हर साल की तहर इस वर्ष भी विकराल रूप ले चुकी है. इन दिनों पराली जलाने की समस्या भी बनी हुई है. पराली के धुएं ने आसमान को प्रदूषण की सफेद चादर से ढक लिया है. शुक्रवार को प्रदूषण का स्तर लगभग 356 रहा वहीं शनिवार को यह स्तर 10 प्रतिशत से बढ़कर 486 दर्ज किया गया है, जो कि प्रदूषण का यह स्तर बेहद खतरनाक है.
हिसार में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर
बात करे हिसार की तो यहा प्रदूषण का कारण पराली जलने से नहीं बल्कि बाहरी जिलों से प्रदूषण का हिसार में आना है. प्रदूषण के कारण लोगो को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अस्पतालों में मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. इन दिनों प्रदूषण की सही वजह हवा में नमी का होना जिससे प्रदूषण का वायुमंडल के निचले स्तर में ही रह जाता है.
एयर क्वालिटी इंडेक्स 486 के पार
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हिसार के रीजनल ऑफिसर राकेश ने बताया कि दीपावली से पहले प्रदूषण का स्तर लगभग 200 से नीचे दर्ज किया गया था जोकि बाद में प्रदूषण का स्तर 356 और अब वहीं शनिवार को यह बढ़कर 486 तक पहुंच गया था. राकेश कुमार ने बताया कि प्रदूषण अधिक होने से सांस लेने में दिक्कत होती है और सांस से संबंधित बीमारी के लोगो ज्यादा प्रभावित होते है. उन्होंने कहा कि बुजुर्ग और बच्चे इससे अधिक प्रभावित होते है.
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हल्की बारिश से जगी उम्मीद
उन्होंने बताया कि प्रदूषण से निजात पाने के लिए वाटर स्प्रिंकलिंग भी हिसार में कई स्थानों पर लगाए गए है। हिसार में हल्की बारिश भी हुई है जिसके कारण उम्मीद है कि राहत की सांस मिल पाएगी. वहीं तेज हवाएं भी चलने के आसार हैं जिसके कारण स्मॉग से छुटकारा मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
नमी के कारण प्रदूषण
अरब सागर में उठे क्यार साइक्लोन के कारण हवाओं के साथ हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में नमी भरी हवाएं पहुंची और इसके साथ ही दिवाली के पटाखों का धुआं और किसानों के द्वारा चलाई जाने वाली पराली के धुए ने नमी के साथ मिलकर स्मॉग को जन्म दिया है.