हिसार: आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता मनोज राठी ने नगर परिषद चेयरमैन पर उनके बेटे के साथ मिलकर कई करोड़ों के घोटाला करने का आरोप लगाया है. राठी ने कहा कि पिछले 5 वर्षों से हिसार जिला परिषद में करोड़ों रुपये का घपला हुआ है. मनोज राठी ने आरोप लगाया कि जिला परिषद के चेयरमैन ब्रह्मदेव सहावा व उनके बेटे ने मिलकर कई करोड़ों का घोटाला किया है.
'आप' ने लगाए चेयरमैन पर करोड़ों के घोटाले के आरोप
उन्होंने सरपंचों से 20 फीसदी कमीशन लेकर ग्रांट देने का काम किया है जिन सरपंचों ने पैसे नहीं दिए उनको ग्रांट भी नहीं दी. उन्होंने बताया कि चेयरमैन ने अपने दो से तीन चहेते ठेकेदारों से काम करवाकर जिला परिषद ने करोड़ों रुपये का घोटाला करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि हम इसका विरोध पिछले 5 साल से कर रहे हैं. हमें शुरू से नगर परिषद में भ्रष्टाचार के संकेत मिल रहे थे जिसके चलते हमने कई बार जिला परिषद दफ्तर के सामने धरना भी दिया था.
आरटीआई से हुआ खुलासा
चेयरपर्सन की शिकायत डीसी को भी की थी लेकिन बीजेपी सरकार में होने व पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के रिश्तेदार होने के कारण प्रशासन ने कभी हमारी बात नहीं सुनी. मनोज राठी ने आरोप लगाया कि जब भी हम काम लेकर गए तो हमारे कामों की लिस्ट हमारे सामने ही डस्टबिन में फेंकने का काम किया. कई बार आरटीआई लगने के बाद भी हमें थोड़ी बहुत आरटीआई के जवाब मिले.
नरेंद्र राठी ने घोटाले का दिया उदाहरण
सरकार के पूर्व मंत्री के दबाव में अफसरों ने हमें आरटीआई का जवाब तक नहीं दिया यहां तक कि हमें दफ्तर में भी नहीं घुसने दिया जाता था. उन्होंने बताया कि आरटीआई के माध्यम से हमें कुछ घोटालों का पता चला है. उन्होंने अपने गांव लालपुरा का उदाहरण देते हुए बताया कि एक बस क्यू शेल्टर का निर्माण दिखाया गया है जबकि वहां पर इस प्रकार का कोई निर्माण नहीं हुआ है.
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किसानों के समर्थन में नगर परिषद चुनाव का बहिष्कार
मनोज राठी ने कहा कि सरकार द्वारा लाए 3 काले कृषि कानूनों के चलते किसान भाई आंदोलन पर हैं उन्होंने कहा कि मैं स्वयं किसान परिवार से संबंध रखता हूं और मैं भी इस किसान आंदोलन का हिस्सा हूं उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि आने वाले जिला परिषद व पंचायत चुनाव का बहिष्कार करेंगे और खुद किसी प्रकार का चुनाव नहीं लड़ेंगे जबकि पिछली बार वार्ड 22 से 3250 वोटों से जीत कर जिला पार्षद बने थे. इस बार किसानों के समर्थन में इन चुनाव का बहिष्कार करते हुए चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करते हैं.