गुरुग्राम: बुधवार को मानेसर में किसानों ने 1810 एकड़ जमीन के उचित मुआवजे की मांग को लेकर महापंचायत की. इस महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत, पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, आप पार्टी से राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता और नवीन जयहिंद भी मौजूद रहे. इनके अलावा महापंचायत में मानेसर कासन गांव के अलावा अलग-अलग 25 गांव के किसानों ने भी हिस्सा लिया. महापंचायत में फैसला किया गया कि 28 जून को 1 बजे तक उनकी बात सुनने के लिए सरकार या प्रशासन का कोई भी नुमाइंदा नहीं पहुंचा, तो वो मानेसर तहसील को ताला जड़ देंगे.
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किसानों ने किया हंगामा: किसानों के बढ़ते रोष को देखते हुए एडीसी मौके पर पहुंचे. संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर किसानों ने एचएसआईआईडीसी ऑफिस और तहसील पर ताला जड़कर प्रदर्शन किया. इस दौरान गुरुग्राम पुलिस ने किसानों को रोकने की पुरजोर कोशिश की. पुलिसकर्मी हाथ में लाठी-डंडे लिए भी खड़े रहे, लेकिन किसान ना तो रुके और ना ही पुलिस के डर से झुके. काफी देर तक एचएसआईआईडीसी के कार्यालय के बाहर किसानों ने हंगामा बरपाया और उसके कार्यालय पर ताला जड़ दिया और किसान वहीं धरने पर बैठ गए.
'किसानों के साथ अत्याचार कर रही सरकार': इस मौके पर पर पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि सरकार किसानों के साथ शुरुआत से ही अत्याचार करती आई है. अब गुरुग्राम के मानेसर इलाके के किसान जब अपना हक मांग रहे हैं, तो सरकार उनके साथ नाइंसाफी कर रही है. सरकार को इनकी मांगे मानते हुए, इनको या तो उचित मुआवजा देना चाहिए या फिर इनकी जमीन को अधिग्रहण मुक्त कर देना चाहिए.
'अनशन नहीं, हाथ में लाठी लेकर करें सरकार का विरोध': किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जो लोग अनशन पर बैठे हैं. उन्हें अनशन पर नहीं बैठना चाहिए, बल्कि पेट भर कर और हाथ में लाठी लेकर सरकार के विरोध में खड़े हो जाना चाहिए. केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि हम दिल्ली को घेरने की तैयारी कर रहे हैं. दिल्ली की ओर जाने वाले सभी जिलों से जो हाईवे पर अंडरपास बनाए गए हैं. उनको बंद करने की तैयारी की जा रही है.
हालांकि अभी राकेश टिकैत ने ये साफ नहीं किया कि वो दिल्ली को कब बंद करने वाले हैं. 1810 एकड़ जमीन के उचित मुआवजे की मांग को लेकर किसान 1 सप्ताह से अनशन पर बैठे हैं. किसानों का कहना है कि अब किसान अनशन नहीं करेंगे. बल्कि वो अपना पेट भर कर सरकार का पुरजोर विरोध करेंगे. 9 जुलाई को एक बड़ी पंचायत का आयोजन किया जाएगा और जो भी पंचायत में फैसला किया जाएगा. उसे पूरी तरह से लागू किया जाएगा.
जब तक किसानों की मांगे नहीं मानी जाती, तब तक इसी तरह से उनका धरना चलता रहेगा. धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि अब उन्हें अपनी जमीन के बदले में उचित मुआवजा नहीं चाहिए बल्कि अपनी जमीन वापस चाहिए, क्योंकि जो मुआवजा सरकार दे रही है उसमें इस इलाके में एक 100 गज का प्लॉट लेना भी नामुमकिन है.